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Wednesday, 20 November, 2024
होममत-विमतपंजाब फिर हिंसा की चपेट में आ रहा- भारत यह अफोर्ड नहीं कर सकता, AAP चुनावी वादे न भूले

पंजाब फिर हिंसा की चपेट में आ रहा- भारत यह अफोर्ड नहीं कर सकता, AAP चुनावी वादे न भूले

चरमपंथी तत्वों के फिर उभरने के संकेतों के बीच पंजाब की उल्लासपूर्ण भावना कहीं गुम होती जा रही है, जो गंभीर चिंता का विषय है.

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जाने-माने अमेरिकी अर्थशास्त्री थॉमस सोवेल ने एक बार कहा था, ‘धोखा बड़े उद्देश्य हासिल करने के बजाय छोटी-छोटी चीजों से ही संतोष करने का सबसे तीव्र साधन है.’—यही बात पंजाब में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) पर एकदम सटीक तरीके से लागू होती नजर आती है. आप ने 2022 का पंजाब विधानसभा चुनाव सारी अड़चनें दूर करके बेहतरीन शासन देने के वादे के साथ लड़ा था, लेकिन किसी सकारात्मक बदलाव की बजाय राज्य अराजकता, आतंकी हमलों, बढ़ते अपराधों और मौत का नंगा नाच देख रहा है.

तरनतारन जिले के सरहाली पुलिस थाने पर हालिया ‘रॉकेट हमले’ और फिर घोषित कट्टरपंथी संगठन सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) द्वारा पूरी निर्लज्जता के साथ जिम्मेदारी लिए जाने ने न केवल प्रशासकों की नाक में दम कर दिया है, बल्कि हर पंजाबी के मन में एक जायज सवाल भी खड़ा कर दिया है—क्या पंजाब एक बार फिर काले दौर की ओर बढ़ रहा है?

आतंक की हालिया घटनाओं ने पंजाब के लोगों में भय की भावना भर दी है और पुराने दौर का मंजर एक बार फिर उनकी आंखों के सामने घूमने लगा है.

हिंसा का दौर लौट रहा

पंजाब में आप के सत्ता संभालने के लिए पहले 21 दिनों में 19 हत्याएं हुईं, जिनमें दो जाने-माने कबड्डी खिलाड़ी (संदीप सिंह ‘नंगल अंबियन’ और धर्मिंदर सिंह) शामिल थे. राज्य ट्रक यूनियन की प्रधानगी को लेकर हिंसक झड़प का भी गवाह बना, जिसमें नई सरकार से जुड़े नेता शामिल रहे. आप के सत्ता में आने के बाद चंडीगढ़ में बुड़ैल जेल के पास विस्फोटक डिवाइस की बरामदगी, पटियाला में दो गुटों में झड़प, राज्य खुफिया मुख्यालय पर आरपीजी हमला, तरनतारन में आरडीएक्स मिलने और सिद्धू मूसेवाला की निर्मम हत्या जैसी घटनाएं हुई हैं.

चरमपंथी तत्वों के फिर से उभरने के संकेतों के बीच पंजाब से उल्लास की भावना कहीं गुम होती जा रही है, और यह एक गंभीर चिंता का विषय है क्योंकि पंजाब हो या भारत का कोई अन्य सीमावर्ती राज्य फिर से आतंक का दौर झेलने की स्थिति में नहीं है. ऐसी घटनाएं साफ तौर पर यह दर्शाती हैं कि बात जब राज्य के कानून-व्यवस्था की होती है तो हालात आप सरकार के नियंत्रण से बाहर होने लगते हैं. कमान कंट्रोल लचर होने और नीति-निर्माताओं, खासकर मुख्यमंत्री भगवंत मान के गलत प्राथमिकताओं को चुनने से बड़े पैमाने पर अपराध बढ़े हैं.


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पंजाब को समझना होगा

पंजाब की शांति और समृद्धि के लिए तत्काल सुधारों की जरूरत है. सबसे पहले तो मान को यह समझना चाहिए कि वह राज्य के मुख्यमंत्री हैं, न कि केजरीवाल के कोई ‘प्रचार मंत्री’. ऐसी धारणा बनती जा रही है कि पंजाब का शासन दिल्ली से नियंत्रित हो रहा है, जो पंजाबी गौरव को तो आहत करता ही है, मतदाताओं के भरोसे को भी डिगा रहा है. जवाबदेही से बचने के बजाय जरूरी यह है कि आप सरकार ‘अपनी गलतियों के लिए दूसरों पर आरोप लगाने’ की प्रवृत्ति से बाज आए. जमीनी हकीकत का सामना करे और वैसा शासन दे, जिसका उसने वादा किया था.

सुर्खियां बटोरने के लिए 424 लोगों की सुरक्षा वापस लेने/घटाने (यह स्पष्ट नहीं है कि राजनीतिक ऑडिट के आधार पर या खतरे के मद्देनजर) और आप ब्रिगेड के साथ पुलिसकर्मियों की तैनाती पर फोकस करने के बजाय प्रशासकों को पंजाब को उसका इतिहास, भूगोल, राजनीति और उसकी संस्कृति को अच्छी तरह समझकर चलाना चाहिए, और असफल ‘दिल्ली मॉडल’ को जबरन थोपना नहीं चाहिए. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि मान को अरविंद केजरीवाल के राजनीतिक सपनों को पूरा करने के लिए पंजाब के संसाधनों को बर्बाद नहीं होने देना चाहिए.

राज्य के करीब तीन करोड़ लोगों की चिंताओं और कल्याण को ध्यान में रखने के साथ किसी को यह नहीं भूलना चाहिए कि पंजाब पाकिस्तान के खिलाफ भारत की सुरक्षा रणनीति के लिहाज से कितना मायने रखता है. यह राज्य पाकिस्तान के साथ 425 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करता है. सीमा पार से लगातार आतंकियों की घुसपैठ कराने, ड्रोन से हथियार भेजने और नार्को-टेररिज्म के जरिये युवाओं को निशाना बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं. पाकिस्तान का बदलता पॉलिटिकल डायनमिक्स (अफगानिस्तान में तालिबान के उदय के साथ) और इसकी आर्थिक उथल-पुथल को देखते हुए भी यह जरूरी है कि पंजाब सरकार सुरक्षा संस्थानों को मजबूत करे और राज्य में विश्वास बहाली पर विशेष ध्यान दे.

पंजाब एक बेहद महत्वपूर्ण राज्य है जहां न कोई लापरवाह रवैया अपनाया जाना चाहिए और न ही अपनी तरफ से ऐसी कोई गलती करनी चाहिए, जिससे उसके घाव फिर हरे हो जाएं. पंजाब की भू-राजनीति एक मजबूत सरकार की मांग करती है और यहां पर शांति में कोई खलल आता है तो यह सभी हितधारकों के लिए एक गहरा झटका होगा.

पंजाब की सामाजिक और सांस्कृतिक नींव किसी भी तरह के उग्रवाद से निपटने के लिए काफी मजबूत है. राज्य सरकार के लिए आवश्यक है कि वह इस ताकत को महसूस करे और राज्य को आतंकवाद के रास्ते पर जाने से रोकने के लिए उपयुक्त कदम उठाए. पंजाब के हिंसा और बलिदान से परिपूर्ण इतिहास को फिर सतह पर नहीं आने देना चाहिए क्योंकि राज्य फिर किसी दुस्साहस और काले दौर को झेलने की स्थिति में नहीं है. भगवंत मान को याद रखना चाहिए कि मतदाताओं ने आप को ‘एक मौका’ दिया है. इस अहसान का बदला राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति को ‘कई झटकों’ के तौर पर तो कतई नहीं चुकाया जाना चाहिए.

(जयवीर शेरगिल सुप्रीम कोर्ट के वकील और भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं. व्यक्त विचार निजी हैं.)

(अनुवाद : रावी द्विवेदी | संपादन : इन्द्रजीत)

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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