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Sunday, 22 December, 2024
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इज़राइली फिल्म मेकर ने कश्मीर फाइल्स को ‘भद्दी’ कहा: एंबेसडर नाओर ने फटकारा, मांगी भारत से माफी

53वें भारत अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (इफ्फी) के जूरी प्रमुख और इज़राइली फिल्मकार नदाव लैपिड ने हिंदी फिल्म ‘ द कश्मीर फाइल्स’ को ‘दुष्प्रचार करने वाली‘ और ‘भद्दी’ फिल्म बताया.

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नई दिल्ली: 53वें भारत अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (इफ्फी) के जूरी प्रमुख और इज़राइली फिल्मकार नदाव लैपिड ने हिंदी फिल्म ‘ द कश्मीर फाइल्स’ को ‘दुष्प्रचार करने वाली‘ और ‘भद्दी’ फिल्म बताया. उनके इस बयान के बाद एक ओर जहां लैपिड की आलोचना हो रही है वहीं इज़राइली के भारत में एंबेसडर नाओर गिलोन ने नदाव लैपिड को एक ओपन लेटर लिख कर उनके बयान का विरोध किया है. और कहा है कि उन्हें ‘अपने इस बयान पर शर्म आनी चाहिए. ‘

उन्होंने एक के बाद एक कई ट्वीट किए हैं और कहा है कि मैं इसे हिब्रू में नहीं लिख रहा हूं, क्योंकि मैं चाहता हूं कि मेरी इस बात को भारतीय भाई बहन समझें. लेकिन मैं आखिरी लाइन को पहले लिखना चाहता हूं, ‘ तुम्हें शर्म आनी चाहिए.’

नाओर लैपिडो से काफी नाराज हैं. उन्होंने अपने हर ट्वीट में उनके दिए गए बयान पर नाराज़गी और गुस्सा जाहिर किया है. नाओर अपने एक ट्वीट में लिखा है. आप यह सोचकर इज़राइल वापस जाएंगे कि आप बोल्ड हैं और आपने सही ‘बयान दिया’ है लेकिन हम, इज़राइल के प्रतिनिधि, यहां रहेंगे. आपको अपनी ‘बहादुरी’ के बाद हमारे डीएम बॉक्स देखने चाहिए और मेरी जिम्मेदारी के तहत टीम पर इसका क्या प्रभाव पड़ सकता है. इसके बारे में सोचना चाहिए.’

‘भारत और इज़राइली लोगों और राज्यों के बीच दोस्ती बहुत मजबूत है और आपने जो नुकसान पहुंचाया है, उसे हम बचाएंगे भी. लेकिन एक इंसान के रूप में मुझे शर्म आती है और अपने मेजबानों से जिनके साथ आपने बुरा व्यवहार किया है हम माफी मांगना चाहते हैं. अपनी दोस्ती और उदारता की कीमत वो चुका रहे हैं.’

नाओर ने आगे लिखा,’ भारतीय समाज में मेहमान को भगवान का दर्जा दिया गया है लेकिन जिस तरह से भारतीय निमंत्रण का और @IFFIGoa में पैनल का जज बनाए जाने के बाद आपने उनका विश्वास बुरी तरह तोड़ा है. उनके मेहमान नवाजी का स्वागत कीजिए.

वहीं नाओर ने अपने एक ट्वीट में उन्हें सलाह भी दी है. उन्होंने लिखा है कि मेरा सुझाव है जैसा कि आप इससे पहले भी मुखर रहे हैं आपको इस्रायल में जो कुछ भी नापसंद आता है आप उसकी आलोचना करते हैं. लेकिन दूसरे देशों में आपको ये हताशा दिखाने की जरूरत नहीं है. मुझे यकीन नहीं है कि आपके पास ऐसी तुलना करने के लिए पर्याप्त तथ्यात्मक आधार है.


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कश्मीर फाइल्स एक सच्चाई

फिल्म के लीड एक्टर रहे अनुपम खेर ने उन्हें आडे़ हाथों लेते हुए कहा, ‘झूठ का कद कितना भी ऊंचा क्यों न हो..सत्य के मुकाबले में हमेशा छोटा ही होता है.’

खेर ने आगे कहा, ‘भगवान उन्हें सद्बुद्धि दे. मुझे लगता है कि ये सोची समझी साजिश की तरह है.’

अनुपम खेर ने कहा कि यदि कश्मीर में हुआ ये प्रलय सही है, तो कश्मीरी पंडितों का पलायन भी सही है. टूलकिट गैंग एक बार फिर एक्टिव हो गया है. यह पूरी तरह से प्री-प्लांड लगता है. भगवान उन्हें सद्बुद्धि दें. इससे पहले सोमवार की रात एक ट्वीट भी किया. इसमें उन्होंने फिल्म से जुड़ी कुछ तस्वीरें पोस्ट कीं.

इफ्फी 2022 के समापन समारोह को संबोधित करते हुए लैपिड ने कहा कि फिल्म समारोह में इस फिल्म का प्रदर्शन किए जाने से वह ‘परेशान और हैरान’ हैं.

उन्होंने कहा, ‘हम सब ‘द कश्मीर फाइल्स’ फिल्म से परेशान और हैरान हैं. यह हमें एक दुष्प्रचार वाली और भद्दी फिल्म की तरह लगी जो इतने प्रतिष्ठित फिल्म समारोह के एक कलात्मक और प्रतिस्पर्धी खंड के लिए अनुपयुक्त थी.’

लैपिड ने आगे कहा, ‘मैं इस भावना को आपके साथ खुले तौर पर साझा करने में सहज महसूस कर रहा हूं क्योंकि महोत्सव की भावना वास्तव में आलोचनात्मक चर्चा को स्वीकार कर सकती है जो कला और जीवन के लिए जरूरी है.’

कश्मीर फाइल्स और कश्मीर से जुड़े कई लोगों ने इस बयान पर नाराजगी जाहिर की है. जिसमें फिल्म के हीरो रहे दर्शन कुमार ने कहा है कि कश्मीर फाइल्स वल्गैरिटी नहीं है बल्कि ये सच्चाई है.

दर्शन ने आगे कहा, ‘लोग जो कुछ भी देखते और महसूस करते हैं, उस पर हर किसी की अपनी व्यक्तिगत राय होती है . लेकिन इस बात से इनकार नहीं कर सकते हैं कि ‘द कश्मीर फाइल्स’ एक ऐसी फिल्म है जिसमें कश्मीरी पंडितों के साथ जो घटना घटी और जिसने उन्हें पलायन पर मजबूर किया उसे करीब से दर्शाने की कोशिश की गई है. वो लोग अभी भी आतंकवाद की क्रूरता के खिलाफ और अपने न्याय के लिए लड़ रहे हैं. ये फिल्म अश्लीलता पर नहीं बल्कि हकीकत पर आधारित है.’

‘द कश्मीर फाइल्स’ 11 मार्च को सिनेमाघरों में रिलीज हुई थी. यह इफ्फी के ‘इंडियन पनोरमा सेक्शन’ का हिस्सा थी और इसका 22 नवंबर को प्रदर्शन किया गया था.

इस फिल्म के लेखक और निर्देशक विवेक अग्निहोत्री हैं. इसके निर्माता ज़ी स्टूडियोज हैं. फिल्म पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों द्वारा कश्मीरी पंडितों की हत्या के बाद समुदाय के कश्मीर से पलायन पर आधारित है.

इसमें अभिनेता अनुपम खेर, दर्शन कुमार, मिथुन चक्रवर्ती और पल्लवी जोशी समेत अन्य प्रमुख किरदारों में हैं.


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