नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ कथित अपमानजनक टिप्पणी को लेकर दिल्ली में असम पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा को बुधवार को अंतरिम जमानत दे दी.
चीफ जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति एम.आर. शाह और न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा की बेंच ने कहा, “याचिकाकर्ता की सुरक्षा के लिए जब तक वह सभी प्राथमिकी के संबंध में न्यायिक अदालत के समक्ष नियमित जमानत के लिए आवेदन नहीं करता है, हम निर्देश देते हैं कि याचिकाकर्ता को लिस्टिंग की अगली तारीख तक आज शाम दिल्ली की अदालत द्वारा अंतरिम जमानत पर रिहा कर दिया जाएगा.”
पीठ ने कथित तौर पर यह भी स्वीकार किया कि, “देखने पर लगता है कि बोले गए शब्द एफआईआर में लागू धाराओं का नेतृत्व नहीं करते हैं.”
शीर्ष अदालत ने कहा कि खेड़ा को 28 फरवरी को सुनवाई की अगली तारीख तक दिल्ली में न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश करने पर अंतरिम जमानत पर रिहा किया जाना चाहिए.
वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने अदालत से कहा कि खेड़ा बयान के लिए बिना शर्त माफी मांगेंगे.
आदेश लिखवाने के बाद, CJI चंद्रचूड़ ने सिंघवी से कहा, “हमने आपकी रक्षा की है. लेकिन कुछ स्तर की बातचीत होनी चाहिए.”
शीर्ष अदालत ने खेड़ा की उनके खिलाफ सभी प्राथमिकी को एक साथ करने की याचिका पर यूपी और असम सरकार को भी नोटिस जारी किया.
मुंबई में 17 फरवरी को आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में, खेड़ा हिंडनबर्ग-गौतम अडानी विवाद को लेकर सरकार पर हमला कर रहे थे, जब उन्होंने कहा कि जब पूर्व प्रधानमंत्रियों पी.वी. नरसिम्हा राव और अटल बिहारी वाजपेयी, “नरेंद्र गौतमदास की क्या समस्या है, क्षमा करें … नरेंद्र दामोदरदास मोदी”?
खेरा ने बाद में ट्वीट किया, “मैं वास्तव में भ्रमित हो गया कि यह दामोदरदास है या गौतम दास….”
उसके बाद उत्तर प्रदेश-वाराणसी और लखनऊ- और असम में कई प्राथमिकी दर्ज की गईं. एफआईआर में भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं का उल्लेख है, जिसमें धारा 153ए (धार्मिक सद्भाव को बिगाड़ना), 153बी (अभियोग, राष्ट्रीय हित के लिए हानिकारक बयान) और 295 (किसी भी वर्ग के धर्म का अपमान करने के इरादे से पूजा स्थल को नुकसान पहुंचाना या अपवित्र करना) शामिल हैं.)
खेड़ा को सोमवार को असम पुलिस ने दिल्ली हवाई अड्डे पर छ्त्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर जाने वाले एक विमान से उतारकर गिरफ्तार कर लिया. उनके उतरने के बाद, कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने कथित तौर पर विमान से बाहर निकलकर टरमैक पर विरोध प्रदर्शन किया.
‘जानबूझकर और कैलकुलेशन के साथ किया गया’
सिंघवी ने दोपहर 2 बजे पीठ के समक्ष मामले का तत्काल उल्लेख किया, न्यायाधीशों को सूचित किया कि खेड़ा को हवाई जहाज से उतार दिया गया और गिरफ्तार कर लिया गया. तब वरिष्ठ अधिवक्ता ने मांग की कि खेड़ा के खिलाफ एफआईआर को एक साथ मिला दिया जाए.
बेंच ने दोपहर तीन इस मामले की सुनवाई की.
सिंघवी ने कहा कि खेड़ा के खिलाफ लगाए गए सभी अपराधों के लिए अधिकतम तीन से पांच साल तक की सजा हो सकती है. उन्होंने जोर देकर कहा कि अर्नेश कुमार मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले की रोशनी में खेड़ा को सीधे गिरफ्तार नहीं किया जा सकता था, जिसके लिए पुलिस अधिकारियों को उन मामलों में उपस्थित होने का नोटिस जारी करने की आवश्यकता होती है, जिनमें सात साल से कम की जेल की सजा होती है. जबकि खेड़ा को बिना नोटिस भेजे गिरफ्ताकर कर लिया गया.
सिंघवी की दलील का विरोध करते हुए कि बयान एक गलती थी, असम सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने दावा किया कि खेड़ा का बयान “जानबूझकर और कैलकुलेटिव” था.
उन्होंने कहा, “यह बयान एक इरादे से दिया गया है ताकि सार्वजनिक चर्चा से हटा जा सके और यह सार्वजनिक असंतोष को बढ़ावा देता है. यह देश के संवैधानिक रूप से चुने गए प्रधानमंत्री के खिलाफ है.’
भाटी ने पीठ को मुंबई प्रेस कांफ्रेंस का एक वीडियो भी साझा किया और वह वीडियो अदालत में चलाया गया. एडिशन सॉलिसिटर जनरल ने कहा, “चेहरे के भाव और चारों ओर हंसी देख सकते हैं. यह जानबूझकर और देश के पीएम का अपमान करने के लिए दिया गया बयान है.”
(संपादनः शिव पाण्डेय)
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