नई दिल्ली: स्वतंत्र राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने शनिवार को भारत के लिए एक “ऑल्टरनेटिव विजन” प्रदान करने के उद्देश्य से ‘इंसाफ’ नाम के एक नागरिक मंच की घोषणा की. सिब्बल ने स्पष्ट किया कि ‘इंसाफ’ एक मंच होगा न कि एक राजनीतिक दल, और नागरिकों, गैर-भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों और विपक्षी नेताओं से समर्थन की अपील की.
पूर्व कांग्रेस नेता ने अपने आवास पर एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि 11 मार्च को जंतर-मंतर पर एक जनसभा में प्लेटफॉर्म का विजन और उद्देश्य बताया जाएगा. सिब्बल ने वकीलों से देश भर में हो रहे अन्याय को ठीक करने के लिए इस समूह में सबसे आगे रहने की अपील की.
सिब्बल ने कहा, “एक या दो साल से मैं सोच रहा था कि क्या करना है (मौजूदा राजनीतिक स्थिति के बारे में). यदि आप इतिहास पर नज़र डालें, तो जब भी कोई सामाजिक सुधार हुआ है, वकील सबसे आगे रहे हैं. और मैं निराश हूं कि आज भारत के वकील खामोश हैं.’
‘इंसाफ’ के पीछे के विचार के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि यह एक “राष्ट्रीय स्तर का मंच” होगा जिसमें वकील सबसे आगे होंगे.
“जहां भी अन्याय होगा, आम लोग, सिविल सोसायटी और वकील इसके खिलाफ लड़ने के लिए एक साथ आएंगे. मैंने सोचा कि आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) की शाखाएं हर जगह हैं और वे इन शाखाओं का उपयोग अपनी विचारधारा का प्रचार के लिए करते हैं. इस विचारधारा के कारण बहुत अन्याय होता है. हम चाहते हैं कि इंसाफ के सिपाही (न्याय के सिपाही) इस देश के हर मोहल्ले, ब्लॉक, गांव और शहर में खड़े हों और इस अन्याय से लड़ें.
इस संदर्भ में, सिब्बल ने संविधान की दसवीं अनुसूची की भी बात की, इसे “दलबदलुओं का स्वर्ग” कहा. दसवीं अनुसूची दल-बदल के आधार पर निर्वाचित प्रतिनिधियों की अयोग्यता वाले प्रावधानों से संबंधित है.
सिब्बल ने कहा,“2014 के बाद से, आठ निर्वाचित सरकारें गिर चुकी हैं (भाजपा द्वारा गिराई गई). किस अन्य लोकतांत्रिक देश में कानून तोड़े जाते हैं, विधायकों को खरीदा जाता है और अन्य राज्यों में ऐसा करने के लिए रोका जाता है? और अदालतें, लोग, वकील, सब चुप हैं. यह राजनीतिक अन्याय है.”
इसके बाद उन्होंने आर्थिक अन्याय के बारे में बात करते हुए कहा कि “देश के सौ सबसे अमीर लोगों के पास संयुक्त रूप से 54 लाख करोड़ रुपये की संपत्ति है”. केंद्रीय एजेंसियों द्वारा विपक्षी नेताओं के खिलाफ कार्रवाई के संदर्भ में, उन्होंने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को केंद्र सरकार के “वेलेंटाइन” के रूप में भी संदर्भित किया.
उन्होंने कहा, ‘आज स्थिति ऐसी है कि यह सरकार बनाम जनता है. हम जनता के लिए सरकार चाहते हैं. जब तक देश की जनता इस अन्याय के विरुद्ध संघर्ष करने के लिए नहीं उठती, तब तक हम बहुत कठिन समय में हैं. यह लोगों के बीच जागरूकता पैदा करने और उन्हें हमारे इंसाफ के सिपाही बनने के लिए कहने का समय है.
ॉसिब्बल ने बताया कि आंदोलन में शामिल होने के इच्छुक लोगों को सक्षम करने के लिए एक वेबसाइट बनाई गई है और एक राष्ट्रीय टेलीफोन हेल्पलाइन स्थापित की जा रही है.
(अनुवाद एवं संपादनः शिव पाण्डेय)
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