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Friday, 22 November, 2024
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बेंगलुरु का ‘रियल एस्टेट हंगर गेम्स’, किराया बढ़ा, लिंक्डइन प्रोफाइल पर ब्रोकर की नजर

महामारी से पहले के समय की अगर तुलना करें तो किराए में कम से कम 15-20 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. जबकि कई इलाकों में कीमतें 30 प्रतिशत तक बढ़ गई हैं.

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बेंगलुरु: भारत की आईटी राजधानी में लिंक्डइन प्रोफाइल न होने पर आपको नौकरी तो मिल जाएगी लेकिन घर किराए पर घर मिलना मुश्किल है. अगर यकीन नहीं आता तो फिलहाल लैंडलॉर्ड और ब्रोकर की ओर से रखी गई जाने वाली कुछ शर्तों पर नजर घुमाइए, वहां बढ़े हुए किराए और आपके लिंक्डइन प्रोफाइल का लिंक के बिना आपको कोई घर देने के लिए तैयार नहीं होगा.

हाल के महीनों में घरों के किराये काफी तेजी से बढ़े है. इसकी एक बड़ी वजह लगभग दो साल बाद कंपनियां द्वारा अपने कर्मचारियों को ऑनसाइट काम करने के लिए वापस बुलाना है. कोविड की वजह से बेंगलुरु और देश भर के अन्य बड़े शहरों में कर्मचारी घर से काम यानी वर्क फ्रॉम होम (WFH) कर रहे थे.

आईटी की व्हाईट कॉलर जॉब से जुड़े अब काफी कर्मचारी बेंगलुरु लौट आए हैं. उनके पास नौकरी तो है लेकिन घर के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ रही है. मकान-मालिक न सिर्फ उनसे ज्यादा किराए की मांग कर रहे हैं बल्कि घर देने से पहले वह उनका वर्क प्रोफाइल भी देखना चाहते हैं. वजह साफ है, वह अपनी ‘पसंद’ का किरायेदार रखना चाहते हैं, ताकि किराए के लिए उन्हें मारा-मारी न करनी पड़े. इसके अलावा 10 महीने का एडवांस भी उन्हें चाहिए.

इसका सीधा सा मतलब है कि एक घर जिसका किराया 50,000 रुपये महीना है. उसके लिए पांच लाख रुपये एडवांस देना होगा. घर किराए पर लेने की चाह रखने वाले मध्यम या निम्न स्तर के कर्मचारियों के लिए यह एक अच्छी-खासी रकम है.

तरह-तरह की मांगें

रुचिता चंद्रशेखर अक्टूबर के मध्य से बेंगलुरु में एक घर की तलाश में हैं. उन्होंने कई घरों को देखा है. उनका अनुभव बताता है कि बढ़े हुए किराए के अलावा लैंडलॉर्ड की ढेर सारी मांगें उनकी राह में रोड़ा बनी हुई हैं.

उन्होंने दिप्रिंट से कहा, ‘ब्रोकर हमसे कहते हैं कि इन दो सालों में जो भी नुकसान हुआ, मकान-मालिक उसकी भरपाई करने की कोशिश कर रहे हैं…कभी-कभी ब्रोकर भी कुछ पैसा बनाने की कोशिश करने लगते है. मैं मानती हूं वह अपने तरीके से सही हैं, लेकिन इस सबने मुझे काफी परेशान कर दिया है.’

फिलहाल रुचिता मुंबई में अपना काम समेट रही हैंं. उन्हें बेंगलुरु में जल्द से जल्द एक घर ढूंढना है और इस महीने के अंत में ऑफिस में रिपोर्ट करना है.

उन्होंने कहा कि यह ‘रियल एस्टेट हंगर गेम्स’ में ‘पिच प्रेजेंटेशन’ बनाने जैसा है. क्योंकि ब्रोकर मकान  मालिकों की ओर से लिंक्डइन प्रोफाइल के लिंक मांगते हैं, लोगों को ऑन-द-स्पॉट फैसला लेने के लिए कहते हैं. देर रात तक पार्टी की इजाजत नहीं और लड़के या लड़कियों के आने पर पाबंदी-ये कुछ और शर्तें हैं जो ब्रोकर उन्हें बताते हैं.

24 नवंबर को उनकी ट्विटर पोस्ट ने उन्हें खबरों में ला दिया था. क्योंकि उनके जैसे और भी बहुत से लोग हैं जो इसी तरह की परेशानियों से जूझ रहे हैं.

एडवोकेट आर्य, रिचमंड टाउन में अपने मौजूदा घर से इंदिरा नगर की ओर शिफ्ट करने की कोशिश में लगी है. लेकिन सस्ते में एक बेहतर घर पाना उनके लिए आसान नहीं है.

अरुण देव एक मीडिया पेशेवर हैं. उनके साथ रहने वाले कुछ दोस्त पहले ही उस घर से चले गए थे. महामारी के समय उन्होंने बेहद मामूली कीमत पर इस पूरे दो बेडरूम के घर को किराए पर लिया था. लेकिन अब उनसे कहा गया है कि वह हर महीने कम से कम 10,000 रुपये दें या फिर घर खाली कर दें.

एक ब्रोकर के पास बैयप्पनहल्ली मेट्रो स्टेशन के पास, राहत बाग इलाके में घर किराए पर उपलब्ध है.  उन्होंने बताया कि पहले इस घर को 26,000 रुपये में किराए पर दिया गया था. लेकिन  अब मालिक  50,000 रुपये की मांग कर रहा है. लगभग 100 फीसदी किराया बढ़ा दिया गया है.


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कर्मचारियों के वापस लौटते ही मांग बढ़ी

एक रियल एस्टेट कंसल्टेंसी फर्म- बेंगलुरु, ANAROCK Group में सिटी हेड आशीष शर्मा ने कहा, कंपनियां अब अपने कर्मचारियों को काम पर वापस (कम से कम हाइब्रिड मॉडल में) बुला रही हैं. उनके आने के साथ ही पिछले कई महीनों में किराये की मांग में तेजी आई है. मांग ने न सिर्फ महामारी से पहले के स्तर को पार कर लिया है, बल्कि इससे भी बहुत ऊपर चली गई है.’

वह कहते हैं कि महामारी से पहले की अगर तुलना करे तो किराए में कम से कम 15-20 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. जबकि कई इलाकों में कीमतें 30 प्रतिशत तक बढ़ गई हैं.

दुनियाभर की तुलना में बेंगलुरु में काफी धीमी गति से चलने वाला ट्रैफिक है. अगर ऑफिस के पास घर लेना है तो ज्यादा काफी ज्यादा किराया देना पड़ता है या फिर सस्ते घरों के लिए शहर से थोड़ा दूर जाना होगा और रेंगते ट्रैफिक में सड़कों पर ज्यादा समय बिताने के लिए मजबूर होना पड़ेगा.

नेविगेशन, ट्रैफ़िक और मानचित्र उत्पादों के ग्लोबल प्रोवाइडर , नीदरलैंड स्थित टॉमटॉम की 2020 की एक रिपोर्ट के अनुसार, बेंगलुरु सबसे अधिक ट्रैफिक वाला शहर बनकर उभरा है. उसने 57 देशों के 415 अन्य शहरों को पछाड़ते हुए यह खिताब हासिल किया है.

रिपोर्ट बताती है कि बेंगलुरु के रहने वाले लोगों ने 243 घंटे या 10 दिन और तीन घंटे, या टेलीविजन सीरीज ‘गेम ऑफ थ्रोन्स’ के 215 एपिसोड या फुटबॉल के 139 मैच को देखने के बराबर समय सड़कों पर बिताया है.

अगस्त में काफी ज्यादा बारिश के बाद शहर के नए इलाकों में विला और छोटे घरों के बाढ़ के पानी में डूब जाने के बाद पुराने इलाकों में संपत्तियों की मांग बढ़ गई है. ब्रोकर्स ने कहा, हालांकि बढ़ते किरायों का पुराने इलाकों में असर कम ही है.

घर चाहने वालों और ब्रोकर्स के मुताबिक, बेंगलुरु के आईटी कॉरिडोर जैसे एचएसआर लेआउट, कोरमंगला, सरजापुर रोड, व्हाइटफील्ड और इंदिरा नगर के आसपास के इलाकों में किराए पर घरों की मांग काफी ज्यादा है.

शर्मा कहते हैं, ‘मोटे तौर पर पूर्वी और उत्तरी बेंगलुरु के इलाकों में आईटी/आईटीईएस बेल्ट के कारण किराये की मांग में तेजी देखी गई है.’

शर्मा ने बताया कि वित्त वर्ष 2023 की पहली छमाही में लगभग 6.1 मिलियन वर्ग फुट नए ऑफिस का काम पूरे हो जाने और लगभग 6.08 मिलियन वर्ग फुट ऑफिस स्पेस लेने से, बेंगलुरु ने ऑफिस स्पेस एक्टिविटी में पुणे को भी पीछे छोड़ दिया है. ऑफिस स्पेस लेने के मामले में बेंगलुरु अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी पुणे से काफी आगे है.

अनुवाद: संघप्रिया मौर्या

संपादन: ऋषभ राज

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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