नई दिल्ली: आगामी 22 मार्च से मुस्लिमों के पवित्र महीने रमज़ान के शुरू होने की उम्मीद है, जिसमें वे लोग रोज़ा रखते हैं, इबादत करते हैं और इस दौरान सऊदी अरब ने कईं तरह के नियम और प्रतिबंधों वाला एक फरमान लागू किया है. इनमें मस्जिदों के लाउडस्पीकरों की आवाज़ों को सीमित करना, दान पर रोक लगाना और मस्जिदों के भीतर नमाज़ के प्रसारण पर प्रतिबंध शामिल है.
शुक्रवार को जारी एक नोटिस में, इस्लामिक मामलों के मंत्री, दावाह और मार्गदर्शन, शेख अब्दुल लतीफ बिन अब्दुल अज़ीज़ अल-अलशेख ने 10 निर्देशों वाला एक सर्कुलर जारी किया जिनका निवासियों को रमज़ान के पवित्र महीने के दौरान पालन करना होगा.
أصدر معالي وزير الشؤون الإسلامية د.#عبداللطيف_آل_الشيخ تعميمًا لكافة فروع الوزارة بضرورة تهيئة المساجد والجوامع لمايخدم المصلين، وذلك ضمن استعدادات الوزارة لاستقبال شهر #رمضان المبارك لهذا العام ١٤٤٤هـ. pic.twitter.com/9Q4x9CWWPE
— وزارة الشؤون الإسلامية 🇸🇦 (@Saudi_Moia) March 3, 2023
उपर्युक्त दिशा-निर्देश में मस्जिदों में नमाज़ अदा करने वालों के लिए भोजन के आयोजन के लिए दान इकट्ठा करने से रोकना, रोज़े के भोजन को मस्जिद के अंदर के बजाय मस्जिद के प्रांगण में क्षेत्रों में तैयार करना शामिल है. ये भोजन भी इमाम (जो इस्लामी पूजा सेवाओं का नेतृत्व करता है) और मुअज्जिन (एक अधिकारी जो एक मस्जिद में दिन में पांचों टाइम की नमाज़ की बार दैनिक प्रार्थना की घोषणा करता है) की निगरानी के तहत बनना चाहिए.
मंत्रालय के निर्देशों में ये भी अनिवार्य किया गया है कि ये दोनों अधिकारी ‘बहुत अधिक जरूरत’ को छोड़कर पूरे महीने के दौरान मौजूद रहेंगे. उन्हें यह सुनिश्चित करना होगा कि शाम की नमाज़ – तराबी – और रात की नमाज़ – तहज्जुद – पर्याप्त समय से हों ताकि इबादत करने वालों को असुविधा न हो और रमज़ान के आखिरी दस दिनों के दौरान मस्जिद में एतिकाफ या एकांत सुनिश्चित किए जाए.
मस्जिदों के अंदर नमाज़ और इबादत करने वालों के प्रदर्शन को प्रसारित करने के लिए फोटोग्राफी और कैमरों के इस्तेमाल पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है. मंत्रालय ने नमाज़ियों को बच्चों को मस्जिदों में लाने से भी मना किया, क्योंकि इससे इबादत में बाधा आएगी.
पिछले वर्षों से जारी नियमों में नमाज़ के दौरान बजने वाले लाउडस्पीकरों की आवाज़ को कम करने को कहा गया है. मंत्रालय के निर्देशों में नमाज़ियों को मस्जिद के बारे में उपयोगी किताबें पढ़ने के लिए भी प्रोत्साहित किया गया है.
इन विवादास्पद प्रतिबंधों को दुनिया भर के मुसलमानों से प्रतिक्रिया मिली है, कई आलोचकों ने इन दिशानिर्देशों को सऊदी सरकार द्वारा लोगों के जीवन में इस्लाम के प्रभाव को सीमित करने के प्रयासों के रूप में देखा है.
सऊदी समाचार चैनल, अल-सौदिया के साथ एक टेलीफोनिक इंटरव्यू में, मंत्रालय के प्रवक्ता ने चिंता ज़ाहिर करते हुए कहा, “मंत्रालय मस्जिदों में रोज़ा खोलने से नहीं रोक रहा, बल्कि इसे व्यवस्थित कर रहा है, ताकि एक जिम्मेदार व्यक्ति मौजूद रहे और सुनिश्चित करे कि मस्जिद की पवित्रता और स्वच्छता को बनाए रखने में सुविधा हो.”
उन्होंने यह भी दावा किया कि इबादत के फिल्मांकन और प्रसारण पर प्रतिबंध का उद्देश्य “प्लेटफॉर्मों को शोषण से बचाना है और यह इमामों, उपदेशकों, या व्याख्याताओं के अविश्वास के कारण जारी नहीं किया गया था, बल्कि किसी भी गलती से बचने के लिए, खासकर अगर यह अनजाने में हुआ हो.”
(संपादनः फाल्गुनी शर्मा)
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