नई दिल्ली: दीपक पहल उर्फ बॉक्सर की गिरफ्तारी ने दिल्ली-एनसीआर में आपराधिक गिरोहों और पश्चिम के मानव तस्करी कार्टेल के बीच पनप रहे गठजोड़ का पर्दाफाश कर दिया है. यह पता चला है कि यह नेटवर्क देश से भागने की कोशिश कर रहे गैंगस्टरों की मदद कर रहा है, जो भारतीय जांच एजेंसियों के काम को और मुश्किल बना रहा है.
दिल्ली पुलिस के सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि दिल्ली-एनसीआर का मोस्ट वांटेड गैंगस्टर बॉक्सर, जिसे दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने इस महीने की शुरुआत में मैक्सिको में पकड़ा था और भारत लाया गया था, इसी गिरोह के जरिए देश से भागा था. कुछ अन्य गैंगस्टरों की तरह, उसने भी संयुक्त राज्य अमेरिका भागने का सोचा था और विदेश से अपने गिरोह को चलाने की योजना बनाई थी, जिस वजह से भारतीय अधिकारियों को उसे पकड़ने में कई मुश्किलें आईं.
गिरोह इन अपराधियों की यात्रा को ‘डांकी रूट’ (भारतीय एजेंटो के माध्यम से विदेश में प्रवेश करने का अवैध तरीका, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नियुक्त ऑपरेटरों या ‘गठबंधन’ के रूप में उन्हें बुलाया जाता है और यात्रा से जुड़े लेन देन को संभालते हैं) के माध्यम से यात्रा की सुविधा प्रदान करते हैं.
इन सभी के बीच बातचीत विभिन्न कॉलिंग ऐप्स के माध्यम से होती है और कई बार हैंडसेट (बोलचाल की भाषा में ‘डब्बा बनना’) के उपयोग के माध्यम से होता है, जिससे इनकी लोकेशन का पता लगाना भूसे के ढेर में सुई खोजने जैसा होता है. बॉक्सर के ठिकानों का पता लगाने के लिए इंस्पेक्टर गगन भास्कर के नेतृत्व में जांच दल द्वारा आठ महीनों में 1 लाख से अधिक कॉल का विश्लेषण किया गया.
दिल्ली पुलिस – केंद्रीय और अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों (नई दिल्ली और मैक्सिको सिटी में FBI के कानूनी कार्यालय) के साथ समन्वय में – मेक्सिको के कैनकन क्षेत्र में हिरासत में लिए जाने के बाद बॉक्सर को गिरफ्तार किया. कभी जूनियर राष्ट्रीय मुक्केबाजी चैंपियन रहे हरियाणा के मूल निवासी ने बरेली से फर्जी पासपोर्ट लेकर जनवरी में देश से भाग गया था.
2021 में दिल्ली के रोहिणी कोर्ट परिसर में जितेंद्र मान उर्फ गोगी की गोली मारकर हत्या के बाद बॉक्सर कथित रूप से गोगी गिरोह के रूप में प्रमुख अभियान चला रहा था.
देश से भागने वाले गिरोह के सदस्यों की यह प्रवृत्ति पिछले कुछ वर्षों में सामने आई है. इसके ज्यादातर लोग जिन्हें वीसा नहीं मिल पता है वो अवैध तरीके (डोंकर्स) से देश से भागते है. विशेष पुलिस आयुक्त (विशेष प्रकोष्ठ) एचएस धालीवाल ने दिप्रिंट को बताया कि वे डोंकर्स को भुगतान करने के लिए अपनी जमीन और अन्य संपत्ति भी बेच देते हैं.
उन्होंने आगे कहा कि पिछले साल से स्पेशल सेल ने गिरोह के सदस्यों पर अपनी कार्रवाई तेज कर दी है, जिससे इन अपराधियों में हड़कंप मच गया है. कानून से बचने के लिए और प्रत्यर्पण के अपने ज्ञान के कारण, ये सभी पश्चिमी देशों में भागना चाहते हैं. हालांकि, बॉक्सर की गिरफ्तारी के साथ, उन सभी को एक मजबूत संदेश मिला है कि भारतीय पुलिस उन्हें पकड़ने का लिए कहीं भी पहुंच सकती हैं, भले ही इसमें थोड़ा समय लगे. आप उनके अपराधों का अंत नज़दीक है.
दिल्ली के 10 मोस्ट वांटेड में से, बॉक्सर के अलावा दो और गैंगस्टर कपिल सांगवान उर्फ नंदू (2021), और हिमांशु भाऊ (2022) पिछले 2-3 वर्षों में देश से बाहर भाग गए हैं.
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यात्रा, पर्यटन और तस्करी
दिल्ली पुलिस के सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि अगर यह डोंकर्स, एजेंट और सहयोगी के नेटवर्क नहीं होते तो भारतीय जेलों में बंद और अन्य विदेशों में बैठे हुए ये बॉक्सर जैसे शायद देश से बाहर भागने में कामयाब नहीं होते.
सूत्रों ने आगे कहा कि भारत में स्थित एजेंट (जो गैंगस्टरों को डोनकर्स से संपर्क कराते हैं) और विदेशों में डोंकर्स के पास आमतौर पर यात्रा पर्यटन के साइड व्यवसाय होते हैं जिसके माध्यम से वे मानव तस्करी कार्टेल के साथ मिलकर नेटवर्क स्थापित करते हैं.
तीन महीनों की अवधि में, बॉक्सर ने कुछ आठ उड़ानें भरीं और डोंकर्स, ऑन-बोर्ड कारों, नावों और मिनी ट्रकों के माध्यम से अल सल्वाडोर और ग्वाटेमाला होते हुए मैक्सिको पहुंचा. दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल को उसे अमेरिका भागने से रोकना था क्योंकि इससे उसे पकड़ने की प्रक्रिया में और बढ़ाए आती.
अमेरिका वेनेजुएला, क्यूबा और मैक्सिको से अवैध रूप से अपने क्षेत्र में प्रवेश करने वाले प्रवासियों के मुद्दे का सामना कर रहा है. मानव तस्करी कार्टेल बड़ी संख्या में प्रवासियों की तस्करी करते हैं, जिनमें से कई भारत से भी हैं जो खतरनाक रास्तों, जंगलों और समुद्र के माध्यम से नावों पर अमेरिका पहुंचने की कोशिश करते हैं.
भागने की योजना
बॉक्सर को भागने की योजना बनाने में कम से कम चार महीने लगे थे. लॉरेंस बिश्नोई-कला जत्थेदी-हाशिम बाबा और बॉक्सर गठबंधन के कुछ प्रमुख सदस्य पिछले दो वर्षों में अमेरिका, पुर्तगाल और ऑस्ट्रेलिया भाग चुके हैं.
गोगी की हत्या के बाद, बॉक्सर उसके गिरोह का मुखिया बन गया था और गैंगस्टरों पर पुलिस की कार्रवाई ने उनके मन में दहशत पैदा कर दी थी. जेलों में और देश के बाहर बैठे लोगों ने बॉक्सर के दस्तावेज़ तैयार करने के लिए दिल्ली, यूपी और हरियाणा में अपने संपर्कों को समन्वित और सतर्क किया, एक पुलिस अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर दिप्रिंट को बताया कि इन गैंगस्टरों को अक्सर कानूनी जटिलताओं का पूरा ज्ञान होता है. जब एक भगोड़ा दूसरे देश में शरण लेता है, तो वो तुरंत अपने सहयोगियों से डोंकर्स की व्यवस्था करने के लिए कहता है.
अधिकारी ने आगे कहा, “गिरोहों का मानव तस्करों के साथ एक और नेटवर्क है. वे मार्ग को भी ध्यान में रखते हुए चार्ट तैयार करते हैं कि किन देशों के पास आने जाने पर वीजा है ताकि पलायन को आसान बनाया जा सके.”
पिछले आठ महीनों में पांच राज्यों में बॉक्सर के कई ठिकानों पर छापेमारी की गई. 6 जनवरी को, बॉक्सर ने दुबई से कोलकाता, अल्माटी से इस्तांबुल, फिर पनामा सिटी और उसके बाद फरवरी में पोर्ट ऑफ स्पेन के लिए उड़ान भरी. पोर्ट ऑफ स्पेन से, उन्होंने सूरीनाम की राजधानी पारामारिबो के लिए उड़ान भरी. और फरवरी के अंत में वापस पनामा सिटी के लिए उड़ान भरी. वहां से, उसने सैन जोस, फिर कोस्टा रिका के लिए एक और उड़ान भरी और आखिरकार 1 मार्च को अल सल्वाडोर पहुंचा.
बॉक्सर के खिलाफ दिल्ली में कम से कम 13 मामले दर्ज हैं, सूत्रों ने कहा कि कम से कम 30 हत्याओं और प्रतिद्वंद्वी गिरोहों की हत्या के प्रयास में शामिल होने का संदेह है. पुलिस ने उसके कुछ दोस्तों और सहयोगियों को उठाना शुरू किया और जेल में बंद कुछ लोगों से पूछताछ भी की. जिन लोगों ने उसका फर्जी पासपोर्ट बनवाने में मदद की, उन्हीं से जांच एजेंसियों को उसके अमेरिका पहुंचने की योजना के बारे में पता चला.
रॉ, एमएचए, एमईए और सीबीआई की मदद से एक एलओसी (लुकआउट सर्कुलर) खोला गया था. पुलिस बल के एक अन्य सूत्र ने कहा, भगोड़े को पकड़ने के लिए ग्रीन, ब्लू और रेड कॉर्नर नोटिस भी जारी किए गए थे. मार्च में 27 वर्षीय भगोड़े के खिलाफ गैर जमानती वारंट भी जारी किया गया था.
(संपादन: अलमिना खातून)
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