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Monday, 25 November, 2024
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‘मैं एक सक्सेसफुल, आत्मनिर्भर महिला हूं’, भूमि पेडनेकर बोलीं- बहुत मेहनत के बाद यहां तक पहुंची हूं

बॉलीवुड अभिनेत्री भूमि पेडनेकर नॉन फिल्मी बैकग्राउंड से आती हैं. दिप्रिंट से बात में नेपोटिज्म पर भूमि कहती हैं, ‘ मैं ये नहीं कह रही कि नेपोटिज्म बॉलीवुड में नहीं है लेकिन मैं ये जरूर कहूंगी कि मैंने कभी महसूस नहीं किया. लेकिन ये मेरी पर्सनल जर्नी है.’

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जिन्होंने उन्हें फिल्मी पर्दे पर देखा है वो पास से गुजरने पर उसे पहचान ही नहीं पाए. वो तो उस भूमि पेडनेकर का इंतजार कर रहे थे जिसे उन्होंने ‘दम लगा के हइशा‘ में देखा था..जिसे उन्होंने ‘टॉयलेट एक प्रेम कथा‘ में देखा था..जिसे उन्होंने ‘सांढ़ की आंख‘ और बाला में देखा था. लेकिन जब नीली जींस और यूएनडीपी लगी काली टी-शर्ट पहने भूमि सामने से गुजरीं तब भी सभी एक तरफ देखते हुए भूमि का इंतजार कर रहे थे. भूमि बहुत ही ज्यादा बदली बदली सी लग रहीं थीं.

2015 से जब से भूमि फिल्मों में एक्टिंग कर रही हैं वो अपनी फिल्मों के जरिए देश को कुछ न कुछ संदेश ही दे रही हैं. कभी खुले में शौच न करने का संदेश देती नजर आती हैं तो कभी वो बॉडी शेमिंग को लेकर बनाई गई फिल्म ‘दम लगा कर हइशा’ में लड़कियों के मोटापे को लेकर समाज को आइना दिखाती हैं तो कभी ‘बाला’ में एक डार्क स्किन लड़की लेकिन सफल वकील बनकर लोगों को संदेश देती हैं.

भूमि जैसा फिल्मों का किरदार निभाती हैं कुछ कुछ वो निजी जीवन में भी हैं. उनका मानना है कि महिलाओं को सशक्त होना चाहिए और जितनी अधिक महिलाओं को हम सशक्त कर सकते हैं हमें उन्हें करना चाहिए. समय आ गया है कि हर महिला खुद को समझे की वो कुछ भी कर सकती है और यही एकमात्र तरीका है जिससे वह जीवन में जो कुछ चाहती है उसे हासिल करने के लिए आगे आ सकती है और उनमें आत्मविश्वास आ सकता है.

उन्होंने कहा, ‘महिलाओं को सशक्त बनाना होगा उन्हें आत्म निर्भर बनाना होगा. हमें बराबरी की बात करनी है.’

भूमि यूएनडीपी इंडिया के साथ 2022 से वूमेन और वर्क चैंपियन के रूप में जुड़ी हैं.

‘खुद को बदलना होगा’

पेडनेकर 17 मार्च को लैंगिक समानता, जलवायु परिवर्तन, महिला सशक्तीकरण सहित कई गंभीर मुद्दों पर बात की. दिप्रिंट हिंदी से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि ये मुद्दे मेरे लिए महत्वपूर्ण हैं और ये वो मुद्दे हैं जिनसे हजारों लाखों नहीं करोड़ों लोगों के जीवन पर असर पड़ रहा है. जलवायु परिवर्तन को हम नज़रअंदाज़ नहीं कर सकते. पृथ्वी ही पूरे ब्रह्मांड में रहने योग्य है लेकिन जिस तेजी से पर्यावरण को लेकर हमारी बेरुखी सामने आ रही है हम अपनी अगली पीढ़ी को क्या देकर जाएंगे. आज गर्मी में इतनी हीट वेव्स चलती है ठंड इतनी की पानी बर्फ बन रहा है. यह सब जलवायु परिवर्तन के कारण हो रहा है. प्रदूषण लोगों को बीमार कर रहा है, इसलिए हमें बदलते माहौल से निपटने के लिए खुद को बदलना होगा.’

यूएनडीपी मुहिम से जुड़कर खुद को सम्मानित महसूस कर रही भूमि कहती हैं,’ मैं एक ऐसे परिवार से आई हूं, जहां मुझे अवसर दिए गए. मैंने जो चाहा किया, मैंने जो सपने देखे उसे पूरा किया. पढ़ाई छोड़कर मैं यशराज फिल्म्स को 17 साल की उम्र में ज्वाइन कर लिया था.’

वह कहती हैं कि मैंने बचपन से अपने परिवार में देखा है कि जो मिला है उसे आप वापस लौटाओ. गिव बैक टू द सोसाइटी. और अब जब मैं अपने सिनेमा की द्वारा अपनी बात लोगों तक पहुंचा सकती हूं तो अब समय आ गया कि मैं लोगों तक अब संदेश पहुंचाऊं.

उन्होंने कहा, ‘मेरे पास सबकुछ है. हम अपनी बात बोल सकते हैं जिसे लोग सुनते हैं या फिर सुनेंगे लेकिन अब समय आ गया है कि हम उनकी आवाज बनें जिन्हें हमारी जरूरत है. हम आने वाली पीढ़ी के लिए एक बेहतर दुनिया बनाएं यह सुनिश्चित करना हमारी जिम्मेदारी है.’

भूमि को अगर कुछ बदलने का मौका मिले तो वो सस्टेनैबिलिटी को बदलना चाहेंगी क्योंकि इसी से इनविरोनमेंट और जेंडर इक्वेलिटी भी जुड़ी है. वह कहती हैं कि बातों बातों में कब आपके साथ लोग बाउंड्री क्रॉस कर जाते हैं ये आपको पता ही नहीं चलता है. हमारे कमजोर तबके को यही नहीं पता है कि बराबरी क्या है?


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निर्देशन में जो सीखा उसका सम-टोटल हूं

2015 से एक्टिंग करने से पहले भूमि ने छह साल तक यशराज फिल्म के साथ निर्देशन में हाथ आजमाया. वो कहती हैं कि एक्टिंग से पहले जो मैंने निर्देशन सीखा शायद उसका ही समटोटल आज हूं.

भूमि कहती हैं कि कोई भी काम छोटा बड़ा नहीं होता है. अगर आपका कोई सपना है आपका कोई गोल है और सबसे छोटा काम करके भी आप अपने सपने को पूरा करते हैं और गोल तक पहुंचते हैं तो हमें वो काम करना चाहिए. क्योंकि हमें नहीं पता कि हमारे लिए कौन सा दरवाजा पहले खुल जाएगा.

जिंदगी में मुश्किलें

हर किसी की जिंदगी में मुश्किल अलग अलग होती है मेरी जिंदगी की मुश्किलें अलग थीं. मैं उसके लिए लड़ाई लड़ रही थी. फिल्में मेरी मोहब्बत हैं. मेरे लिए मुश्किल था घर पर लड़ाई लड़ना. मैंने परिवार वालों से कहा कि मैं ओपन स्कूल से पढ़ूंगी, डिग्री ले आऊंगी लेकिन मुझे काम पर जाने दो. भूमि कहती हैं कि ’17 साल की उम्र में मैं सबकुछ छोड़ छाड़ के काम करने भाग गई.’

भूमि काम और फिल्म इंडस्ट्री के स्ट्रगल पर बोलीं कि हर बार हर किसी के साथ हुआ है कि कोई आपसे बेहतर होगा. बेहतर काम करने वाला होगा. स्ट्रगल हर किसी का अलग अलग होता है. मुझे पर्सनली कभी इनफीरियर फील नहीं हुआ. मेरी जर्नी लंबी रही है और बहुत मेहनत के बाद मैं यहां तक पहुंची हूं.

नेपोटिज्म

भूमि नॉन फिल्मी बैकग्राउंड से आती हैं और जब उनसे नेपोटिज्म की बात पूछी तो उन्होंने कहा,’मेरी पहली फिल्म हिंदुस्तान के सबसे पहले प्रोडक्शन हाउस से आई है. वह सोचते हुए कहती हैं कि, ‘मैं ये नहीं कह रही कि नेपोटिज्म बॉलीवुड में नहीं है लेकिन मैं ये जरूर कहूंगी कि मैंने कभी महसूस नहीं किया. मेरे लिए अपरचुनीटीज आती गईं मैं सही निर्णय लेती गई. लेकिन ये मेरी पर्सनल जर्नी है.’

भूमि आगे कहती हैं कि मेरा फंडा है कि आप अपने काम में इतने अच्छे बनों कि आपको कोई नकार ही न सके. हालांकि वह यह कहने से नहीं हिचकिचाईं की उन्होंने अपनी चमड़ी मोटी बना ली है यानी उन्हें किसी के कहे का बहुत असर नहीं होता है.

वो कहती हैं, ‘पिछले सात साल मेरे लिए बहुत ही अच्छे रहे हैं. मैं इस सात साल में मेरी जर्नी में जो भी लोग साथ आए उनकी आभारी हूं. मैं आज अपना सपना जी रही हूं. मैं एक सक्सेसफुल, आत्मनिर्भर महिला हूं.’

बहुत सक्सेसफुल बनना है

भूमि ने छोटी सी उम्र में बहुत कुछ पा लिया है. निर्देशन से करियर शुरू किया और आज वह एक सक्सेसफुल अभिनेत्री हैं और समाजिक कार्यों से भी जुड़ीं हैं. लेकिन जब उनके पूछा गया कि अब आगे क्या करना चाहती हैं तो वो बोलीं, ‘और सक्सेसफुल होना है और जितना मिले सोसाइटी को उतना देना भी चाहती हूं.’

24 मार्च को उनकी फिल्म आ रही है ‘भीड़’. हालांकि यह फिल्म कोरोना महामारी के दौरान महीनों तक लगे लॉकडाउन के दौरान जो घटनाएं देश में घटी उसपर आधारित है लेकिन खुद उन्होंने इस लॉकडाउन और कोविड काल को कैसे देखती हैं तो वो मुस्कुराते हुए कहती हैं. 2015 में आई मेरी फिल्म के बाद मैंने पीछे पलट कर नहीं देखा था.’मैं रफ्तार में आगे बढ़ी जा रही थी, लेकिन पैंडेमिक ने एकदम से ब्रेक लगा दिया.’

‘पहले लॉकडाउन में तो खाना बनाने खाने से लेकर पढ़ने और अच्छा देखने तक का शौक पूरा किया. मैं हर वो काम कर रही थी जो मैंने पिछले सात-आठ साल में नहीं कर पाई. मैं घर का काम करती थी. लेकिन दूसरा लॉकडाउन तो सभी जानते हैं कि वो कितना डरावना था, मैं घर से निकली, जो मदद लोगों की कर सकती थी वो मैंने किया.ये एक व्यस्त समय था.’

‘भीड़’ फिल्म के बारे में बहुत कुछ न बताते हुए भूमि कहती हैं कि अभी तक फिल्में आती थीं तो मैं किरदार देखती थी और वो फिल्में करती थी लेकिन ये फिल्म ऐसी है जिसे मैं सचमुच हिस्सा बनना चाहती थी और मैं बनी.

(संपादन: ऋषभ राज)


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