देहरादून: योग गुरु बाबा रामदेव समर्थित दवा कंपनी द्वारा अपनी कुछ दवाओं पर लगाए गए प्रतिबंध के मामले में अधिकारियों के खिलाफ कानून का सहारा लेने की धमकी देने के 48 घंटे के भीतर ही उत्तराखंड सरकार ने दिव्य फार्मेसी की पांच आयुर्वेदिक दवाओं के निर्माण पर लगाया गया प्रतिबंध हटा लिया है.
9 नवंबर को उत्तराखंड आयुर्वेदिक और यूनानी सेवा लाइसेंसिंग प्राधिकरण (उत्तराखंड आयुर्वेदिक एंड यूनानी सर्विसेज-यूएयूएसएलए) ने दिव्य फार्मेसी को अपने पांच उत्पादों का उत्पादन बंद करने को कहा था. इसके बाद दिव्य फार्मेसी की मूल संस्था पतंजलि आयुर्वेद ने 11 नवंबर को इस ‘साजिश’ में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी थी.
उत्तरखंड सरकार के इस कदम पर प्रतिक्रिया देते हुए, पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण ने दिप्रिंट को बताया कि कानूनी कार्रवाई की धमकी में अब संसोधन किया जाएगा, मगर पतंजलि संस्थान ‘मेडिकल माफिया’ और ‘आयुर्वेद को बदनाम करने के प्रयासों’ के खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखेगी.
शनिवार को दिव्य फार्मेसी को भेजे गए पत्र में यूएयूएसएलए के लाइसेंस अधिकारी डॉ. सी.जी.एस. जंगपांगी ने कहा कि उनका लगाया प्रतिबंध ‘गलत’ था. पत्र में लिखा है, ‘इसे संशोधित किया जा रहा है और पहले की तरह इसका निर्माण जारी रखने की अनुमति दी जाती है.’
यूएयूएसएलए ने दिव्य फार्मेसी को ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज (ऑब्जेक्शनेबल एडवर्टिजमेंट) एक्ट 1954, और ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट 1945 के उल्लंघन के आरोपों पर अपना जवाब दाखिल करने के लिए एक सप्ताह का अतिरिक्त समय भी दे दिया है.
इससे पहले इस अनुज्ञप्ति प्राधिकरण (लाइसेंसिंग अथॉरिटी) ने बाबा रामदेव की कंपनी को एक सप्ताह के भीतर इन पांच दवाओं के विज्ञापनों में संशोधित फॉर्मूलेशन शीट और लेबल पर लगे दावों के बारे में अपना जवाब प्रस्तुत करने के लिए कहा था.
इसने दिव्य फार्मेसी को दिव्य मधुग्रिट, दिव्य आईग्रिट गोल्ड, दिव्या थायरोग्रिट, दिव्या बीपीग्रिट और दिव्य लेपिडोग्रिट का उत्पादन रोकने का भी निर्देश दिया था. प्राधिकरण ने दिव्या फार्मेसी को इन दवाओं के सभी विज्ञापनों को मीडिया से हटाने का भी आदेश दिया.
बालकृष्ण ने दिप्रिंट को बताया, ‘अब जब सरकार ने अपनी गलती स्वीकार कर ली है, तो पतंजलि संस्थान भी कानूनी कार्रवाई के लिए दी गई चेतावनी पर अपने रुख की समीक्षा करेगा. हालांकि, पतंजलि संस्थान अपने इस बयान पर कायम है कि यह दिव्य फार्मेसी की छवि खराब करने के लिए आयुर्वेद विरोधी ताकतों द्वारा किया गया एक दुर्भावनापूर्ण प्रयास था. हम इस तरह के कदमों को कभी सफल नहीं होने देंगे.’
उन्होंने दावा किया कि ‘अज्ञानी, असंवेदनशील, अक्षम लाइसेंसिंग अधिकारी’ आयुर्वेदिक चिकित्सा की पूरी परंपरा को कलंकित कर रहे हैं.
उन्होंने स्पष्ट रूप से जंगपांगी की ओर इशारा करते हुए कहा, ‘यह एक अधिकारी द्वारा प्रमाण-आधारित अनुसंधान और आयुर्वेद के प्रमाणीकरण को धूमिल करने और पतंजलि की प्रतिष्ठा को बदनाम करने के लिए किया गया अनुचित कार्य था. हम राज्य सरकार के एक अधिकारी के कृत्य से बहुत आहत हैं.’
बालकृष्ण ने कहा, ‘पतंजलि संस्थान आयुर्वेद और योग के विकास किसी भी रूप के खिलाफ साजिश रचने वालों या ‘मेडिकल माफिया द्वारा समर्थित लोगों के खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखेगा.’
पतंजलि के प्रबंध निदेशक और सह-संस्थापक रहे बालकृष्ण ने शनिवार को एक ट्वीट कर प्रतिबंध हटाने के लिए उत्तराखंड सरकार का आभार भी व्यक्त किया था.
दिव्य फार्मेसी की मूल संस्था पतंजलि आयुर्वेद ने इस प्रतिबंध को ‘आयुर्वेद विरोधी ड्रग माफिया की कारगुजारी‘ और यूएयूएसएलए को ‘इस साजिश का एक पक्ष’ बताया था. यह प्रतिबंध केरल के एक नेत्र रोग विशेषज्ञ द्वारा ‘इन दवाओं के बारे में बार-बार भ्रामक और आपत्तिजनक विज्ञापनों को प्रकाशित करने के सन्दर्भ में’ जुलाई और अक्टूबर में की गई दो अलग-अलग शिकायतों के बाद लगाया गया था.
(अनुवाद: राम लाल खन्ना)
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