नई दिल्ली: भारत का एक्सपोर्ट एक बेहतरीन तस्वीर पेश करता है, लेकिन एक ब्राइट स्पॉट हैं- सेवाएं.
भारतीय रिज़र्व बैंक (आईबीआई) के आंकड़ों के अनुसार, भारत का सेवाओं का एक्सपोर्ट पिछले साल नवंबर तक 273.57 बिलियन डॉलर के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया – जो कि 2021 के सभी 12 महीनों में एक्सपोर्ट की गई सेवाओं के मूल्य से 17.03 प्रतिशत अधिक है, वैश्विक मंदी के मंडराते खतरे के बावजूद.
लगभग 10 साल पहले, 2012 में, भारत ने 140 बिलियन डॉलर की सेवाओं का एक्सपोर्ट किया था. 6.9 प्रतिशत की वार्षिक औसत वृद्धि दर से बढ़ते हुए, यह संख्या 2022 के पहले 11 महीनों में लगभग दोगुनी हो गई.
भारत में सेवा क्षेत्र के आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि एक्सपोर्ट में वृद्धि का श्रेय काफी हद तक सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) और दूरसंचार सेवाओं जैसे संपन्न क्षेत्रों को दिया जा सकता है, जो देश के भीतर भी तेजी से विकास की ओर बढ़ रहे हैं.
मार्केटिंग इंटेलिजेंस फर्म इंटरनेशनल डेटा कॉरपोरेशन के वर्ल्डवाइड सेमी-एनुअल सर्विसेज ट्रैकर के अनुसार, भारत का आईटी और बिजनेस सर्विसेज मार्केट 2021 और 2026 के बीच 8.3 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़ेगा.
विशेषज्ञों ने इसका श्रेय अत्यधिक कुशल कार्यबल, सेवाओं की कम लागत और अधिक उदार नीतिगत ढांचे को दिया है.
केंद्रीय वित्त मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त अनुसंधान संस्थान, राष्ट्रीय लोक वित्त और नीति संस्थान (एनआईपीएफपी) में एसोसिएट प्रोफेसर रुद्रानी भट्टाचार्य ने कहा, ‘ट्रेड थियोरी के मुताबिक एक देश एक वस्तु या सेवा का निर्यात करता है जो उस देश के संसाधनों का उपयोग करता है जो प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होता है. चीन की तुलना में विश्लेषणात्मक कौशल और बेहतर अंग्रेज़ी बोलने सहित भारत की मानव पूंजी की बंदोबस्ती ने भारत में वैश्वीकरण प्रक्रिया की शुरुआत के बाद से उभरती अर्थव्यवस्थाओं में आईटी और बीपीओ सेवाओं में प्रतिस्पर्धी बनने में मदद की है.’
यह भी पढ़ेंः RBI की एक स्टडी में दावा, इंडियन न्यूज़रूम आर्थिक रुझानों को लेकर कई बार होते हैं सटीक
सेवाओं के लिए ट्रेड सरप्लस
जब भारत के करंट अकाउंट में बेलैंस की बात आती है, या किसी देश के इम्पोर्ट और एक्सपोर्ट के मूल्य के बीच का अंतर होता है, तो सेवा क्षेत्र को आमतौर पर सरप्लस और व्यापारिक घाटा होता है.
भारत का सेवाओं का इम्पोर्ट 2012 में 83 बिलियन डॉलर से बढ़कर 2022 में 160.93 बिलियन डॉलर हो गया है, यह अभी भी एक्सपोर्ट से काफी कम है, जिसके परिणामस्वरूप व्यापार सरप्लस है – जिसका मतलब है कि भारत में सेवाओं के लिए अधिक डॉलर आ रहे हैं बजाय खर्च होने के लिए बाहर जाने के.
2022 के पहले 11 महीनों में, भारत के सेवाओं के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में 112.6 बिलियन डॉलर का सरप्लस दर्ज किया गया, जो नवंबर 2022 तक मूर्त वस्तुओं के लिए 250 बिलियन डॉलर के भारी घाटे के ठीक विपरीत था. सेवाओं में एक्सपोर्ट का सरप्लस वर्तमान घाटे को काफी हद तक कम करने में मदद करता है.
आईटी और टेलीकॉम सेक्टर
संयुक्त राष्ट्र और विश्व व्यापार संगठन की संयुक्त एजेंसी, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार केंद्र (आईटीसी) के एक पोर्टल ट्रेड मैप पर 2021 तक के उपलब्ध डेटा के अनुसार, ‘अन्य व्यावसायिक सेवाएं’, ‘दूरसंचार, कंप्यूटर और सूचना सेवाएं’ दो ऐसे क्षेत्र हैं, जो भारत के सेवाओं के एक्सपोर्ट का लगभग दो-तिहाई हिस्सा हैं.
देश के बाकी सेवाओं का एक्सपोर्ट परिवहन, यात्रा, मनोरंजन, बीमा, निर्माण, बौद्धिक संपदा अधिकारों का उपयोग करने के शुल्क जैसे क्षेत्रों के अंतर्गत आता है.
जिस क्षेत्र में एक्सपोर्ट पिछले एक दशक में सबसे तेजी से बढ़ा है, वह हैं ‘अन्य व्यावसायिक सेवाएं’, जिसके दायरे में पेशेवर और प्रबंधन परामर्श, अनुसंधान और विकास के साथ-साथ बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग कंपनियों (बीपीओ) और आईटी फर्मों द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाएं आती हैं.
2011 में, इस क्षेत्र ने 38.55 बिलियन डॉलर मूल्य की सेवाओं का एक्सपोर्ट किया, लेकिन 2021 तक, मूल्य 92.3 बिलियन डॉलर था, जो लगभग 9.2 प्रतिशत की वार्षिक औसत वृद्धि दर दर्ज कर रहा था.
गैर-आईटी/गैर-बीपीओ दूरसंचार क्षेत्र में भी तेजी से वृद्धि हुई. 2011 में, इस क्षेत्र ने 47.11 अरब डॉलर मूल्य की सेवाओं का एक्सपोर्ट किया, जो 2021 तक लगभग 5.7 प्रतिशत की औसत वार्षिक वृद्धि दर के साथ 82.03 अरब डॉलर तक पहुंच गया था.
परिवहन सेवाएं भी इसी 10 साल की अवधि में 17.70 अरब डॉलर से 5.18 प्रतिशत की औसत वार्षिक वृद्धि दर के साथ बढ़कर 29.34 अरब डॉलर हो गई थीं.
यह भी पढ़ेंः एग्रीकल्चर ग्रोथ महामारी से पहले के स्तर से पार, लेकिन अन्य क्षेत्र अभी भी पीछे बने हुए हैं
स्वस्थ घरेलू विकास
शुक्रवार को जारी 2022-23 के सरकारी अनुमानों के अनुसार, भारत के कुल उत्पादन (या सकल मूल्य वर्धन-जीवीए) में सेवा क्षेत्र का जीवीए 55 प्रतिशत से ऊपर है, यह महामारी के कारण प्रभावित नहीं हुआ था.
निजी क्षेत्र की कंपनियों में वरिष्ठ अधिकारियों के सर्वेक्षण से मासिक रूप से प्राप्त सेवाओं के लिए एसएंडपी ग्लोबल इंडिया परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) के दिसंबर 2022 दौर के अनुसार, इस क्षेत्र के केवल बढ़ने की उम्मीद है.
इस साल दिसंबर में, भारत का पीएमआई स्कोर, जो इस क्षेत्र में व्यावसायिक गतिविधि की प्रवृत्ति या दिशा को मापता है, 11 साल के उच्च स्तर 58.5 पर पहुंच गया, जो एक अच्छी प्रवृत्ति का संकेतक है.
भट्टाचार्य ने कहा, ‘जब तक दुनिया कोविड-19 के एक नए वैरिएंट से सुरक्षित है और कोई नया ट्रेड ऑब्स्टेकल नहीं होता, सेवाओं की मांग बढ़ने की संभावना है – और ज्यादातर घरेलू मांग से प्रेरित होंगी.’
उन्होंने कहा कि जबकि अल्पावधि में सेवाओं के लिए अंतरराष्ट्रीय बाजार में मांग विदेशों में मंदी की आशंका से प्रभावित हो सकती है, दीर्घकालिक दृष्टिकोण सकारात्मक बना हुआ है.
भट्टाचार्य ने कहा, नलंबे समय में, सेवा क्षेत्र से एक्सपोर्ट प्रतिस्पर्धात्मक लाभ के कारण टिकाऊ नज़र आता है.’
(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
यह भी पढ़ेंः म्यांमार में बड़ा विद्रोह गृहयुद्ध और भारत के पूर्वोत्तर में अस्थिरता बढ़ाएगा