मदुरै (तमिलनाडु) : डीएमके सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री टीआर बालू ने विवादित बयान देते हुए कहा कि जो भी उनकी पार्टी के अध्यक्ष और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन को छूएगा उसके हाथ काट देंगे.
मदुरै में सेतुसमुद्रम परियोजना के समर्थन में आयोजित एक कार्यक्रम में बोलते हुए, DMK नेता ने परियोजना के लिए अपने प्रयासों के बारे में बात की. बालू ने कहा, ‘मैं अपने पार्टी अध्यक्ष और मुख्यमंत्री एमके स्टालिन, या द्रविड़ कज़गम के प्रमुख के वीरामणि को छूने वाले किसी भी व्यक्ति के हाथ काट दूंगा. यह मेरा धर्म है.’
डीएमके सांसद ने सेतुसमुद्रम नौवहन नहर परियोजना परियोजना को रोकने के लिए केंद्र में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार की आलोचना की. उन्होंने कहा कि परियोजना को रोकने का केंद्र का फैसला एक ट्रेन को बीच रास्ते में अचानक रोकने जैसा है.
उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार वैज्ञानिक या तर्कसंगत सोच को अपनाने के बजाय धार्मिक लाइन पर चलते हुए परियोजना को रोक रही है. डीएमके नेता ने दावा किया कि इस परियोजना से अब तक सालाना 750 करोड़ रुपये का मुनाफा होता.
बालू ने कहा कि कई मौकों पर विकास परियोजनाओं को पूरा करने के लिए धार्मिक मान्यताओं से समझौता किया गया.
उन्होंने कहा, ‘मेरे निर्वाचन क्षेत्र में जीएसटी पर सरस्वती मंदिर, लक्ष्मी मंदिर और पार्वती मंदिर को तोड़ा गया. मैंने ही इन तीनों मंदिरों को तोड़ा. मुझे पता है कि मुझे वोट नहीं मिलेंगे लेकिन मुझे यह भी पता है कि वोट कैसे प्राप्त करना है. मेरे समर्थकों ने मुझे चेतावनी भी दी कि अगर मंदिर तोड़े गए तो मुझे वोट नहीं मिलेंगे. लेकिन मैंने उनसे कहा कि इसके अलावा कोई रास्ता नहीं है.’
डीएमके सांसद ने कहा, ‘मैंने एक मंदिर की जरूरत बताई. मैंने बेहतर सुविधाओं के साथ बेहतर मंदिरों का निर्माण किया. इस तरह, कई जगहों पर मैंने धार्मिक विश्वासों को पूरा किया और परियोजनाओं को पूरा किया.’
इस महीने की शुरुआत में, तमिलनाडु विधानसभा ने एक प्रस्ताव पारित कर केंद्र से सेतुसमुद्रम परियोजना को बिना किसी देरी के लागू करने का आग्रह किया था.
मुख्यमंत्री एमके स्टालिन द्वारा पेश किए गए प्रस्ताव में केंद्र सरकार से परियोजना में देरी नहीं करने का अनुरोध किया गया था जैसा कि इसे तमिलनाडु और देश की आर्थिक वृद्धि के लिए महत्वपूर्ण बताया गया था.
भारत और श्रीलंका के बीच फैली एक भव्य जलमार्ग परियोजना, सेतुसमुद्रम परियोजना में पाक जलडमरूमध्य को मन्नार की खाड़ी से जोड़ने का प्रस्ताव है. इस परियोजना को राज्य और देश में आर्थिक समृद्धि लाने की कुंजी के रूप में देखा जाता है.
2005 में कमीशन की गई यह परियोजना दक्षिणपंथी समूहों के विरोध की वजह से रुकी थी, उनका दावा था कि यह परियोजना ‘राम सेतु’ पुल को नुकसान पहुंचा सकती है, जिसके बारे में माना जाता है कि इसे भगवान राम ने श्रीलंका पहुंचने के लिए बनाया था.
सेतुसमुद्रम परियोजना में पाक जलडमरूमध्य में एक नहर बनाकर जहाज़ की यात्रा को लगभग 650 किमी तक कम करने का प्रस्ताव शामिल था.
पर्यावरणविदों और कार्यकर्ताओं ने भी इस परियोजना का विरोध करते हुए दावा किया था कि यह देश के दक्षिणी छोर रामेश्वरम में पर्यावरण के लिए संभावित खतरा पैदा कर सकती है.
यह भी पढ़ें: भारत के सामने दो रास्ते- BJP-RSS का नफरत, अहंकार का और हमारा लोगों को जोड़ने का : राहुल गांधी