राहुल गांधी का पूर्व पीएम वाजपेयी के स्मारक पर जाना स्मार्ट पॉलिटिक्स है. वह भाजपा की कमजोरियों को उभारता है. वाजपेयी का आधुनिक, उदाररुख आज की भाजपा में कालातीत है.जिस तरह से बीजेपी ने सरदार पटेल के साथ किया है, कांग्रेस वाजपेयी को अपनाने की उम्मीद भी नहीं कर सकती है. लेकिन गांधी का राजनीतिक संकेत यात्रा के विषय के अनुरूप है.