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Friday, 22 November, 2024
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गायक दीप सिद्धू के वफादार, बाहुबली और सोशल मीडिया वॉरीयर्स- वे लोग जिन्होंने अमृतपाल को बनाया

अमृतपाल के चाचा हरजीत सिंह और पंजाबी अभिनेता दलजीत कलसी भी इसमें शामिल हैं, जो अब जेल की सलाखों के पीछे हैं. यूके और यूएस के कुछ एनआरआई भी इस कट्टरपंथी उपदेशक की कोर टीम का हिस्सा हैं.

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नई दिल्ली: पिछले साल 20 अगस्त को जब सफेद कुर्ता पायजामा पहने हुए अमृतपाल सिंह दुबई से पंजाब पहुंचा था, तो वह एक अंजान चेहरा था. यह उसे अभिनेता से सामाजिक कार्यकर्ता बने दीप सिद्धू द्वारा बनाए गए एक संगठन, ‘वारिस पंजाब दे’ (डब्ल्यूपीडी), से अलग हुए एक गुट द्वारा इस संगठन का प्रमुख नियुक्त किए जाने के बाद था.

सात महीने हो गए हैं अमृतपाल लगातार फरार चल रहे हैं. हालांकि उनपर ‘भारत की सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था को कायम रखने के प्रति प्रतिकूल’ गतिविधियों की वजह से राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (नेशनल सेक्यूरिटी एक्ट-एनएसए) लगाया गया है. पिछले शनिवार को पुलिस द्वारा पंजाब में काम कर रहे कट्टरपंथी सिख तत्वों के खिलाफ एक बड़ी कार्रवाई शुरू करने के बाद से उससे सीधे तौर पर या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े 154 लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है.

पुलिस का कहना है कि उसके पास इस बात के सबूत हैं कि अमृतपाल के पाकिस्तान की ख़ुफ़िया एजेंसी आईएसआई से संबंध हैं, और वह हवाला लेनदेन में भी शामिल है. उसके आदमियों और कारों से हथियारों का बड़ा जखीरा बरामद किया गया है. पुलिस ने कहा कि खालिस्तान का समर्थन करने के अलावा अमृतपाल आनंदपुर खालसा फौज नाम से एक सशस्त्र इकाई भी खड़ी कर रहा था.

अब सवाल यह है कि दुबई से आया 29 साल का और सिर्फ़ 12वीं पास यह ट्रांसपोर्टर इस मुकाम तक कैसे पहुंचा? पंजाब पुलिस के एक डोजियर तक अपनी पहुंच बनाने के बाद, दिप्रिंट ने अमृतपाल को खड़ा करने वाले लोगों के बारे में एक विस्तृत विवरण तैयार किया है.

द किंगमेकर्स

दलजीत कलसी: सरबजीत सिंह के नाम के साथ जन्में पंजाबी अभिनेता दलजीत कलसी उर्फ जीत कलसी का दावा है कि उसने अपने पिता को खो देने के बाद उनका नाम यानि कि ‘दलजीत’ को अपना लिया. कलसी एक मल्टीलेवल मार्केटिंग कंपनी, स्टर्लिंग लाइफ इंडिया प्राइवेट, का प्रमुख भी है, और साल 2013 में वह सक्रिय रूप से इस कारोबार को चला रहा था.

कालसी मूल रूप से दीप सिद्धू से जुड़ा हुआ था, जिसका उसने किसान आंदोलन के दौरान भरपूर समर्थन किया था और वह ‘वारिस पंजाब दे’ की मूल टीम का भी हिस्सा था.

पिछले साल 15 फरवरी को एक कार दुर्घटना में हुई सिद्धू की मौत के तुरंत बाद अमृतपाल को इस संगठन की कमान सौंपने में उसने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. कलसी ने सिद्धू की टीम के कुछ सदस्यों के साथ सिद्धू के गुरु और मार्गदर्शक रहे पूर्व उग्रवादी पलविंदर सिंह तलवारा, जिसे सिद्धू के उत्तराधिकारी के रूप में पेश किया जा रहा, पर खुले तौर पर हमला करते हुए उसी साल 4 मार्च को अमृतपाल को इस संगठन का प्रमुख घोषित कर दिया था.

अमृतपाल के आने का इंतजार शुरू होने के साथ ही कलसी ने दुबई, यूके और कनाडा की यात्रा भी की. वह अमृतपाल से दुबई में और एक अन्य खालिस्तान समर्थक, अवतार सिंह खांडा, से यूके में मिला. यूके में दिए गये एक साक्षात्कार में, कलसी ने अमृतपाल को चुनने की अपनी पसंद को सही ठहराते हुए कहा कि उस समय डब्ल्यूपीडी में ऐसा कोई भी नहीं था जो अमृतपाल से बेहतर तरीके से राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दर्शकों के सामने उसके विचारों का प्रतिनिधित्व कर सके.

एनएसए के तहत गिरफ्तार किए गए और फिलहाल असम की डिब्रूगढ़ जेल में रखे गए, कालसी द्वारा डब्ल्यूपीडी की गतिविधियों के ज़रिए 35-40 करोड़ रुपये इकट्ठा करने में निभाई गई कथित भूमिका के लिए जांच की जा रही है.

गुरमीत सिंह बुक्कनवाला: सिद्धू और कलसी के एक पूर्व सहयोगी रहे बुक्कनवाला ने अमृतपाल को डब्ल्यूपीडी की कमान सौंपने के लिए कालसी का समर्थन किया था. वह अमृतपाल के करीबी सहयोगियों के समूह में से है और इस स्वयंभू उपदेशक के भारत लौटने के दिन से ही उसके साथ बना रहा है.

उन्हें ‘वारिस पंजाब दे’ के लिए मोगा जिले का प्रभारी बनाया गया था. 23 फरवरी को, बुक्कनवाला को हरिके के पास उस समय एहतियातन हिरासत में ले लिया गया था, जब वह अपने आदमियों के साथ अजनाला पुलिस स्टेशन की तरफ बढ़ रहा था.

बुक्कनवाला मोगा में एक फर्नीचर की दुकान का मालिक है और वह डब्ल्यूपीडी को साजोसमान के साथ सहायता प्रदान करता रहा है. पंजाब पुलिस के मुताबिक, अमृतपाल के काफिले में शामिल कम-से-कम एक एंडेवर कार बुक्कनवाला के साले/ बहनोई के नाम पर है और इस वाहन की फाइनान्सिंग की जांच की जा रही है.

बसंत सिंह दौलतपुरा: सिद्धू का एक पूर्व सहयोगी रहा बसंत, जो उसका कार्यालय संभालने के अलावा और डब्ल्यूपीडी के प्रबंधक के रूप में दोहरी भूमिका निभाता था, शुरू में अमृतपाल के साथ उसके एक अंगरक्षक के रूप में जुड़ा था. बाद में वह अमृतपाल के पैतृक गांव जल्लू खेड़ा में बने नशामुक्ति केंद्र की देखरेख करने लगा.

पुलिस के अनुसार, वह आयुर्वेदिक दवाओं का उपयोग कर युवाओं को नशामुक्त करने की कोशिश कर रहा था, लेकिन उसे इस काम में ज्यादा सफलता नहीं मिली और केंद्र में रहने वाले अधिकांश लोगों ने इसे छोड़ दिया. पुलिस सूत्रों ने बताया कि हाल ही में एक परोपकारी व्यक्ति ने बरनाला के पास स्थित अपने डेरा की जमीन अमृतपाल को दान कर दी थी, जिसने इसे एक बड़ा नशामुक्ति केंद्र शुरू करने के मकसद से बसंत को सौंप दिया था.

गुरप्रीत सिंह: सिद्धू से प्रेरित एक कट्टरपंथी लोक गायक, गुरप्रीत उन कट्टरपंथी युवाओं के समूह में शामिल था, जिन्होंने साल 2021 में गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर ‘संयुक्त किसान मोर्चा’ के मंच पर कब्जा कर लिया था. इसके अगले दिन वह सिद्धू के साथ लाल किले गया था. फिर वह डब्ल्यूपीडी का सदस्य बन गया और सिद्धू की मृत्यु के बाद उसने अमृतपाल का समर्थन किया.

पिछले साल मई में पटियाला में हुई सांप्रदायिक हिंसा के बाद गुरप्रीत को एक दिन के लिए गिरफ्तार किया गया था. उसे तरनतारन जिले का डब्ल्यूपीडी प्रमुख बनाया गया था. उसने कथित तौर पर अमृतपाल के संदेशों को फैलाने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल किया और अजनाला में हुई हिंसा के दिन युवाओं को इकट्ठा करने के लिए सोशल मीडिया पर ‘लाइव’ चला गया था. पुलिस के मुताबिक गुरप्रीत संभावित हवाला लेनदेन को लेकर भी जांच के घेरे में है.


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गुरु और मार्गदर्शक

पापलप्रीत सिंह: एक कट्टरपंथी सिख बुद्धिजीवी और विद्वान माने जाने वाले पापलप्रीत ने अमृतपाल के पंजाब आने के एक दिन बाद ही उसे अपने संरक्षण में ले लिया. उन्होंने उसे सिख इतिहास और 1980-1990 के दशक के खालिस्तान आंदोलन से परिचित कराया. पापलप्रीत पूर्व उग्रवादियों के साथ साक्षात्कार करता रहा है और साथ ही उग्रवाद के दिनों की घटनाओं को भी संकलित करता रहा है.

पुलिस सूत्रों ने कहा कि पिछले कई वर्षों से दौरान उसके कई सोशल मीडिया एकाउंट्स पर प्रतिबंध लगाया गया है. साथ ही, उन्होंने बताया कि उसने अमृतपाल के बयानों के लिए एक ‘बौद्धिक औचित्य’ प्रदान किया और इसी प्रक्रिया के तहत उसकी हौसला अफजाई भी की. पपलप्रीत साल 2015 में चब्बा गांव में आयोजित ‘सरबत खालसा’ के आयोजकों के खिलाफ दर्ज राजद्रोह के एक मामले में शामिल आरोपियों में से एक था. पुलिस के अनुसार, जब अमृतपाल शनिवार को गिरफ्तारी से बचने में कामयाब रहा था, तब पापलप्रीत भी उसके साथ उसी वाहन में बैठा था,और अब उसके अमृतपाल के साथ ही फरार होने का संदेह है.

कुलवंत सिंह रौके: एक अन्य ज्ञात कट्टरपंथी जिसने पहले सिद्धू से हाथ मिलाया और बाद में अमृतपाल के समर्थन में आ गया. कुलवंत मोगा के रौके कलां गांव के सरपंच रहे चरत सिंह का बेटा था उग्रवादी गतिविधियों में शामिल होने के संदेह के बाद चरत सिंह साल 1993 में ही लापता हो गया था और उसके बाद से उसका कोई पता नहीं चला है. रौके तब सिर्फ़ 9 साल का था. पुलिस के मुताबिक वह अमृतपाल के सलाहकार की भूमिका निभा रहा है. रौके पंजाब स्टेट पावर कॉरपोरेशन में कैशियर के पद पर कार्यरत है. उसने अपने पिता की याद में 25 मार्च को एक समागम का आयोजन रखा था, जिसमें अमृतपाल भी को बोलना था. अब उसे भी एनएसए के तहत गिरफ्तार कर लिया गया है.

प्रबंधक

हरजीत सिंह: अमृतपाल के चाचा हरजीत ने कनाडा और ब्रिटेन में एक सफल परिवहन व्यवसाय स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. अमृतपाल द्वारा आगे की पढ़ाई में कोई दिलचस्पी न दिखाने के बाद, हरजीत ने साल 2012 में अपने व्यवसाय का एक हिस्सा संभालने के लिए उसे दुबई बुला लिया था. हालांकि, जब अमृतपाल को डब्ल्यूपीडी का प्रमुख बनाया गया, तो वह उसके साथ लौट आया. एक अमृतधारी सिख रहे हरजीत ने अमृतपाल के प्रबंधक की भूमिका निभाई और उसकी मौद्रिक गतिविधियों (पैसे के लेन-देन) का प्रभारी भी था.

वह लगभग हर धार्मिक समारोह में अमृतपाल के साथ ही जाता था, मगर वह हमेशा पर्दे के पीछे ही रहता था और किसी भी मंच पर कभी नहीं बोलता था. अमृतपाल के आसपास रहने वाले लगभग सभी लोगों की तरह ही हरजीत भी अपने साथ कई हथियार रखता था. वह भी अब एनएसए के तहत गिरफ्तार है और फिलहाल डिब्रूगढ़ जेल में रखा गया है.

हरमेल सिंह जोधे: शिरोमणि अकाली दल (अमृतसर) के प्रमुख सिमरनजीत सिंह मान का करीबी सहयोगी माना जाने वाला जोधे अमृतसर जिले में इस पार्टी की युवा शाखा का अध्यक्ष है. अमृतपाल के दुबई से आने के बाद से ही वह उसके साथ छाया की तरह बना रहा है, और उसने कई धार्मिक कार्यक्रमों में उसे आमंत्रित करवाने में मदद की है. पंजाब पुलिस के अनुसार, वह मान और अमृतपाल के बीच की कड़ी है, और डब्ल्यूपीडी और शिअद (अमृतसर) के संयुक्त कार्यक्रमों का आयोजन करता है.

सुरक्षा घेरा

सुखदीप सिंह उर्फ सतराना सिंह खालसा, गुरभेज गोंदारा उर्फ सरपंच, वरिंदर सिंह जोहल उर्फ फौजी और विक्रम सिंह नाम के ये चार लोग हैं जो अमृतपाल के आसपास सबसे अधिक दिखाई देते हैं, हथियार लेकर उसके साथ आते-जाते हुए दिखाई देते हैं और इस तरह से उसके आंतरिक सुरक्षा घेरे का हिस्सा हैं.

शनिवार को की गई सख़्त कार्रवाई से पहले अमृतपाल के आसपास के इन लोगों में से कुछ के हथियारों के लाइसेंस रद्द कर दिए गये थे. पुलिस के मुताबिक, फौजी भारतीय सेना में कार्यरत था, लेकिन उसे इसकी सेवा से हटा दिया गया था. फौजी, जिसके पास हथियार रखने का लाइसेंस था, ने अमृतपाल के सुरक्षा घेरे में जगह बना ली थी. जनवरी में एक वीडियो के वायरल होने के बाद उसे हवा में हथियार से फायरिंग करने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया था.

इसके बाद अमृतसर के एक अस्पताल से हाल ही में डिस्चार्ज किया गया अमृतपाल अपने कई सारे समर्थकों के साथ फौजी की रिहाई की मांग को लेकर थाने पहुंच गया था. बाद में, उसे 24 जनवरी को जेल से रिहा कर दिया गया था.

विक्रम सिंह के बारे में पुलिस का कहना है कि उसे नवांशहर के एक गुरुद्वारे में एक बच्चे के रूप में बेसहारा पाया गया था. साथ ही, उसका यह भी कहना है कि वह एक अत्यधिक कट्टरपंथी, उतावला और खालिस्तान का घोर समर्थक है.

पुलिस सूत्रों ने बताया कि विक्रम सिंह के साथ हुई अनबन के कारण ही चमकौर साहिब के निवासी वरिंदर सिंह ने अमृतपाल के खिलाफ बोलना शुरू कर दिया था, जिसकी वजह से घटनाओं का वह सिलसिला शुरू हुआ जिसकी परिणति अजनाला में हुई हिंसा के रूप में हुई.

सोशल मीडिया वारियर्स

गुरिंदर पाल औजला: यूके में रहने वाला औजला सिद्धू के सोशल मीडिया नेटवर्क को संभाल रहा था और अमृतपाल को उसके सोशल मीडिया पोस्ट के माध्यम से सबसे पहले पहचानने वालों में से एक था. वह क्लबहाउस ऐप पर हुई सिद्धू और अमृतपाल की शुरुआती बैठकों में भाग लेने वालों में से एक था. जब अमृतपाल डब्ल्यूपीडी प्रमुख बना, तो औजला ने इसके सोशल मीडिया नेटवर्क को संभालना जारी रखा.

पुलिस के अनुसार, औजला अपने भाई के साथ जालंधर के कुक्कर पिंड गांव में रह रहा था और अमृतपाल के संदेशों और अन्य कट्टरपंथी विचार सामग्री को फैलाने के लिए 200 से अधिक सोशल मीडिया एकाउंट्स को संभालता था. उसके खिलाफ 20 फरवरी को हथियार लहराने का एक मामला दर्ज किया गया था, लेकिन इसके बाद भी वह गिरफ्तारी से बचता रहा. इस महीने की शुरुआत में उसे विदेश भागने से रोक दिया गया था और अमृतसर के हवाई अड्डे पर हिरासत में लिया गया था. वह उस मामले में जमानत पाने में कामयाब रहा था. औजला को अब एनएसए के तहत गिरफ्तार किया गया है और डिब्रूगढ़ जेल ले जाया गया है.

चाचा बघेल सिंह: पिछले साल सितंबर के पहले हफ्ते में अमृतपाल ने चाचा बघेल सिंह, जिसकी सोशल मीडिया प्रोफाइल बेहद विवादित है, के परिवार के साथ मुलाकात की थी. अमेरिका में रहने वाले इस व्यक्ति ने अपनी कड़वी ज़ुबान और अपमानजनक पोस्ट्सके लिए कुख्याति हासिल की हुई है. अमृतपाल के लिए प्रति उसका समर्थन अटूट रहा है और वह अमृतपाल का विरोध करने वाले लोगों के खिलाफ मुंहज़ुबानी गालियां देने के लिए जाना जाता है.

भगवंत सिंह उर्फ़ ‘प्रधानमंत्री’ बाजेके: एक मुखर कट्टरपंथी व्यंग्यकार जो सिद्धू और फिर अमृतपाल के साथ जुड़ा रहा है. वह मोगा जिले का निवासी है और ‘प्रधानमंत्री’ वाले छद्म नाम का उपयोग करके सिखों से जुड़े मुद्दों के बारे में अपने विचार प्रस्तुत करने के लिए सोशल मीडिया का उपयोग करता रहता है. पिछले साल नवंबर में उसके खिलाफ तहत मोगा में ‘आर्म्स एक्ट’ के एक मामला दर्ज किया गया था. वह साल 2015 के एक हत्या के प्रयास के मामले सहित कई अन्य मामलों का भी सामना कर रहा है, लेकिन फिलहाल उन सभी में जमानत पर बाहर है. शनिवार को पुलिस से बचने की कोशिश करने का उसका वीडियो काफ़ी वायरल हुआ था. वह भी अब डिब्रूगढ़ जेल में बंद है.

वफादार

(From left to right) Baljinder Singh, Gurmeet Singh Bukkanwala and Jagmohan Singh Jagga are associates of Amritpal Singh | Pic courtesy: Facebook
अमृतपाल के साथी, बलजिंदर सिंह, गुरमीत सिंह, बक्कनवाला और जगमोहन सिंह जग्गा /फोटो: फेसबुक

लवप्रीत सिंह उर्फ तूफान : गुरदासपुर के टिबरी गांव का रहने वाला तूफान डब्ल्यूपीडी का गुरदासपुर जिला प्रमुख है. उसने किसान आंदोलन में एक अहम भूमिका निभाई थी. पिछले साल नवंबर में वह तब सुर्खियों में आया था जब दक्षिणपंथी नेता हरविंदर सोनी को उसकी शिकायत के बाद अभद्र भाषा अपनाने के लिए गिरफ्तार किया गया था. शिवसेना (बाल ठाकरे) के नेता हरविंदर सोनी ने एक वीडियो संदेश में सिखों का मजाक उड़ाया था, जिसके बाद तूफान ने कई निहंगों के साथ मिलकर सोनी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज किए जाने की मांग की थी.

अजनाला पुलिस स्टेशन में अमृतपाल और 25 अन्य सहयोगियों के खिलाफ पहला मामला दर्ज होने के ठीक एक दिन बाद, 17 फरवरी 2023 को, तूफ़ान को गिरफ्तार कर लिया गया था. पुलिस के मुताबिक तूफान को इस मामले के शिकायतकर्ता वरिंदर सिंह का अपहरण करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था.

हालांकि, अमृतपाल द्वारा अपने सैकड़ों समर्थकों के साथ अजनाला पुलिस स्टेशन पर धावा बोलने के एक दिन बाद उसे रिहा कर दिया गया था.

जगमोहन सिंह जग्गा और बलजिंदर सिंह: पुलिस का कहना है कि अमृतपाल ने इन दोनों को उन लोगों की शिकायतों का निपटारा करने के लिए विभिन्न कार्यों का भार सौंपा था जो उनकी समस्याओं के समाधान के लिए उससे मिलते थे. हालांकि, उनके बारे में फिलहाल ज्यादा जानकारी मौजूद नहीं है, सिवाय इस बात के कि ये दोनों पहले दीप सिद्धू के साथ थे और अब अमृतपाल के करीबी सहयोगी बन गये हैं.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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