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Wednesday, 20 November, 2024
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Covid को ठीक से हैंडल न करने पर हटाई गईं थीं शांति कुमारी, अब बनीं तेलंगाना की मुख्य सचिव

पद संभालने वाली पहली महिला, ए शांति कुमारी ने ऐसे समय में पदभार ग्रहण किया है जब राज्य चुनाव के लिए खुद को तैयार कर रहा है. उनकी पिछली पोस्टिंग में सीएमओ में प्रमुख सचिव और यूएनडीपी में 2 साल का कार्यकाल शामिल है.

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हैदराबाद : तेलंगाना सरकार ने बुधवार को ए. शांति कुमारी को राज्य का मुख्य सचिव नियुक्त किया, जो 2014 में राज्य के आंध्रा से अलग होने के बाद से तेलंगाना में इस पद को संभालने वाली पहली महिला हैं. 1989 बैच की भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारी, कुमारी ने पूर्व में ज्यादातर अपनी सेवा आंध्र प्रदेश में दी है.

कुमारी ने तेलंगाना सरकार के मुख्य सचिव के आधिकारिक हैंडल से ट्वीट किया, ‘मैं मुख्यमंत्री को मुझ पर भरोसा करने और तेलंगाना के मुख्य सचिव का पद देने के लिए धन्यवाद देती हूं. मुझ पर किए गए भरोसे के कारण मैं राज्य के विकास के लिए काम करूंगी.’

कुमारी ने अखिल भारतीय सेवा अधिकारी, 1989 बैच के सोमेश कुमार की जगह ली, जिन्हें केंद्र सरकार के कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) द्वारा आंध्र प्रदेश में रिपोर्ट करने के लिए कहा गया है. यह ऑर्डर मंगलवार को तेलंगाना उच्च न्यायालय के एक आदेश के बाद आया जिसमें सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल द्वारा कुमार को तेलंगाना कैडर आवंटित करने के आदेश को रद्द कर दिया गया था.

सोमेश कुमार का कार्यकाल दिसंबर 2023 में समाप्त हो रहा. आंध्र में उनका तबादला तेलंगाना की सत्तारूढ़ पार्टी, जिसे अब भारत राष्ट्र समिति कहा जाता है, और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच बढ़ते तनावों के वक्त आया है, जब राज्य इस साल चुनावों के लिए खुद को तैयार कर रहा है.

तेलंगाना के जनरल एडमिनिस्ट्रेशन डिपार्टमेंट के आंकड़ों के अनुसार, कुमारी सोमेश कुमार के बाद पद के लिए कतार में सबसे वरिष्ठ अधिकारी थीं. इससे पहले, वह पर्यावरण और वन विज्ञान के लिए विशेष मुख्य सचिव के रूप में कार्य कर रही थीं.

कुमारी के साथ काम कर चुके एक पूर्व नौकरशाह ने नाम न छापने की शर्त पर दिप्रिंट को बताया, ‘वह शांत स्वाभाव की हैं और बहुत ही लो-प्रोफाइल बना कर रखती हैं – अपने पूर्ववर्ती से बहुत अलग हैं. वह मृदुभाषी और समभाव (एक समान देखने वाली) रखती हैं.’

तेलुगू भूमि से ताल्लुक रखने वाली कुमारी ने 2020 के मध्य तक राज्य के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग के विशेष मुख्य सचिव के रूप में भी काम किया है, जब राज्य में कोविड की स्थिति को ‘गलत तरीके से संभालने’ के लिए आलोचना के बाद उन्हें बाहर कर दिया गया था.

मौत की गिनती में चूक की वजह से, महामारी के समय राज्य को सरकारी डॉक्टरों के अस्पतालों से बाहर निकलने और उनके विरोध से निपटना पड़ा था; निजी और सरकारी अस्पतालों में बिस्तरों की कमी की शिकायतों का अंबार लगा था; और तेलंगाना उच्च न्यायालय लगातार कम टेस्ट और टेस्ट सुविधाओं की कमी को लेकर राज्य की खिंचाई कर रहा था.

उनकी पिछली कुछ पोस्टिंग में 2015 से 2018 तक वह मुख्यमंत्री कार्यालय में प्रधान सचिव और दो साल के लिए संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) के साथ भी शामिल रहीं. तब के आंध्र प्रदेश में, उन्होंने आदिवासी कल्याण विभाग और ग्रामीण और समाज कल्याण विभाग में सेवा की थी.

उन्होंने मेडक जिले के कलेक्टर के रूप में, जो अब तेलंगाना में है और अरुणाचल प्रदेश के चांगलांग जिले में भी काम किया है.

तेलंगाना में सेवा करने वाले एक अन्य नौकरशाह ने नाम न छापने की शर्त पर दिप्रिंट को बताया, ‘वह कुशल और सक्षम हैं. वह, उनके अधीन काम करने वाले और कर्मचारियों के लिए काफी आसानी से उपलब्ध रहती हैं.’

2021 में, कुमारी और कुछ अन्य भारतीय विदेश सेवा (IFS) अधिकारियों को वन भूमि विवाद के संबंध में HC के आदेश को लागू करने में विफल रहने के लिए अदालत की अवमानना के लिए 6 महीने की कैद की सजा दी गई थी. हालांकि, अधिकारियों द्वारा अपील दायर करने के बाद आदेश को रद्द कर दिया गया था.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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