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Friday, 22 November, 2024
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उत्पादों का डेमो और लाइव वीडियो के माध्यम से बिक्री- ‘लाइव कॉमर्स’ अपना रही हैं ई-कॉमर्स कंपनियां

भारत में लाइव कॉमर्स वाले कारोबार का आकर साल 2025 तक एक $4-5 बिलियन तक हो जाने की उम्मीद है. फ़िलहाल,  साल 2021 में $339.3 बिलियन के कारोबार के साथ सबसे बड़ा लाइवस्ट्रीम शॉपिंग उद्योग चीन में कार्यरत है.

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नई दिल्ली: हालांकि लाइव कॉमर्स भारत में अभी भी एक प्रारंभिक अवस्था में ही है, मगर विशेषज्ञों का कहना है कि यह ऑनलाइन विक्रेताओं के लिए उत्पादों को खोजने और ग्राहकों का भरोसा पैदा करके अपनी पहुंच बढ़ाने हेतु एक नया अवसर प्रदान करता है.

लाइव कॉमर्स या लाइवस्ट्रीम शॉपिंग का मतलब ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर ग्राहकों के साथ रीयल-टाइम इंटरैक्शन (वास्तविक समय में किया गया पारस्परिक संवाद) के माध्यम से उत्पादों की बिक्री होता है. यह लाइवस्ट्रीम में शामिल होने वाले ग्राहकों को अपने सवालों को उन लोगों तक पहुंचानें में मदद करता है जो इसे होस्ट करते हैं. ये होस्ट आमतौर पर सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर ही होते हैं.

बेंगलुरु स्थित रेडसीर स्ट्रैटेजी कंसल्टेंट्स के सहयोगी भागीदार (एसोसिएट पार्टनर) संजय कोठारी ने दिप्रिंट को बताया, ‘भारत में, लाइव कॉमर्स का चलन पिछले साल की शुरुआत में शुरू ही हुआ था. फ्लिपकार्ट और मीशो जैसी कई ई-कॉमर्स कंपनियों ने अपने प्लेटफॉर्म पर इस प्रारूप को आजमाया है. हालांकि, अभी यह कहना जल्दबाजी होगी कि वर्तमान में इसमें कैसी वृद्धि हुई है, मगर हम उम्मीद करते हैं कि साल 2025 तक लाइव कॉमर्स के कारोबार का दायरा 4-5 बिलियन डॉलर का हो जाएगा.’

कोठारी ने कहा कि फिलहाल भारत में ई-कॉमर्स स्पेस 62-65 बिलियन डॉलर आंका गया है, और साल 2025 तक इसके 20-25 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर से बढ़ने की उम्मीद है. उन्होंने कहा कि हालांकि लाइव कॉमर्स के पिछले साल ही जोर पकड़ने की उम्मीद थी, मगर ऐसा नहीं हो सका, क्योंकि ई-कॉमर्स में शामिल कंपनिया अपने गो-टू मार्केट (वांक्षित बाजार) का पता लगाने और अपनी पेशकशों को भारतीय बाजार के अनुरूप बनाने की कोशिश कर रहे थे. उन्होंने कहा, ‘लेकिन एक बार इस चीज को हल किये जाने के बाद, लाइव कॉमर्स कुछ ही समय में बड़ा पैमाना हासिल कर लेगा. साल 2022 में ज्यादातर एक वाटर टेस्टिंग (शुरूआती परीक्षण) का ही परिदृश्य था.’

ऑनलाइन सोशल कम्युनिटी प्लेटफॉर्म (सामुदायिक मंच) लोकलसर्किल्स के संस्थापक सचिन तपारिया ने दिप्रिंट को बताया कि जहां चीन में ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स साल 2016 से ही लाइव कॉमर्स का इस्तेमाल करे हैं, वहीं भारत में वे अभी इसे शुरू ही कर रहें हैं.

उन्होंने कहा, ‘इंटरनेशनल स्टैंडर्ड्स आर्गेनाईजेशन या आईएसओ ने सभी देशों द्वारा अपनाने के लिए लाइव कॉमर्स से जुड़ा एक मानक – – आईएसओ / टीसी 321 – प्रस्तावित किया है. भारत या तो आईएसओ/टीसी 321 मानक को स्वीकार कर सकता है और इसे ही अमल में ला सकता है, या फिर स्थानीय बाजार की गतिशीलता और उपभोक्ताओं की पसंद के आधार पर अपना खुद का मानक बना सकता है, और इसे आईएसओ/टीसी321 मानक में शामिल करने के लिए आईएसओ के समक्ष प्रस्तुत कर सकता है.’

उद्योग जगत के एक विशेषज्ञ, जो अपना नाम नहीं बताना चाहते थे, ने कहा कि ऑनलाइन बिक्री से संबंधित लाइव कॉमर्स के लिए मानकीकरण काफी महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि इससे ई-स्टोर्स के लिए लाइव कॉमर्स को संचालित करने, उपभोक्ताओं को गुमराह करने से बचने, बौद्धिक संपदा अधिकारों की रक्षा करने और उपभोक्ताओं की गोपनीयता एवं प्राथमिकताएं की सुरक्षा करने के तरीके के बारे में एक चेकलिस्ट तैयार करने में मदद मिलेगी. इसके अलावा यह लघु और मध्यम उद्यम (स्माल एंड मीडियम इंटरप्राइजेज –एसएमई) के लिए एक उचित बैंडविड्थ आवंटन को भी प्रोत्साहित करने में मदद करेगा.


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भारतीय खरीददार और ‘पुल-बेस्ड’ मॉडल  

भारतीय मानक ब्यूरो (ब्यूरो ऑफ़ इंडियन स्टैंडर्ड्स – बीआईएस) की समिति द्वारा चर्चा के लिए यह मामला उठाए जाने से पहले, लोकलसर्किल्स ने इस बात को समझने हेतु एक सर्वेक्षण किया कि देश भर के उपभोक्ता लाइव कॉमर्स का उपयोग कैसे करना चाहते हैं और क्या भारत को इसके लिए एक स्वदेशी मानक बनाना चाहिए?

इस सर्वेक्षण के अनुसार, 69 प्रतिशत भारतीय ऑनलाइन शॉपर्स (खरीददारों) का मानना है कि लाइव कॉमर्स उनके लिए उपयोगी होगा और वे उत्पाद के डेमो (प्रदर्शन), बिक्री की शर्तों,  उत्पाद वापसी (रिटर्न), वारंटी और मूल्य निर्धारण के लिए वास्तविक समय में किसी तक पहुंच बनाने के लिए इसका उपयोग करना चाहते हैं.

लगभग 35 प्रतिशत ऑनलाइन खरीददारों ने कहा कि यदि लाइव कॉमर्स की पेशकश की जाती है तो वे विक्रेताओं के प्रतिनिधि (सेलर रिप्रेजेन्टेटिव) के साथ कीमतें तय करने अथवा छूट प्राप्त करने पर चर्चा करने के इच्छुक हैं. इसी सर्वेक्षण में, 54 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि वे लाइव कॉमर्स के माध्यम से बिक्री की शर्तों और बिक्री के बाद की देखरेख से जुड़े सवालों के जवाब चाहते हैं; वहीँ 50 प्रतिशत का कहना था कि वे किसी उत्पाद के बारे में स्पष्टता चाहते हैं. 38 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे चाहते हैं कि कंपनियां उत्पाद से संबंधित डेमो सत्र में इनसे जुडी शिक्षा/उपयोगिता/जानकारी सामने रखें. साथ ही 35 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि वे कीमतों पर चर्चा करने के संबंध में विक्रेताओं के साथ यह बातचीत करना चाहते हैं और क्या कोई बेहतर छूट/ऑफर उपलब्ध है.

इस सर्वेक्षण के बाद, लोकलसर्किल्स ने केंद्र सरकार से सिफारिश की है कि, उत्पादों के लिए पूर्व-निर्धारित लाइव सत्रों के अलावा, ऑनलाइन प्लेटफार्मों को अधिक मूल्य वाले उत्पादों (10,000 रुपये से ऊपर के उत्पादों) के मामले में ग्राहकों की सेवा के लिए लाइव कॉमर्स शुरू करने पर विचार करना चाहिए, और आने वाले समय के साथ और अन्य उत्पाद वाले सेग्मेंट्स में इसका विस्तार करना चाहिए. इसके अतिरिक्त, पूर्व-निर्धारित इन्फ्लुएंसर या सेलिब्रिटी सत्रों को विषय वस्तु के प्रसारण से जुड़े आवश्यक दिशानिर्देशों का पालन करना चाहिए और लाइवस्ट्रीम को उम्र, विषय वस्तु प्रकार आदि के लिए उचित रूप से वर्गीकृत किया जाना चाहिए.

इसके अलावा, इसकी सिफारिशों में कहा गया है कि भारत को चीन- जो वर्तमान में पूरी दुनिया में लाइव कॉमर्स के लिए सबसे बड़ा बाजार है और जो एक ब्रांड पुश-आधारित मॉडल का अधिक अनुसरण करता है – के विपरीत एक पुल-बेस्ड मॉडल का विकल्प चुनना चाहिए.

तपारिया ने कहा, ‘लाइव कॉमर्स को अगर लोकलसर्किल्स के अध्ययन के अनुसार और भारतीय उपभोक्ताओं की मांग के अनुरूप किया जाता है, तो इसमें भारतीय ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म के लिए विकास की अगली लहर लाने की क्षमता है.’

उन्होंने बताया कि एक पुश-बेस्ड वह है जहां ब्रांड या सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर लाइवस्ट्रीम सत्रों को अपने हिसाब से शेड्यूल (निर्धारित) करते हैं, जिसमें उपभोक्ता शामिल हो सकते हैं और मौके पर ही खरीदारी कर सकते हैं; जबकि एक पुल-बेस्ड मॉडल वह है जहां उपभोक्ता सीधे विक्रेता या ब्रांड के प्रतिनिधि के साथ बातचीत कर सकते हैं.

उन्होंने स्पष्ट किया कि जैसा कि लोकलसर्कल्स सर्वेक्षण में पाया गया है, भारत में  पुल-बेस्ड मॉडल में अधिक उपयोग में आने की संभावना है,  क्योंकि यहां के लोग बड़े पैमाने पर पैसे खर्च करते समय (विक्रेताओं) से बातचीत करने के आदी हैं और इससे नए उपभोक्ता साथ आ सकते हैं तथा ई-कॉमर्स को अपना सकते हैं.

इस बीच, कोठारी ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि लाइव कॉमर्स के प्रति अच्छा आकर्षण देखने को मिलेगा, खासकर फैशन, ब्यूटी, लाइफस्टाइल और होम डेकोर वाले क्षेत्रों में.

उन्होंने कहा, ‘लाइव कॉमर्स का फिलहाल चीन में बड़ा आकार है और अमेरिका में इसका कुछ हद तक उपयोग है. लेकिन लाइव कॉमर्स जो करता है वह यह है कि यह उपभोक्ताओं को उत्पाद की खोज में मदद करता है और यह चीनी एवं भारतीय बाजार के लिए अधिक प्रासंगिक है, विशेष रूप से टियर-2 और इससे परे के शहरों में.’

विभिन्न अनुमान यही बताते हैं कि चीन में लाइव कॉमर्स काफी अधिक तेजी के साथ आगे बढ़ रहा है.

आईरिसर्च के अनुसार, चीन का लाइवस्ट्रीम शॉपिंग उद्योग साल 2017 में इसके 20.9 बिलियन युआन ($3.1 बिलियन) के सकल व्यापारिक मूल्य (ग्रॉस मर्केडाइज़ वैल्यू) से बढ़कर साल 2021 में 2.2 ट्रिलियन युआन ($339.3 बिलियन) हो गया है. साथ ही, इस उद्योग के साल  2023 में 4.9 ट्रिलियन युआन ($732.8 बिलियन) को पार करने की उम्मीद है.

इस बीच, स्टेटिस्टा द्वारा जुटाए गए आंकड़ों से पता चलता है कि यूएसए में लाइव कॉमर्स के कारोबार के साल 2024 तक 35 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है.


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लाइव कॉमर्स के पक्ष में हैं अमेज़न, फ्लिपकार्ट

दिप्रिंट के साथ बातचीत में फ्लिपकार्ट के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट प्रभ सिंह ने बताया, ‘शॉर्ट-फॉर्मेट कंटेंट (छोटे प्रारूप वाली विषय वस्तु) की बढ़ती लोकप्रियता और युवा भारतीयों की बढ़ती तकनीकी समझ ने आज के दिन में लाइव कॉमर्स के तेजी से हो रहे विकास में योगदान दिया है.’

उन्होंने कहा कि फ्लिपकार्ट का मानना है कि लाइव कॉमर्स के जरिये हितधारकों का एक संपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र (इकोसिस्टम) लाभान्वित हो सकता है, क्योंकि यह अंतिम स्तर के उपभोक्ता को एक ‘प्रेरणादायक, शिक्षाप्रद और पारस्परिक संवाद’ वाले प्रारूप में विशिष्ट और प्रासंगिक जानकारी साझा करने में सक्षम बनाता है.

उन्होंने कहा, ‘हमने पिछले जून में साल लाखों भारतीयों के लिए ऑफ़लाइन खरीदारी के अनुभव को वर्चुअल रूप से फिर से तैयार करने के प्रयास के तहत इमेज सर्च (तस्वीरों के माध्यम से खोज), वीडियो कैटलॉगिंग और फ़िल्टर्ड सर्च सहित अन्य प्रौद्योगिकी-आधारित पहलों के साथ लाइव कॉमर्स वाले अनुभव को सुलभ बनाया. चूंकि ग्राहकों की खरीदारी वाला सफर बड़ी तेजी के साथ गैर-रैखिक (नॉन-लीनियर) होता जा रहा है, इसलिए ब्रांडों को अपने दर्शकों के साथ सार्थक रूप से जुड़ने हेतु समय पर प्राप्त अंतर्दृष्टि (इनसाइट) और वर्तमान रुझानों के बारे में जानकारी की आवश्यकता होती है, और लाइव कॉमर्स ऐसा ही एक अवसर है.‘

अमेज़न इंडिया ने पिछले साल सितंबर में अमेज़न लाइव के लॉन्च की घोषणा की थी – जहां  ग्राहक सीधे उन कंटेंट क्रिएटर्स के साथ बातचीत कर सकते हैं जो अपने उत्पादों का प्रदर्शन करते हैं, वास्तविक समय में ग्राहकों के सवालों का जवाब देते हैं, ऑनलाइन पोल चलते  हैं और सीमित अवधि वाले डील्स (सौदों) की पेशकश करते हैं. इस कंपनी ने  ‘अमेज़न ग्रेट इंडियन फेस्टिवल, 2022’ के दौरान 150 से अधिक कंटेंट क्रिएटर्स की भागीदारी के साथ हर दिन 15 लाइव स्ट्रीम चलाए.

कंपनी ने बाद में बताया कि 50 लाख ग्राहकों ने अमेज़ॅन लाइव के सत्रों को देखा, और प्रति घंटे होने वाली भागीदारी 15,000 के चरम स्तर पर पहुंच गई थी.

कोठारी ने कहा, ‘लाइव कॉमर्स से उम्मीद की जाती है कि वह उत्पाद को डिस्कवर (खोज) करने में मौजूद वर्तमानखाई को पाट देगा और एक स्थानीय इन्फ्लुएंसर – कोई ऐसा जिसका साथ उपभोक्ता जुड़ाव महसूस कर सकता हो, और जो स्थानीय भाषा का उपयोग करके उनसे जुड़ सकता है – के माध्यम से भरोसे से संबंधित समस्याओं हल कर पायेगा. मोबाइल, और व्हाइट गुड्स (इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद) जैसे अधिक मूल्य वाले सामानों के लिए उत्पाद की खोज की समस्या हल हो गई है. उपभोक्ता स्मार्टफोन के ब्रांडस और फोन की विशिष्टताओं से अच्छी तरह वाकिफ हो गए हैं. मगर, फैशन, ब्यूटी, लाइफस्टाइल आदि की श्रेणी में बहुत सारे नए ब्रांड हैं जो अभी सामने आ रहे हैं और डिस्कवर किये जा सकते हैं.’

(अनुवाद: रावी द्विवेदी | संपादनः ऋषभ राज)

(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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