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Friday, 22 November, 2024
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चीन ने मध्य-पूर्व में वह हासिल किया है जो अमेरिका भी नहीं कर सका

अमेरिका ने ईरान को एयरोस्पेस कंपोनेंट बेचने के लिए पांच चीनी कंपनियों पर प्रतिबंध लगा दिया है, जो यूक्रेन युद्ध में उपयोग के लिए रूस को ड्रोन की आपूर्ति कर रहा है.

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कम राष्ट्रीय अनुभव वाले शी के सहयोगी ली किआंग को चीन के अगले प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्त किया गया. अमेरिका द्वारा स्वीकृत पीएलए अधिकारी ली शांगफू को नए रक्षा मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया. बीजिंग सऊदी अरब और ईरान के बीच राजनयिक तनाव की मध्यस्थता भी करता है. सूत्रों का कहना है कि ताइवान की राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन न्यूयॉर्क और कैलिफोर्निया का दौरा करने वाली हैं. ताइवान 2016 से निलंबित मेनलैंड चीन के 23 शहरों के लिए सीधी उड़ानें फिर से शुरू करेगा.

सप्ताह भर में चीन

अक्टूबर 2022 में 20वीं पार्टी कांग्रेस की बैठक के दौरान जब ली कियांग राष्ट्रपति शी जिनपिंग और पोलित ब्यूरो स्थायी समिति के पांच अन्य सदस्यों के साथ मंच से निकल रहे थे, तो यह स्पष्ट था कि शी ने कियांग को अगला प्रधानमंत्री बनाने का मन बना लिया है.

पिछले हफ्ते, शी द्वारा दिए गए राष्ट्रपति आदेश ने द्वारा इसकी पुष्टि हो गई.

शी के विपरीत जो कि एक अमीर घराने से हैं, ली एक साधारण पृष्ठभूमि से आते हैं. ली ने झेजियांग विश्वविद्यालय में एग्रीकल्चर मेकेनाइजेशन का अध्ययन किया और बाद में कम्युनिस्ट यूथ लीग में शामिल हो गए. उन्होंने चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के सेंट्रल पार्टी स्कूल से एक्जीक्युटिव पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री भी प्राप्त की.

2004 और 2007 के बीच, जब शी जिनपिंग झेनजियांग प्रोविंस के पार्टी के सेक्रेटरी थे तब ली ने उनके चीफ ऑफ स्टाफ के रूप में कार्य किया. यही कारण है कि ली कियांग, शी जिनपिंग के सबसे भरोसेमंद व्यक्ति बन गए, और इस रिश्ते का ली को फायदा भी मिला क्योंकि वह जिआंगसू और बाद में शंघाई में पार्टी के सचिव बन गए.

ली की सफलताओं में से एक एलन मस्क को शंघाई में टेस्ला की पहली विदेशी फैक्ट्री स्थापित करने के लिए राजी करना था. लेकिन ली के ऊपर बड़े पैमाने पर शंघाई लॉकडाउन के दौरान कोविड के दौरान गलत तरीके से मैनेजमेंट का भी आरोप लगा.

रॉयटर्स ने हाल ही में अज्ञात चीनी अधिकारियों का हवाला देते हुए बताया कि ली ने दिसंबर में चीन के कड़े कोविड उपायों को खत्म करने की योजना को गति देने में भूमिका निभाई. लेकिन रॉयटर्स के सूत्र संभवतः ली को एक उपयुक्त उम्मीदवार के रूप में प्रचारित करने का प्रयास कर रहे थे जो आर्थिक विकास के एजेंडे को जारी रखेंगे.

चीन में ईयू चैंबर ऑफ कॉमर्स के प्रमुख जोर्ग वुटके ने फाइनेंशियल टाइम्स से कहा, “उन्हें उत्तराधिकार में ऐसा काम मिला है, जिसमें कई परेशानियां हैं जैसे- रियल एस्टेट संकट, कर्ज का बोझ, अमेरिकी प्रतिबंध, चीन में बढ़ती उम्र वाली जनसंख्या आदि.”

ली को प्रधानमंत्री ऐसे समय में बनाया गया है जब जब शी राज्य परिषद के निर्णय लेने के अधिकार को सौंपने की तैयारी कर रहे हैं. चीनी प्रधानमंत्री राज्य परिषद के प्रमुख हैं और सार्वजनिक संस्थानों के सुचारू संचालन को सुनिश्चित करते हैं. स्टेट काउंसिल की उभरती भूमिका का एक और संकेत एक नया डेटा नियामक निकाय स्थापित करने का निर्णय है जो डेटा गवर्नेंस से संबंधित शीर्ष निकाय होगा और डेटा से संबंधित सभी मामलों को देखेगा.

सामान्य तौर पर ली कियांग को प्रधानंत्री के तौर पर पसंद नहीं किया जाना चाहिए था क्योंकि उन्होंने कभी भी राष्ट्रीय स्तर के कार्यालय का संचालन नहीं किया है, और उनका यहां तक पहुंचना शी के साथ उनके व्यक्तिगत समीकरण के कारण संभव हुआ है.

अन्य नियुक्तियों में, डिंग ज़ुक्सियांग, हे लिफेंग, झांग गुओकिंग और लियू गुओझोंग को राज्य परिषद के उप-प्रमुख के रूप में नियुक्त किया गया है. हे लिफेंग संभवतः अगले आर्थिक प्रमुख के रूप में ल्यू हे की जगह लेंगे.

एक अन्य महत्त्वपूर्ण नियुक्ति ली शांगफू की रही जिन्हें रक्षा मंत्री बनाया गया है. 2018 में, उन्हें रूस के रक्षा और खुफिया संगठनों के साथ काम करने के लिए अमेरिका द्वारा प्रतिबंधित सूची में डाल दिया गया था.

ली शांगफू एक एयरोस्पेस इंजीनियर हैं और उन्होंने चोंगकिंग विश्वविद्यालय से ऑटोमेशन में डिग्री व राष्ट्रीय रक्षा प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय से एडवॉन्स्ड मिलिट्री एजुकेशन ली है. 2016 में, उन्होंने पीएलए स्ट्रैटीजिक सपोर्ट फोर्स के डिप्टी कमांडर और चीफ ऑफ स्टाफ के रूप में कार्य किया. अक्टूबर 2022 में उन्हें केंद्रीय सैन्य आयोग में शामिल किया गया.

हालांकि, रक्षा मंत्री का चीन के सैन्य पदानुक्रम में बहुत कम प्रभाव है, ली शांगफू ताइवान जैसे जटिल मुद्दों और यूएस-चीन तनाव के क्षेत्रीय आयाम से जुड़ी सार्वजनिक कूटनीति का चेहरा बनेंगे.

हालांकि, ऐसा लग सकता है कि शी ने एक पूरी नई टीम बना ली है, यह पूरा सच नहीं है. बीजिंग ने एक नया वित्तीय नियामक निकाय स्थापित करने का निर्णय लेने के बावजूद अपने सेंट्रल बैंक के गवर्नर यी गैंग को बरकरार रखा है.


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शी को तीसरी बार सर्व सम्मति से राष्ट्रपति चुना गया. एनपीसी के प्रतिनिधियों द्वारा उनके पक्ष में 2,952 वोट और उनके खिलाफ शून्य वोट मिला.

फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, ताइवान की राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन अमेरिका का दौरा करने वाली हैं. गुरुवार को, पत्रकार कैथरीन हिले ने बताया कि त्साई यूएस हाउस के स्पीकर केविन मैक्कार्थी से उनके गृह राज्य कैलिफोर्निया में न्यूयॉर्क के हडसन इंस्टीट्यूट में रुकेंगी. मार्च के अंत में यात्रा के अमेरिकी चरण के बाद, त्साई ग्वाटेमाला और बेलीज का दौरा करेंगी, दोनों ने ताइपे के साथ आधिकारिक राजनयिक संबंध बनाए रखे हैं.

मैक्कार्थी को ताइपे का दौरा करना था, यह एक ऐसी योजना थी जो बीजिंग द्वारा सैन्य प्रतिक्रिया को ट्रिगर कर सकती थी. जैसा कि ताइवान में राष्ट्रपति चुनाव होने वाले हैं, सत्तारूढ़ डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (DPP) इस बात को लेकर काफी सतर्क है कि विपक्षी कुओमिन्तांग पार्टी को उसकी सरकार को एक और संकट शुरू करने के लिए दोषी न ठहरा पाए जैसा कि कि इसके पूर्व यूएस हाउस स्पीकर नैन्सी पेलोसी की ताइपे यात्रा के दौरान देखा गया था.

इस बीच, साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के मार्क मैग्नियर ने खुलासा किया है कि बीजिंग ने एक ही समय में अमेरिकी उपराष्ट्रपति की बीजिंग यात्रा को निर्धारित करने के लिए ‘ट्रैक टू’ दृष्टिकोण का सुझाव देकर मैककार्थी की ताइपे यात्रा से पड़ने वाले प्रभाव को कम करने जैसे वैकल्पिक योजनाओं पर विचार किया.

1997 में, जब यूएस हाउस के तत्कालीन अध्यक्ष न्यूट गिंगरिच ने ताइवान का दौरा किया, तो अमेरिकी उपराष्ट्रपति अल गोर को अमेरिकी अधिकारियों द्वारा ताइपे की उच्च-स्तरीय यात्रा के परिणामस्वरूप घरेलू दबाव को कम करने के लिए बीजिंग भेजा गया. मैककार्थी ने कहा है कि उन्होंने ताइवान जाने की अपनी योजना को रद्द नहीं किया है, जिसका अर्थ है कि यदि हाउस स्पीकर इस वर्ष के अंत में ताइपे का दौरा करने का निर्णय लेते हैं तो बीजिंग इस तरह की रणनीति लागू कर सकता है.

ऐसा लग सकता है कि ताइवान स्ट्रेट में सैन्य तनाव अब तक के सबसे उच्च स्तर पर बना हुआ है, लेकिन वास्तविकता इससे कहीं ज्यादा जटिल है.

ताइवान ने क्रॉस-स्ट्रेट संबंधों को स्थिर करने के लिए 2016 से निलंबित मेनलैंड चीन के साथ 23 शहरों के लिए उड़ानें फिर से शुरू करने का फैसला किया है.

विश्व समाचार में चीन

जैसा कि दुनिया ने दिसंबर 2022 में शी जिनपिंग का रियाध पहुंचना देखा. इससे विश्लेषकों ने मध्य पूर्व के लिए चीन की योजनाओं के बारे में अनुमान लगाया – एक ऐसा क्षेत्र जिसकी भू-राजनीति में अमेरिका दो दशकों से अधिक समय से हावी है.

अब, बीजिंग ने दो प्रतिद्वंद्वियों रियाध और तेहरान के बीच तनाव कम करने की मध्यस्थता की है, जिनका सात वर्षों से कोई राजनयिक संपर्क नहीं रहा है. बीजिंग ने तेहरान में अपने प्रभाव का इस्तेमाल दोनों देशों के बीच बातचीत शुरू करने के लिए किया है, जो अतीत में, एक दूसरे के खिलाफ इतनी तल्ख बयानबाजी करते थे कि बात सैन्य संघर्ष तक पहुंचती हुई दिखाई पड़ती थी.

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार डॉ. मुसाद बिन मोहम्मद अल-ऐबन के नेतृत्व में एक सऊदी प्रतिनिधिमंडल और सर्वोच्च राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के सचिव एडमिरल अली शामखानी के नेतृत्व में ईरानी प्रतिनिधिमंडल ने 6 से 10 मार्च तक बीजिंग में वार्ता की. शुक्रवार को केंद्रीय विदेश मामलों के आयोग के कार्यालय के निदेशक वांग यी ने दोनों पक्षों के साथ बातचीत की और मध्य पूर्व में अमेरिका के प्रभाव को चुनौती देने की आधिकारिक घोषणा की.

माना जाता है कि सुन्नी देश सऊदी अरब और शिया देश ईरान ‘पुराने दुश्मन’ हैं. मध्य पूर्व में राजनयिक संबंधों की बहाली न केवल एक बड़ी घटना है, बल्कि इसने वैश्विक स्तर पर सबका ध्यान आकर्षित किया है. अमेरिकी मीडिया, विशेषज्ञों और विद्वानों में कई लोगों ने कहा कि ‘चीन ने एक बड़ी कूटनीतिक जीत हासिल की है’. व्हाइट हाउस राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के प्रवक्ता ने जानबूझकर मध्यस्थता के चीन के नेतृत्व को टाला. चीन के गुंचा न्यूज नेटवर्क की एक रिपोर्ट ने इसे बीजिंग की कूटनीतिक जीत करार देते हुए कहा कि ज्यादातर लोगों के लिए, इस खबर को ‘अचानक’ और ‘चौंकाने वाला’ बताया जा सकता है.

इस बीच, अमेरिका ने ईरान के ड्रोन कार्यक्रम के लिए ‘हजारों एयरोस्पेस घटकों की बिक्री और शिपमेंट’ के लिए पांच चीनी कंपनियों पर प्रतिबंध लगा दिया है. ईरान रूस को ड्रोन के आपूर्तिकर्ता के रूप में उभरा है, जिसका उपयोग यूक्रेन युद्ध में किया गया है.

इस सप्ताह अवश्य पढ़ें

देखो शी जिनपिंग धीरे-धीरे डेंगिस्ट आर्थिक प्रतिमान का गला घोंट रहे हैं – टैनर ग्रीर

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एक चीनी कारखाने के शहर में, बेहतर सौदे के लिए प्रवासी दंडवत करते हैं – वू पेइयू

पॉडवर्ल्ड

डेनवर विश्वविद्यालय के जोसेफ कोरबेल स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज में सेंटर फॉर चाइना-यू.एस. के प्रोफेसर और निदेशक सुईशेंग झाओ, चीन की विदेश नीति के विशेषज्ञ हैं. झाओ अपनी नवीनतम पुस्तक, द ड्रैगन रोर्स बैक: ट्रांसफॉर्मेशनल लीडर्स एंड डायनमिक्स ऑफ चायनीज फॉरेन पॉलिसी, उन चीनी नेताओं के बारे में लिखते है जिन्होंने चीनी विदेश नीति को आकार दिया है. एक बातचीत में, झाओ ने शीना चेस्टनट ग्रीटेंस को बताया कि कैसे शी ने विदेश नीति को आकार देने के लिए पिछले नेताओं के विचारों को अपनाया. चायनास्कोप बातचीत सुनने की सलाह देता है.

(लेखक स्तंभकार और स्वतंत्र पत्रकार हैं. वह पहले बीबीसी वर्ल्ड सर्विस में चीन के मीडिया पत्रकार थे. वह वर्तमान में ताइपे में स्थित एक MOFA ताइवान फेलो है और उनका ट्विटर हैंडल @aadilbrar है. व्यक्त किए गए विचार निजी हैं.)

(संपादनः शिव पाण्डेय)
(इस खबर को अंग्रजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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