नई दिल्लीः एक ऐतिहासिक संगठनात्मक परिवर्तन को चिह्नित करते हुए, कांग्रेस पार्टी ने शनिवार को अपनी कार्यसमिति में अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी), अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी), महिलाओं, युवाओं और अल्पसंख्यकों को पार्टी पदों पर 50 प्रतिशत आरक्षण देने का फैसला किया.
छत्तीसगढ़ के नया रायपुर में पार्टी ने 85वें पूर्ण अधिवेशन के दौरान अपने संविधान में यह संशोधन किया. कांग्रेस ने कहा कि यह फैसला सामाजिक न्याय के एक नए अध्याय की शुरुआत है.
कांग्रेस पार्टी ने एक बयान में कहा, ‘‘अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति / अन्य पिछड़ा वर्ग / अल्पसंख्यकों के लिए 50 प्रतिशत का आरक्षण और सभी पदाधिकारियों और प्रतिनिधियों के लिए आरक्षित और अनारक्षित श्रेणियों में युवाओं और महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत का आरक्षण प्रदान करने के लिए संविधान में संशोधन किया गया है. उदयपुर शिविर में प्रतिपादित ‘‘50 अंडर 50’’ की अवधारणा को संविधान में शामिल किया गया है.’’
पार्टी के संशोधित संविधान के अनुसार, कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) में अब लोकसभा और राज्यसभा दोनों में कांग्रेस के नेताओं के अलावा पार्टी के पूर्व प्रधानमंत्रियों और पूर्व एआईसीसी प्रमुखों को शामिल किया जाएगा.
गौरतलब है कि कांग्रेस पार्टी ने अपने संविधान में कुल 85 संशोधन किए.
संशोधित संविधान के अनुसार, 1 जनवरी, 2025 से कांग्रेस के पास केवल डिजिटल सदस्यता होगी.
85वें पूर्ण अधिवेशन के दौरान, पार्टी ने अपना राजनीतिक प्रस्ताव भी जारी किया, जिसमें उसने घृणा अपराधों के खिलाफ एक कानून लाने, नागरिकों को मुफ्त स्वास्थ्य सेवा के अधिकार की गारंटी देने, जम्मू और कश्मीर के राज्य का दर्जा बहाल करने आदि का वादा किया.
प्रस्ताव में यह भी कहा गया है कि इस साल नौ राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनाव ‘‘भारत के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण’’ हैं और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार को वैचारिक आधार पर लेने के लिए विपक्ष को एकजुट होने की ज़रूरत है.
इसमें कहा गया है कि पार्टी पूर्वोत्तर राज्यों, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड को विशेष श्रेणी का दर्जा बहाल करेगी.
मसौदा प्रस्ताव बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार पर भारी पड़ा, उस पर राजनीतिक प्रतिशोध का आरोप लगाया गया, ईडी, एनआईए, सीबीआई और आईटी जैसी केंद्रीय एजेंसियों को ‘‘राजनीतिक विरोधियों को डराने और दबाने’’ का भी आरोप लगाया गया.
इसमें कहा गया है कि कांग्रेस ‘‘समान विचारधारा वाली धर्मनिरपेक्ष ताकतों की पहचान करने’’, उन्हें जुटाने और संरेखित करने” के लिए बाहर जाएगी. प्रस्ताव में कहा गया है कि किसी तीसरी ताकत के उभरने से भाजपा को फायदा होगा.
प्रस्ताव में ये भी कहा गया है कि कांग्रेस अब तक के सबसे बड़े जन संपर्क कार्यक्रम के बाद 2024 के लिए एक विजन दस्तावेज तैयार करेगी, जिसमें बेरोजगारी, गरीबी उन्मूलन, महंगाई, महिला सशक्तिकरण, रोजगार सृजन, राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे मुद्दों को शामिल किया जाएगा.
गृहमंत्री अमित शाह की इस टिप्पणी के स्पष्ट संदर्भ में कि भाजपा का 2024 के चुनावों में कोई मुकाबला नहीं है, कांग्रेस ने कहा कि वह इस चुनौती का स्वागत करती है.
पार्टी ने कहा, ‘‘यह काफी चौंकाने वाला है कि भाजपा नेता यह कहकर अहंकार के शिखर पर पहुंच गए हैं कि 2024 में भाजपा का कोई प्रतिस्पर्धी नहीं है. यह न केवल कांग्रेस और अन्य दलों के लिए, बल्कि भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए एक बड़ी चुनौती है और कांग्रेस इस चुनौती का स्वागत करती है.’’
इससे एक दिन पहले पूर्व कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी ने केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा पर देश की हर संस्था को कमज़ोर करने का आरोप लगाया.
उन्होंने कहा, ‘‘यह कांग्रेस और पूरे देश के लिए एक चुनौतीपूर्ण समय है. भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने देश की हर एक संस्था पर कब्जा कर लिया है और उसे कमज़ोर दिया है. यह विपक्ष की किसी भी आवाज को बेरहमी से चुप कराती है.’’
यह भी पढ़ेंः ‘मेरी पारी भारत जोड़ो यात्रा के साथ समाप्त’- कांग्रेस सत्र में सोनिया गांधी