नई दिल्लीः केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) एवं प्रबंध निदेशक (एमडी) चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर को 2012 में वीडियोकॉन समूह को बैंक की ओर से दिए गए लोन में कथित धोखाधड़ी और अनियमितताओं के सिलसिले में शुक्रवार को गिरफ्तार किया.
अधिकारियों ने कहा कि चंदा कोचर और उनके पति को एजेंसी मुख्यालय बुलाया गया था और पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया गया.
बता दें कि यह गिरफ्तारियां वीडियोकॉन ग्रुप को 2009 और 2012 के बीच स्वीकृत 3,250 करोड़ रुपये के कर्ज में अनियमितता से संबंधित एक मामले के संबंध में की गईं.
एजेंसी से जुड़े एक सूत्र ने कहा, ‘गिरफ्तारी इसलिए की गई क्योंकि दंपति जांच में सहयोग नहीं कर रहे थे और उन्हें मामले में नए सबूतों के साथ अदालत में पेश किए जाने की जरूरत है.’
दोनों को शनिवार को सीबीआई की विशेष अदालत में पेश किया जाएगा. उन्हें मेडिकल जांच के बाद अलग-अलग हवालात में रखे जाने की संभावना है.
उन्होंने कहा कि सीबीआई ने चंदा कोचर, उनके पति और वीडियोकॉन समूह के वेणुगोपाल धूत के साथ-साथ नूपावर रिन्यूएबल्स, सुप्रीम एनर्जी, वीडियोकॉन इंटरनेशनल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज लिमिटेड को आपराधिक साजिश और भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम से संबंधित भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धाराओं के तहत दर्ज प्राथमिकी में आरोपी के रूप में नामजद किया गया था.
उन्होंने बताया, ऐसा आरोप है कि वीडियोकॉन के प्रवर्तक वेणुगोपाल धूत ने 2012 में आईसीआईसीआई बैंक से वीडियोकॉन समूह को 3,250 करोड़ रुपये का कर्ज मिलने के बाद कथित तौर पर नूपावर में करोड़ों रुपए का निवेश किया.
यह मामला जनवरी 2019 में तब सामने आया जब सीबीआई ने आईसीआईसीआई बैंक और वीडियोकॉन सौदे में कथित अनियमितताओं के संबंध में एक प्राथमिकी दर्ज की.
सीबीआई ने प्राथमिकी दर्ज करने के बाद एक बयान में कहा, यह आरोप लगाया गया था कि आरोपियों ने आईसीआईसीआई बैंक को धोखा देने के लिए आपराधिक साजिश में निजी कंपनियों को कुछ कर्ज मंजूर किए थे.
प्राथमिकी में सीबीआई ने आरोप लगाया, ‘चंदा कोचर ने ‘बेईमानी से’ वीडियोकॉन समूह को नियमों और नीति के उल्लंघन में अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग करके कर्ज दिया.’
मामला दर्ज होने के बाद मुंबई और औरंगाबाद में वीडियोकॉन ग्रुप के कार्यालयों, एनआरएल और एसईपीएल के कार्यालयों सहित कई स्थानों पर कई छापे मारे गए.
जून 2020 में ईडी ने कोचर परिवार की 78.15 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क की थी. इनमें तमिलनाडु और महाराष्ट्र में स्थित आवासीय फ्लैट, जमीन, नकदी और संयंत्र और मशीनरी शामिल हैं.
हालांकि, कोचर और धूत ने पहले सभी आरोपों से इनकार किया है.
अप्रैल 2018 में, दंपति ने कहा कि वह उस पैनल के सभी 12 सदस्यों को जानते हैं जिन्होंने कर्ज राशि को मंजूरी दी थी. दीपक ने यह भी कहा कि चंदा कोचर ने ‘कुछ भी गलत नहीं’ किया.
उन्होंने कहा, ‘वह समिति के उन 12 सदस्यों में से केवल एक थीं, जिन्होंने वीडियोकॉन समूह को कर्ज दिया था.’
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