नई दिल्ली: दिल्ली के मुख्यमंत्री और आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल शराब घोटाला मामले में पूछताछ के लिए रविवार को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) दफ्तर पहुंचे.
केजरीवाल ने केंद्र शासित प्रदेश सरकार के आबकारी नीति मामले में रविवार को सीबीआई के सामने पेश होने से पहले राष्ट्रीय राजधानी में राजघाट पर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित की.
केजरीवाल के साथ उनके पंजाब समकक्ष भगवंत मान, आप सांसद संजय सिंह और पार्टी के अन्य शीर्ष नेता भी थे. उन्होंने कहा कि वो पूछताछ के दौरान सभी सवालों के जवाब देंगे.
केजरीवाल ने रविवार को कहा कि अगर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) सरकार ने आदेश दिया तो केंद्रीय एजेंसी उन्हें गिरफ्तार करेगी.
हालांकि, इस मामले में भारत की प्रमुख जांच एजेंसी के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि सीबीआई योग्यता के आधार पर मामलों की जांच करती है.
अधिकारी ने कहा, ‘हम गुण-दोष के आधार पर मामले की जांच करते हैं.’
दरअसल, रविवार सुबह जारी एक वीडियो संदेश में केजरीवाल ने कहा था, ‘उन्होंने (सीबीआई) आज मुझे बुलाया है और मैं जरूर जाऊंगा. वे बहुत ताकतवर हैं, वे किसी को भी जेल भेज सकते हैं. अगर भाजपा ने सीबीआई को मुझे गिरफ्तार करने का आदेश दिया है तो सीबीआई स्पष्ट रूप से उनके निर्देशों का पालन करेंगे.’
उन्होंने आगे कहा, ‘आप (भाजपा) कहते हैं कि मैं भ्रष्ट हूं. मैं आयकर विभाग में कमिश्नर था, मैं चाहता तो करोड़ों कमा सकता था. अगर अरविंद केजरीवाल भ्रष्ट है तो इस दुनिया में ऐसा कोई नहीं है जो ईमानदार हो.’
इस बीच, आप कार्यकर्ताओं ने पार्टी प्रमुख केजरीवाल को सीबीआई द्वारा रविवार को समन किए जाने को लेकर राष्ट्रीय राजधानी में विरोध प्रदर्शन किया. आप के कई कार्यकर्ताओं को दिल्ली पुलिस ने कश्मीरी गेट पर हिरासत में लिया.
दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री और केजरीवाल के प्रमुख सहयोगी मनीष सिसोदिया आबकारी मामले में कथित अनियमितताओं को लेकर जेल में हैं.
सिसोदिया को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और सीबीआई ने दिल्ली में आबकारी नीति के निर्माण और कार्यान्वयन में कथित अनियमितताओं से संबंधित एक मामले की चल रही जांच में गिरफ्तार किया था.
सीबीआई ने 26 फरवरी को सिसोदिया को गिरफ्तार किया. बाद में 9 मार्च को तिहाड़ जेल में घंटों पूछताछ के बाद ईडी ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया.
ईडी और सीबीआई ने आरोप लगाया था कि आबकारी नीति को संशोधित करते समय अनियमितताएं की गईं, लाइसेंस धारकों को अनुचित लाभ दिया गया, लाइसेंस शुल्क माफ या कम किया गया और सक्षम प्राधिकारी की मंजूरी के बिना एल-1 लाइसेंस बढ़ाया गया.
जांच एजेंसियों ने कहा कि लाभार्थियों ने आरोपी अधिकारियों को ‘अवैध’ लाभ दिया और उनकी खाता बही में गड़बड़ी है.
यह भी पढ़ें: ‘अदालत के निर्णय से सहमत नहीं’, मानहानि केस में राहुल गांधी को मिला केजरीवाल का साथ