नई दिल्ली : वर्ल्ड तमिल फेडरेशन के अध्यक्ष पाझा नेदुमारन ने सोमवार को एक चौंकाने वाली जानकारी दी है. उन्होंने कहा कि लिट्टे प्रमुख वेलुपिल्लई प्रभाकरण अभी जिंदा हैं और स्वस्थ हैं. उन्होंने सभी तमिलों को उनका समर्थन करने की अपील की.
पाझा नेदुमारन ने कहा, ‘मैं लिट्टे प्रमुख वेलुपिल्लई प्रभाकरन के बारे में कुछ सच बताना चाहूंगा. वह जीवित हैं और स्वस्थ हैं. हमें विश्वास है कि इससे उनको लेकर पैदा हो रही अफवाहों पर विराम लगेगा.’
नेदुमारन ने कहा कि आपको बता दें कि वह (प्रभाकरन) जल्द ही तमिल समुदाय की मुक्ति के लिए एक योजना की घोषणा करने वाले हैं. दुनिया के सभी तमिल लोगों को मिलकर उनका समर्थन करना चाहिए.
गौरतलब है कि 2009 में श्रीलंका सरकार ने प्रभाकरन को मृति घोषित कर दिया था.
Let me inform you that he (Prabhakaran) is soon going to announce a plan for the liberation of the Tamil race. All the Tamil people of the world should support him together: Pazha Nedumaran, President of the World Tamil Federation pic.twitter.com/ftwiEytBDX
— ANI (@ANI) February 13, 2023
उन्होंने कहा कि हमारे तमिल राष्ट्रीय नेता प्रभाकरन के बारे में सच्चाई बताते हुए खुशी हो रही है. वह ठीक हैं. मुझे दुनिया भर के तमिल लोगों के लिए यह घोषणा करते हुए बहुत खुशी हो रही है. मुझे उम्मीद है कि यह खबर उन अटकलों पर विराम लगाएगी जो अब तक उनके बारे में व्यवस्थित रूप से फैलाई गई है.
कौन हैं लिट्टे प्रमुख प्रभाकरन
बता दें कि वेलुपिल्लई प्रभाकरन ने श्रीलंकाई तमिल गुरिल्ला और लिबरेशन टाइगर्स ऑफ़ तमिल ईलम (LTTE) की स्थापना की थी. इस उग्रवादी संगठन का मकसद श्रीलंका के उत्तर और पूर्व में एक स्वतंत्र तमिल राज्य बनाना था. इसके लिए लिट्टे ने श्रीलंका में 25 साल से ज्यादा समय तक युद्ध लड़ा.
प्रभाकरन अपने परिवार में चार बच्चों में सबसे छोटे थे, जिनका जन्म श्रीलंका के जाफना प्रायद्वीप के उत्तरी तट स्थित वाल्वेटीथुराई में हुआ था. लिट्टे श्रीलंका में तमिलों के लिए स्वायत्तता की मांग लगातार कर रहा था. उसका आरोप था कि सिंहल दबदबे वाले श्रीलंका में उनके साथ भेदभाव किया जाता है. इसी को लेकर प्रभाकरन ने 1976 में लिट्टे (LTTE) का सशस्त्र संगठन बनाया.
इस संगठन ने जाफना के बाहर श्रीलंकाई गश्ती दल पर 1983 में हमला किया था, जिसमें 13 सैनिक मारे गए थे. इसके बाद श्रीलंका में तमिलों के खिलाफ दंगा भड़का और हजारों तमिल मारे गए. लिट्टे को तमिल टाइगर्स के रूप में भी जाना जाता है, इसने प्रभाकरन के नेतृत्व में श्रीलंका के उत्तर में बड़े हिस्से पर कब्जा जमा लिया. यही नहीं श्रीलंका सरकार के खिलाफ प्रभाकरन अपना स्वतंत्र राज चलाना शुरू कर दिया. श्रीलंकाई सेना ने 2006 में लिट्टे से वार्ता नाकाम होने के बाद उसके खिलाफ अभियान शुरू कर दिया.
‘जिंदा पकड़े जाने के बजाय खुद मरना पसंद करूंगा’
प्रभाकरन इस अभियान को लेकर कहा था कि दुश्मन द्वारा जिंदा पकड़े जाने के बजाय वह खुद मरना पसंद करेगा. श्रीलंका सरकार ने घोषित किया था कि 2009 में लड़ाई के दौरान प्रभाकरन की मौत हो गई. उनके बेटे चार्ल्स एंथोनी की भी लड़ाई में मौत हो गई. श्रीलंकाई तमिल प्रभाकरन को एक शहीद के रूप में देखते रहे. लेकिन आलोचक उन्हें विद्रोही मानते हैं.
प्रभाकरन ने एक दशक में एलटीटीई के 50 से कम लोगों के समूह को 10 हजार के समूह में बदल दिया था, जिसका मकसद श्रीलंका की सेना से टक्कर लेना था.
1991 में राजीव गांधी की हत्या में प्रभाकरन का हाथ जिसके बाद वह भारत में पसंद नहीं किया जाता था. तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में राजीव गांधी को उस समय बम से उड़ा दिया गया था जब वह एक जनसभा को संबोधित कर रहे थे.
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