नई दिल्ली: दुनियाभर में मंदी का असर दिखने लगा है. दिग्गज कंपनी गूगल ने भी अपनी पैरेंट कंपनी अल्फाबेट इंक के करीब 12000 कर्मचारियों को नौकरी से निकालने का ऐलान किया है.
हालांकि, इसका बड़ा असर अमेरिका में काम कर रहे गूगल के कर्मचारियों पर दिखेगा. गूगल ग्लोबल वर्कफोर्स में छह फीसदी की कटौती कर रही है.
नौकरी से निकालने को लेकर कंपनी के सीईओ सुंदर पिचाई ने एक इमोशनल लेटर भी लिखा है और निकाले जा रहे कर्मचारियों के प्रति सहानुभूति भी जाहिर की है.
पिचाई ने लेटर में लिखा है, “मेरे पास आप लोगों से सांझा करने के लिए एक बुरी खबर है. हमने निर्णय लिया है कि लगभग 12000 कर्मचारियों निकाला जा रहा है. हमने सभी कर्मचारियों को अलग से मेल कर दिया है. दूसरे देशों में कानून और प्रैक्टिस की वजह से इसके प्रोसेस में समय लगेगा.”
पिचाई आगे लिखते हैं, “हम जहां हैं उसकी मैं पूरी जिम्मेदारी लेता हूं.”
गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई ने अपने लेटर में कर्मचारियों से पूरी सहानुभूति जाहिर करते हुए कहा है कि गूगल छोड़ने वाले लोगों की हम पूरी मदद करेंगे.
सुंदर ने गूगलर्स को संबोधित करते हुए कहा है कि कंपनी ने पिछले दो सालों में तेजी के दौर में नियुक्तियां की थीं लेकिन आर्थिक रूप से तब की परिस्थितियां आज से अलग थीं.
बता दें कि सुंदर पिचाई ने अपने कर्मचारियों के लिए ये संबोंधन कंपनी के समाचार ब्लॉग पर भी प्रकाशित की है.
निकाले जा रहे कर्मचारियों को संबोधित करते हुए पिचाई ने अमेरिका के कर्मचारियों के लिए विशेषतौर पर छंटनी के दौरान दिए जा रहे पैकेज की जानकारी दी है. उन्होंने लिखा है कि अमेरिका में जिन कर्मचारियों की छंटनी की जा रही है उन्हें 2022 के बोनस के साथ बाकी छुट्टियों के पैसे दिए जाएंगे. यही नहीं 60 दिनों का नोटिफिकेशन सैलरी भी दिया जाएगी. छंटनी किए जा रहे कर्मचारियों को राहत देते हुए पिचाई लिखते हैं कि कंपनी 16 सप्ताह के वेतन के साथ जीएसयू भी देगा.
अमेरिका के बाहर के कर्मचारियों को उस देश के कर्मचारी नियमों के अनुसार सुविधाएं दी जाएंगी.
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ग्लोबल मंदी और छटनी
बढ़ती महंगाई और वैश्विक अर्थव्यवस्था के बीच बड़े पैमाने पर बड़ी कंपनियां कर्मचारियों को निकाल रही हैं. हाल ही में माइक्रोसॉफ्ट ने 10 हजार कर्मचारियों की छंटनी की है वहीं इससे पहले अमेजन ने 18000 और मेटा इंक ने भी बड़ी संख्या में कर्मचारियों को निकाला है.
वहीं, ऑनलाइन खाना मंगाने की सुविधा देने वाला मंच स्विगी ने चुनौतीपूर्ण व्यापक आर्थिक परिस्थितियों का हवाला देते हुए शुक्रवार को 380 कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया. स्विगी के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) श्रीहर्ष मजेटी ने कहा कि ‘यह जरूरत से ज्यादा लोगों को नियुक्त करने के गलत फैसले का परिणाम है. हमें बेहतर करना चाहिए था.’
कंपनी के सह-संस्थापक और सीईओ ने एक इटरनल मेल भेजकर प्रभावित कर्मचारियों से मांफी भी मांगी और कहा कि सभी विकल्पों पर विचार करने के बाद यह बहुत मुश्किल फैसला किया गया है.
उन्होंने कहा कि कंपनी की वृद्धि दर कंपनी के लक्ष्यों के विपरीत धीमी है.
मजेटी ने कहा, ‘इसका मतलब है कि हमें अपने लाभ वाले लक्ष्य पाने के लिए सभी परोक्ष लागत की फिर से समीक्षा करनी होगी. हमने अवसंरचना, कार्यालय आदि जैसे परोक्ष व्यय में कमी लाने को लेकर पहले से ही कदम उठाना शुरू कर दिया है. हमें भविष्य के लक्ष्यों को देखते हुए कर्मियों की संख्या में भी बदलाव करने की जरूरत थी.’
मजेटी ने अपने ईमेल में कहा, ‘जरूरत से ज्यादा लोगों को नियुक्त करना गलत फैसले का मामला है और मुझे इस क्षेत्र में बेहतर करना चाहिए था.’
इससे पहले, सुबह उन्होंने स्विगी के कर्मचारियों को संबोधित किया.
कर्मचारी सहयोग योजना के तौर पर स्विगी ने प्रभावित कर्मचारियों के कार्यकाल और श्रेणी के आधार पर तीन से छह महीने तक सैलरी देने का प्रस्ताव है. इसमें प्रभावित कर्मियों को तीन महीने तक वेतन या नौकरी से निकाले जाने से पहले समय पर सूचना और नौकरी पूरा करने के हर साल के लिए 15 दिन की अनुग्रह राशि के साथ-साथ शेष बची ईएल (वैसी छुट्टियां जिसके पैसे मिलते हैं) का भुगतान किया जा सकता है.
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