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Wednesday, 20 November, 2024
होमराजनीतिदीदी के भरोसेमंद, संगठनात्मक कौशल के लिए प्रचलित- मुर्मू पर टिप्पणी कर अखिल गिरि फंस गए

दीदी के भरोसेमंद, संगठनात्मक कौशल के लिए प्रचलित- मुर्मू पर टिप्पणी कर अखिल गिरि फंस गए

नंदीग्राम में विपक्षी दल के नेता पर तंज कसते हुए तृणमूल मंत्री ने राष्ट्रपति का मजाक उड़ाया था. अपने बयान की व्यापक निंदा होने के बाद गिरि ने माफी मांगी है.

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कोलकाता: ‘मैं इस देश के संविधान और इसकी रक्षा करने वाले भारत के राष्ट्रपति का सम्मान करता हूं. मेरे बारे में जो कहा जा रहा था, उस पर मैंने अपना गुस्सा व्यक्त किया था. मैं माफी मांगता हूं.’ इन शब्दों के साथ पश्चिम बंगाल के मंत्री अखिल गिरि ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू पर अपनी गलत टिप्पणी के लिए माफी मांगी.

राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डिपार्टमेंट ऑफ करेक्शनल एडमिनिस्ट्रेशन, 11 नवंबर को नंदीग्राम में एक राजनीतिक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति का अपमान करते हुए कैमरे में कैद हो गए थे.

नंदीग्राम में टीएमसी कार्यकर्ताओं की तालियों की गड़गड़ाहट के बीच कहा, ‘उन्होंने (सुवेंदु अधिकारी) ने कहा कि मैं अच्छा नहीं दिखता हूं और वह कितने सुंदर हैं? हम किसी को उसकी शक्ल से नहीं आंकते. हम राष्ट्रपति के पद का सम्मान करते हैं, लेकिन हमारे राष्ट्रपति कैसे दिखते हैं?’

भारतीय जनता पार्टी सहित विपक्षी दलों के निशाने पर आने के बाद टीएमसी ने शनिवार को ट्विटर पर मंत्री के बयान की निंदा की, जो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया.

उन्होंने ट्वीट किया, ‘हमारी पार्टी विधायक अखिल गिरि की दुर्भाग्यपूर्ण टिप्पणी की कड़ी निंदा करती है और स्पष्ट करती है कि हम ऐसे बयानों का समर्थन नहीं करते हैं. महिला सशक्तिकरण के युग में इस तरह की महिला के प्रति नफरत अस्वीकार्य है.’

टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी के एक भरोसेमंद लेफ्टिनेंट गिरि ने सत्तर के दशक की शुरुआत में टीएमसी सुप्रीमो की तरह कांग्रेस की स्टूडेंट विंग ‘छात्र परिषद’ के साथ राजनीति में अपनी यात्रा शुरू की थी.

उन्होंने तत्कालीन कांग्रेस के राज्य प्रमुख और पार्टी के दिग्गज सौमेन मित्रा के साथ उनके झगड़े में ममता का साथ दिया था. गिरि पूर्व मेदिनीपुर के पहले कांग्रेस नेताओं में से एक थे, जो ममता के साथ उस समय खड़े थे, जब उन्होंने 1998 में टीएमसी का शुभारंभ किया था.

हालांकि वह 2006 के विधानसभा चुनाव में रामनगर से हार गए थे. लेकिन गिरि पूर्व मेदिनीपुर निर्वाचन क्षेत्र से तीन बार विधायक रहे चुके हैं. 63 साल के गिरि रामनगर से मौजूदा विधायक हैं.

गिरि की शादी भाजपा नेता सुवेंदु अधिकारी की दिवंगत चाची से हुई थी. वह विपक्ष के कट्टर नेता हैं. ममता ने उन्हें सुवेंदु के गढ़ में टीएमसी को मजबूत करने की जिम्मेदारी उस समय दी थी, जब सुवेंदु ने 2020 में भाजपा में जाने के लिए ममता के प्रति अपनी निष्ठा बदल ली थी.

अपने संगठनात्मक कौशल के लिए जाने जाने वाले गिरि ने पूर्व मेदिनीपुर में अधिकारी वंश की छाया में काम किया था. अपने टीएमसी के दिनों में सुवेंदु ने गिरि के साथ कभी अच्छे संबंध नहीं बनाए.

दो साल पहले तीखी नोकझोंक के बाद जिले में सुवेंदु के प्रतिद्वंद्वी गिरि का कद बढ़ गया था. सुवेंदु ने ममता कैबिनेट में राज्यमंत्री पद का मजाक उड़ाने के लिए गिरि को ‘हाफ पेंट मंत्री’ कहना शुरू कर दिया था.

2021 में इस्ट मेदिनीपुर के 16 विधानसभा क्षेत्रों में से नौ में टीएमसी की जीत सुनिश्चित करने के बाद, गिरि को उस जिले में एक मंत्री पद और अतिरिक्त प्रभार दिया गया जहां भाजपा बढ़त बना रही थी. उनके बेटे सुप्रकाश भी पूरबा मेदिनीपुर में तृणमूल के लोकप्रिय युवा नेता हैं.

फिलहाल बीजेपी ने अपने गढ़ में अपने शीर्ष नेता के लिए चुभने वाला कांटा बन चुके मंत्री को कड़ी टक्कर देने की तैयारी कर ली है. इसके एक सांसद सौमित्र खान ने पहले ही राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) को पत्र लिखकर बंगाल के मंत्री के खिलाफ उचित कार्रवाई की मांग की है.

पश्चिम बंगाल भाजपा प्रमुख और सांसद सुकांत मजूमदार ने दिप्रिंट को बताया, ‘हम ममता बनर्जी की पार्टी की उनके मंत्री द्वारा भारत की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति के खिलाफ इस तरह की अभद्र टिप्पणियों के लिए कड़ी निंदा करते हैं. अखिल गिरि ने इस देश के सभी आदिवासियों का अपमान किया है.’

अपनी ओर से तृणमूल ने गिरि के बयान से हुए नुकसान को रोकने की कोशिश की और कहा कि मंत्री को मुख्य विपक्षी दल ने निशाना बनाया है. टीएमसी प्रवक्ता कुणाल घोष ने दिप्रिंट से कहा, ‘अखिल गिरि सुवेंदु के पिता की उम्र के हैं. लेकिन इसके बावजूद उन्होंने अखिल गिरि का अपमान किया और कहा कि वह एक कौवे की तरह दिखते है. सुवेंदु ने ही अखिल को ऐसा करने के लिए उकसाया है. अखिल गिरी उसके जाल में फंस गए.’

राजनीतिक विश्लेषक विश्वनाथ चक्रवर्ती ने दिप्रिंट से कहा कि उनकी महिला विरोधी टिप्पणी ने देश भर में तृणमूल की छवि को धूमिल किया है. रवींद्र भारती विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग में प्रोफेसर हैं. उनके मुताबिक, ‘भाजपा ने टीएमसी पर हमला करके इस मौके का फायदा उठाया है. ममता बनर्जी को पार्टी का रुख स्पष्ट रखने के लिए मंत्री को तुरंत बर्खास्त कर देना चाहिए और संदेश देना चाहिए कि इस तरह की टिप्पणी बर्दाश्त नहीं की जाएगी.’

(अनुवाद: संघप्रिया मौर्य)

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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