लखनऊ: उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले में चल रही धर्मांतरण विरोधी कार्रवाई के तहत पुलिस ने एक स्थानीय चर्च से जुड़े 14 लोगों को कथित तौर पर गरीब हिंदुओं को मुफ्त में भैंस, स्कूल में दाखिला और नौकरी देने का लालच देकर उन्हें ईसाई धर्म अपनाने के लिए कहने के आरोप में गिरफ्तार किया है.
इस साल अप्रैल के बाद से, पुलिस ने फतेहपुर के हरिहरगंज इलाके में इवेंजेलिकल चर्च ऑफ इंडिया (ईसीआई) से जुड़े 40 लोगों को गिरफ्तार किया है और इनमें से 14 गिरफ्तारियां 30 अक्टूबर से 9 नवंबर के बीच हुई हैं. इसके अलावा पुलिस ने पिछले महीने ही फतेहपुर के ललौली इलाके में कार्यरत ‘नया जीवन चर्च’ से जुड़े पांच लोगों को गिरफ्तार किया था. ये सभी गिरफ्तारियां स्थानीय विश्व हिंदू परिषद (विहिप) और बजरंग दल इकाइयों द्वारा की गई शिकायतों के बाद हुईं हैं.
गिरफ्तारी के नवीनतम दौर के बारे में दिप्रिंट से बात करते हुए, कोतवाली के स्टेशन हाउस ऑफिसर (एसएचओ) या थाना प्रभारी अमित मिश्रा ने दावा किया कि इवेंजेलिकल चर्च ऑफ इंडिया किसी ‘वर्ल्ड विजन’ नामक एनजीओ के साथ ‘संबद्ध’ है.
मिश्रा ने कहा, ‘वे लोगों को हर तरह का लालच देते थे, जैसे कि मिशनरी स्कूलों में बच्चों को दाखिला देना और स्थानीय मिशनरी अस्पताल तथा गैर सरकारी संगठनों में युवाओं को नौकरी देना आदि. वे गांवों में जाते हैं और लोगों को आर्थिक मदद देते हैं. वे उन लोगों के लिए भैंस खरीद देते हैं जिनमें उन्हें खरीदने की क्षमता नहीं है.’
उन्होंने अनुमान लगाया कि चर्च के आरोपी सदस्यों द्वारा अब तक ‘1,000 से 2,000’ लोगों का धर्म परिवर्तित किया गया है, हालांकि इसकी सटीक संख्या का पता लगाना अभी जांच के अधीन है.
उन्होंने आगे बताया, ‘गिरफ्तार किए गए लोगों में पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, झारखंड, बिहार और उत्तराखंड जैसे विभिन्न राज्यों के धर्मांतरित हिंदू शामिल हैं. अप्रैल में गिरफ्तार किए गए अन्य लोगों के अलावा इस बार अब तक 14 लोगों को गिरफ्तार किया गया है.‘
इस बीच, चर्च ने अपने ऊपर लगे आरोपों से पूरी तरह से असहमति जताई है.
दिप्रिंट के साथ बात करते हुए, दिल्ली स्थित इवेंजेलिकल चर्च ऑफ इंडिया के महासचिव और कानूनी अधिकारी रेवरेंड एडविन जॉन वेस्ले ने दावा किया कि ईस्टर से पहले वाले ‘मौंडी थर्सडे’ के लिए आयोजित एक सभा को विहिप के नेतृत्व वाली ‘भीड़’ द्वारा ‘जय श्री राम’ के नारे लगाते हुए बाधित कर दिया गया था.
उन्होंने आरोप लगाया कि इसके बाद दर्ज की गयी प्राथमिकी निराधार है और उत्तर प्रदेश के धर्मांतरण विरोधी कानून का इस्तेमाल ईसाइयों को ‘परेशान’ करने के लिए किया जा रहा है
उन्होंने कहा कि उन्होंने इन गिरफ्तारियों के खिलाफ राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग, उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक आयोग और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में शिकायत दर्ज कराई है.
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विहिप बनाम इवेंजेलिकल चर्च
इस साल 14 अप्रैल को, विहिप के एक स्थानीय पदाधिकारी ने इवेंजेलिकल चर्च ऑफ इंडिया के पादरी और अन्य सहयोगियों के खिलाफ पुलिस में एक शिकायत दर्ज करवाई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि उन्होंने 40 दिनों की अवधि के दौरान ‘लगभग 90 हिंदुओं’ का वित्तीय सहायता और नौकरी के प्रलोभन के साथ बहला-फुसलाकर धर्म परिवर्तन कराया था.
इसके एक दिन बाद, 15 अप्रैल को, पुलिस ने 55 लोगों – 35 नामित और 20 अज्ञात – के खिलाफ आरोप दर्ज किये और 26 लोगों को धर्म के गैरकानूनी धर्मांतरण निषेध अधिनियम, 2021 की धाराओं के तहत गिरफ्तार किया गया. इस प्राथमिकी में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की विभिन्न धाराओं को भी शामिल किया गया, जिसमें 153A (धर्म के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देना), 506 (आपराधिक धमकी), 420 (धोखाधड़ी), और 468 (धोखाधड़ी के उद्देश्य से जालसाजी) शामिल हैं.
दिप्रिंट से बात करते हुए, विहिप की फतेहपुर इकाई के प्रांतीय सचिव वीरेंद्र पांडे ने इन गिरफ्तारियों तक की घटनाओं के बारे में बताया. उनके अनुसार, विहिप कार्यकर्ताओं के एक समूह ने अप्रैल में चर्च का दौरा किया था और देखा था कि वहां करीब 200 लोग जमा हुए थे.
उन्होंने कहा, ‘जब हमने वहां मौजूद कुछ आगंतुकों से पूछा कि वे वहां क्यों थे, तो उन्होंने हमें बताया कि चर्च के सदस्य गांवों का दौरा करते हैं और उन्हें विभिन्न प्रकार की सहायता प्रदान करते हैं. अगर किसी की तबीयत खराब होती है तो वे दवाइयों के साथ उसकी मदद करते हैं, अगर किसी परिवार में किसी लड़की की शादी नहीं हो रही है तो वो उस परिवार से लड़की को क्रॉस पहनाने के लिए कहते हैं ताकि उसकी शादी हो जाए. इसी तरह से अगर कोई दंपति आपस में लड़ रहे होते हैं, तो उन्हें क्रॉस पहनने के लिए कहा जाता है.’
पांडे ने दावा किया कि एक बार जब ईसाई समूह अपने ‘निशाने पर बने लोगों’ के साथ तालमेल विकसित कर लेते हैं, तो वे हिंदुओं को अपनी मूर्तियों को तालाबों में विसर्जित करने और ईसाई कैलेंडर रखने के लिए कहते हैं.
उन्होंने आरोप लगाया कि जो लोग इसका अधिक प्रतिरोध करते हैं, उन्हें ‘10,000 से 50,000 रुपये’ की पेशकश की जाती है या नौकरी और स्कूल में दाखिले के वादे के साथ लुभाया जाता है.
उन्होंने दावा किया, ‘लक्षित लोगों को हर रविवार को चर्च जाने के लिए कहा जाता है और फिर अंत में उन्हें ईसाई धर्म स्वीकार करने के लिए कहा जाता है.’
हालांकि, रेव वेस्ली ने आरोप लगाया है कि यह सारा विवाद तब शुरू हुआ जब एक विहिप की अगुआई वाली एक ‘भीड़’ एक धार्मिक सभा में बाधा पहुंचाने के लिए आई.
उन्होंने कहा, ‘14 अप्रैल को ‘मौंडी थर्सडे’ के अवसर पर ईसाई समुदाय के सदस्य प्रार्थना में लगे हुए थे, और तभी लगभग 70-80 लोगों ने चर्च के मुख्य द्वार को बंद कर दिया और ‘जय श्री राम’ के नारे लगाने लगे. जो लोग वहां उपस्थित थे, वे समझ नहीं पा रहे थे कि क्या हो रहा है. यह चर्च 30 साल पुराना है और इसके सदस्यों के सामने ऐसी स्थिति पहले कभी नहीं आई थी.’
वेस्ली ने दावा किया कि बाद में पुलिस घटनास्थल पर पहुंची, लेकिन उसने केवल पादरी और प्रार्थना में शामिल होने वालों के खिलाफ ही मामला दर्ज किया. उन्होंने आरोप लगाया, ‘जब हमने भीड़ के साथ आए हिमांशु दीक्षित (विहिप पदाधिकारी) के खिलाफ शिकायत दर्ज की, तो पुलिस ने 24 घंटे के भीतर इसे बंद कर दिया.’
उन्होंने कहा, ‘जब मामला अदालत में पहुंचा, तो सभी को जमानत दे दी गई. हालांकि, पिछले महीने उनके द्वारा दूसरी शिकायत दर्ज करवाई गई और पुलिस ने पांच अन्य धाराएं जोड़ते हुए शेष व्यक्तियों का पीछा करना शुरू कर दिया.’
फिर, 30 अक्टूबर को, फतेहपुर पुलिस ने पादरी विजय मसीह को गिरफ्तार कर लिए और कथित रूप से धर्मान्तरित लोगों की ‘अपडेटेड पहचान’ के साथ बनाये गए आधार कार्ड भी जब्त कर लिए.
4 नवंबर को, 10 और लोगों को गिरफ्तार किया गया और राज्य के धर्मांतरण निषेध अधिनियम के प्रावधानों के साथ-साथ आईपीसी की धारा 506 और 153 ए के तहत मामला दर्ज किया गया.
इसके बाद, 4 नवंबर, को 10 और लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया. फतेहपुर के पत्थर काटा चौराहा इलाके में गिरफ्तार होने वाला पहला शख्स राजेश सिंह था. पुलिस के एक बयान के अनुसार, जिस स्थान पर उसे पकड़ा गया था वहां वह धर्म परिवर्तित करवाने के उद्देश्य से कुछ लोगों का ‘इंतजार’ कर रहा था.
सिंह से मिली ख़ुफ़िया जानकारी के आधार पर पुलिस ने उसके नौ अन्य ‘साथियों’ को बख्शपुर इलाके के एक घर से गिरफ्तार किया. फतेहपुर पुलिस के बयान में कहा गया है कि वे वहां ‘ईसाई धर्म को बढ़ावा देने और गरीब / दलित हिंदू परिवारों को लुभाने’ के लिए एक बैठक आयोजित करने के उद्देश्य से एकत्र हुए थे.
इवेंजेलिकल चर्च ऑफ इंडिया के सदस्यों के साथ फतेहपुर पुलिस के जवान जिन्हें 4 नवंबर को गिरफ्तार किया गया था | विशेष व्यवस्था द्वारा
इसके अलावा, बयान में कहा गया है कि बैठक में उपस्थित लोगों के अनुसार वे ‘वर्ल्ड विजन’ नामक एनजीओ के सदस्यों द्वारा समर्थित हैं, जो उन्हें आर्थिक रूप से और बैठकें आयोजित करने में मदद करते हैं. इसके बाद, चर्च के तीन और सहयोगियों को गिरफ्तार किया गया.
दिप्रिंट के साथ बात करते हुए, फतेहपुर के पुलिस अधीक्षक राजेश कुमार सिंह ने कहा कि फतेहपुर में इवेंजेलिकल चर्च ऑफ इंडिया बहुत पुरानी संस्था है और इस मामले के आरोपी लंबे समय से धर्मांतरण के काम में लगे हुए थे.
उन्होंने कहा, ‘वे गरीब लोगों को चुनते थे और उन्हें दवाइयां, कंप्यूटर, मोबाइल आदि देते थे. फिर, वे उन्हें अपनी प्रार्थना सभा में बुलाते थे. यदि कोई बीमार होता, तो वे उसे स्थानीय मिशनरी अस्पतालों में भर्ती करवाते और उन्हें ईसाई प्रार्थना करने के लिए कहते. बाद में, वे दावा करते कि उनकी प्रार्थनाओं के कारण एक बीमार व्यक्ति का इलाज किया गया है. दवा, कपड़े, इलाज आदि के लिए पैसे की पेशकश की गई थी.‘
यह पूछे जाने पर कि क्या चर्च लोगों को धर्मान्तरित करता है, वेस्ली ने इससे इनकार किया. उन्होंने कहा, ‘जहां तक धर्मांतरण का सवाल है, हमने पहले कभी ऐसा नहीं किया है और न ही भविष्य में करेंगे.’
उन्होंने कहा कि संविधान अल्पसंख्यकों को अपने धर्म को बढ़ावा देने, उसे मानने और उसका प्रचार करने की स्वतंत्रता की गारंटी देता है, और कुछ समूहों द्वारा ‘धर्मांतरण विरोधी कानून’ का दुरुपयोग किया जा रहा है.
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नया जीवन चर्च का मामला
पिछले महीने, फतेहपुर के लालौली इलाके में ‘नया जीवन चर्च’ के कई सदस्यों को बजरंग दल के सदस्यों की तरफ से मिली जबरन धर्मांतरण की शिकायतों के आधार पर गिरफ्तार किया गया था. इसके तहत, पादरी जयलाल गिहार और चार अन्य पर धार्मिक भावनाओं को आहत करने और आपराधिक धमकी देने का मामला दर्ज किया गया था.
ये गिरफ्तारियां तब हुईं थी जब बजरंग दल के सदस्यों ने दावा किया था कि ‘नया जीवन चर्च’ के सदस्य जिले के बहुआ शहर में लोगों का धर्म परिवर्तन करवा रहे हैं.
पांडे ने बताया, ‘हमें बहुआ शहर में लोगों के धर्मांतरण के बारे में जानकारी मिली, और जब हमने चर्च का दौरा किया, तो एक रजिस्टर मिला जिसमें लगभग 1,500 लोगों के नाम और मोबाइल नंबर जैसे विवरण दर्ज थे. हमें उनकी मंशा पर शक होने लगा और जब हमने स्थानीय लोगों से पूछताछ की तो उन्होंने बताया कि आरोपी धर्मांतरण के लिए पैसे और अन्य प्रलोभन दे रहे थे. फिर पुलिस को सूचित किया गया.’ स्थानीय ख़बरों मुताबिक, मामले की जांच अभी भी जारी है.
(अनुवाद: रामलाल खन्ना)
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