नई दिल्ली: एक सितंबर 2003 को, ‘द सर्पेंट’ काठमांडू पहुंचा और एक जुए के अड्डे में घुस गया. इत्तेफाक से जोसफ नाथन भी वहां था, जो अपने दिनभर के थका देने वाले काम और देर रात के खाने के बाद अपना दिल बहलाने के लिए वहां आए थे.
दुनिया के सबसे कुख्यात सीरियल किलर पर 70 और 80 के दशक में एशिया में ‘हिप्पी ट्रेल’ पर 20 से ज्यादा बैकपैकर्स की हत्या करने का शक था. चार्ल्स ‘द सर्पेंट’ शोभराज को जुए की लत थी. शहर के एक होटल में चेक इन करने के तुरंत बाद वह कैसीनो पहुंचा था.
फ्रांसीसी नागरिक शोभराज का पूरा नाम हैचंद भौनानी गुरुमुख चार्ल्स शोभराज है. हालांकि उसने उस समय अपनी ट्रेडमार्क बेरेट (गोल चपटी टोपी) की बजाय बेसबॉल टोपी पहनी हुई थी औऱ बेहद ही साधारण कपड़ों में था. लेकिन नाथन भी एक पत्रकार थे. उन्होंने उसे पहचानने में देर नहीं की.
‘द हिमालयन टाइम्स’ के संपादकीय सलाहकार नाथन ने दिप्रिंट को फोन पर बताया ‘वह शोभराज जैसा दिखता था. वह बैकारेट (कैसिनो में खेला जाने वाला एक ताश का खेल) खेल रहा था और मैं उसे देखता रहा.’ यह वही अखबार था जिसने 17 सितंबर को शोभराज के काठमांडू में होने की खबर को प्रकाशित किया था.
उन्होंने आगे कहा, ‘मुझे पूरा भरोसा था कि ये शख्स शोभराज ही है. लेकिन साथ ही मुझे उसके होने पर संदेह भी था. पत्रकार होने के नाते हम तथ्यों पर भरोसा करते हैं. इसलिए मैंने इसकी तह में जाना शुरू कर दिया. उसकी पहचान साबित करने के लिए मैंने उससे जुड़ी सभी जगहों को खंगाला था.’
इसके बाद 14 दिन की लंबी इन्वेस्टिगेशन चली और ‘बिकनी किलर‘ की गिरफ्तारी पर जाकर खत्म हुई. शोभराज को पटाया में छह महिलाओं की संदिग्ध हत्याओं के लिए थाईलैंड में इसी नाम से जाना जाता था, क्योंकि उन सभी महिलाओं ने बिकनी पहनी हुई थी.
सभी को पता है, शोभराज 1976 से 1996 तक दिल्ली की तिहाड़ जेल में भी बंद रहा था. उसकी नेपाल में भी तलाश थी. देश की पुलिस दो हत्याओं– एक कनाडाई नागरिक लैडी ड्यूपार और एक अमेरिकी महिला एनाबेला ट्रेमोंट- के सिलसिले में उससे पूछताछ करने के लिए 20 साल से इंतजार कर रही थी.
अपनी इन्वेस्टिगेशन के आखिरी दिन नाथन ने शोभराज से बात की थी.
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नाथन ने हंसते हुए कहा, ‘उस रात वह वॉशरूम जाने के लिए खड़ा हुआ और मैं उसके पीछे हो लिया. मैंने उनसे पूछा कि क्या आप चार्ल्स शोभराज हैं. उसने मेरी ओर देखा और अपने फ्रेंच लहजे में कहा – ‘वह कौन है? एक बॉलीवुड अभिनेता?
शुक्रवार को नेपाल के सुप्रीम कोर्ट से अपनी रिहाई के आदेश के दो दिन बाद वह काठमांडू जेल में 19 साल बिताने के बाद रिहा हो जाएगा. जेल से उसकी रिहाई उनकी कानूनी टीम की एक याचिका के बाद हुई जिसमें उनकी उम्र और अच्छे व्यवहार के कारण रियायत मांगी गई थी.
भले ही ‘द हिमालयन टाइम्स’ में प्रकाशित रिपोर्ट के बाद शोभराज को गिरफ्तार कर लिया गया था, लेकिन शोभराज के जीवन और उनकी अंतिम गिरफ्तारी पर बनी 2021 की ब्रिटिश क्राइम ड्रामा सीरीज़ ‘द सर्पेंट’ में इसका कहीं जिक्र नहीं है.
नेपाल में शोभराज दो हत्याओं के लिए 20-20 साल की दो आजीवन कारावास की सजा काट रहा है.
वैसे नेपाल में उम्रकैद की सजा 25 साल तक हो सकती है, लेकिन देश उन कैदियों को रिहा करने की अनुमति देता है जिनका व्यवहार अच्छा रहता है और जेल की 75 प्रतिशत अवधि पूरी कर ली होती है.
साक्ष्य जुटाना
शोभराज को देखने के बाद नाथन ने कैसीनो में कुछ दोस्तों से हत्यारे की सभी जरूरतों को पूरा करने के लिए कहा ताकि वह वहां अधिक समय बिता सके.
नाथन पता लगाना चाहते थे कि शोभराज कहां रह रहा है. इसके लिए उन्होंने कैसीनो के कर्मचारियों से उसे वापस अपने होटल ले जाने के लिए कैब की व्यवस्था करने के लिए भी कहा था.
नाथन ने बताया, ‘इस बीच, मैंने एक टीम बनाई और एक फोटोग्राफर से शोभराज का पीछा करने को कहा. फोटोग्राफर ने थमेल (काठमांडू में पास की एक जगह) तक उसका पीछा किया था.’
शोभराज की पहचान के और सबूत जुटाने के लिए नाथन ने होटल के अधिकारियों से उसके पासपोर्ट की जानकारी मांगी.
नाथन ने कहा, ‘वह एक वॉक-इन गेस्ट था और उसने मैनेजमेंट को अपना पासपोर्ट जमा नहीं किया था. लेकिन जब मैंने प्रबंधन से मदद मांगी, तो उन्होंने मुझे एक कॉपी उपलब्ध करा दी. उस दिन मेरा शक पक्का हो गया. वह अपने पासपोर्ट पर यहां आया था लेकिन उसने होटल के रजिस्टर में अपनी पहचान से छेड़छाड़ की थी. उसने सी. गुरमुरा के नाम से चेक इन किया था.’
नाथन की टीम ने शोभराज का पीछा करना शुरू कर दिया और रसद के साथ उनकी सहायता करने वाले कई लोगों से मिली. इसमें वह स्थानीय गाइड भी शामिल था जिसे उसने काम पर रखा था.
नाथन ने कहा, ‘हमने होटल के कर्मचारियों, उसके कैब ड्राइवरों और उसे घुमाने ले जा रहे स्थानीय लोगों से बात की. हमें बताया गया कि वह मिनरल वाटर प्लांट लगाने के लिए काठमांडू आया है.’
गिरफ्तारी
शोभराज और नाथन 14 दिनों तक एक ही कसीनो में घूमते रहे.
उन्होंने कहा, ‘मैं उसे खेलते देखने के लिए हर रात वहां जाता था. कैसीनो के कर्मचारियों ने बताया कि वह बैकारेट खेलता है लेकिन दांव छोटे-छोटे ही लगाता है.’
अखबार में खबर प्रकाशित होने के ठीक एक दिन पहले वह शोभराज के पास गए. नाथन ने कहा, ‘वह चुप रहता था (और) ज्यादा बात नहीं करता था.’ लेकिन तब तक पत्रकार को उसके बारे में वह सब कुछ मिल चुका था जिसकी उन्हें जरूरत थी.
उन्होंने कहा, ‘मैं अपना स्कूप लिखने के लिए वहां से चला आया. और खबर के प्रकाशित होने के अगले दिन, उसे उसी कैसीनो से गिरफ्तार कर लिया गया.’
(अनुवाद : संघप्रिया | संपादन : इन्द्रजीत)
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