अहमदाबाद: इसी साल जून में भाजपा में शामिल हुए पाटीदार नेता और पूर्व कांग्रेसी हार्दिक पटेल को अपनी पूर्व पार्टी कतई नहीं सुहाती है. यही वजह है कि वह न केवल इसकी कार्यप्रणाली की आलोचना करते हैं, बल्कि यह आरोप भी लगाते हैं कि वह गुजरात में सांप्रदायिकता की राजनीति सिर्फ इसलिए कर रही है ताकि ‘मुस्लिम मतदाताओं’ को लुभा सके.
उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस को गुजरात के लोगों के लिए काम करने में कोई दिलचस्पी नहीं है. वो तो सिर्फ मुसलामानों को खुश करने के लिए बार-बार राज्य के उद्योगपतियों, हिंदुओं, (प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी) और अमित शाह के लिए अपशब्दों का इस्तेमाल करते रहते हैं.’
अहमदाबाद के विरमगाम स्थित अपने साधारण से दफ्तर में गुरुवार को दिप्रिंट को दिए एक इंटरव्यू में हार्दिक पटेल ने बताया कि उन्होंने कांग्रेस क्यों छोड़ी थी, साथ ही भाजपा में अपनी भूमिका, पाटीदार आंदोलन, मोरबी त्रासदी और बिलकिस बानो मामले में दोषी ठहराए गए 11 लोगों की रिहाई तक तमाम मुद्दों पर बात की.
हार्दिक 2019 में कांग्रेस में शामिल हुए थे और इस पार्टी के साथ रहने के दौरान वह भाजपा के मुखर आलोचक थे. हालांकि, अब वे कहते हैं कि वह कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाने और अयोध्या में राम मंदिर बनने का हमेशा से समर्थन करते रहे हैं.
उन्होंने कहा, ‘(कांग्रेस) को अनुच्छेद 370 हटने और श्री राम जन्मभूमि फैसले (दोनों 2019 में) दोनों से परेशानी थी. मैं इस पर कभी समझौता नहीं कर सकता. आखिरकार, मैं एक हिंदू हूं और मेरी धार्मिक भावनाएं है. मैं भी यही चाहता था कि अनुच्छेद 370 हटाया जाए और अयोध्या में राम मंदिर बने.’
उन्होंने दावा किया कि यही भावनाएं उनके इस साल मई में गुजरात प्रदेश कांग्रेस कमेटी (जीपीसीसी) के कार्यकारी अध्यक्ष के पद से इस्तीफा देने और राज्य के विधानसभा चुनावों से कुछ महीने पहले भाजपा में शामिल होने की वजह बनीं. गौरतलब है कि राज्य में 1 और 5 दिसंबर को दो चरणों में विधानसभा चुनाव होने हैं.
पिछली बार राज्य के विधानसभा चुनाव दिसंबर 2017 में हुए थे, जब पटेल ने कांग्रेस का समर्थन किया था और माना जाता है कि यह भाजपा के प्रदर्शन को प्रभावित करने में कांग्रेस के लिए मददगार साबित हुआ था. चुनाव में कड़ी टक्कर देते हुए कांग्रेस 182 विधानसभा सीटों में से 77 पर जीत हासिल की थी. लेकिन इस साल कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व को भेजे अपने इस्तीफे में हार्दिक पटेल ने शिकायत की कि पार्टी में ‘गंभीरता का अभाव है.’
कांग्रेस के इस आरोप कि उनके इस्तीफे में अनुच्छेद 370 और राम मंदिर का उल्लेख बताता है कि वह भाजपा की लिखी ‘स्क्रिप्ट’ थी, पटेल ने कहा, ‘जब भरतसिंह सोलंकी ने कहा कि राम मंदिर की ईंटों पर कुत्ते पेशाब करते हैं, तब मेरा जो सही जवाब था वो लोगों के सामने आ गया था.’
मई में पूर्व राज्य कांग्रेस प्रमुख भरतसिंह सोलंकी की उस टिप्पणी के लिए खासी आलोचना हुई थी जिसमें उन्होंने कहा था कि भाजपा ‘धर्म के नाम पर लोगों को धोखा दे रही है’ और अयोध्या में राम मंदिर के लिए भक्तों की तरफ से भेजी गई ईंटों पर ‘कुत्ते पेशाब’ करते हैं. पटेल, जो उस समय कांग्रेस छोड़ चुके थे और तब तक भाजपा में शामिल नहीं हुए थे, ने सोलंकी की टिप्पणी को ‘हिंदुओं का अपमान’ करार दिया था.
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‘खड़गे से पूछो’
कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व की कार्यशैली के बारे में पूछे जाने पर पटेल ने कहा कि किसी पद पर होने वाला कोई भी व्यक्ति काम करने की आजादी चाहेगा और यह संकेत दिया कि पार्टी में यह संभव नहीं है.
उन्होंने कहा, ‘आपको भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नवनियुक्त अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से पूछना चाहिए कि क्या उनका प्रभाव और शक्ति बनी रहेगी या गांधी परिवार ही पार्टी को चलाना जारी रखेगा.’
पटेल ने अप्रैल में दिप्रिंट को बताया था कि कांग्रेस के भीतर ‘गुटबाजी’ ने गुजरात के लोगों की भलाई के लिए काम करने के उनके प्रयासों को बाधित कर दिया.
यह पूछे जाने पर कि क्या भाजपा अलग तरह की पार्टी है, पटेल ने कहा कि ये पार्टी अपने नेताओं को सार्थक काम देती है. उन्होंने कहा, ‘पिछले तीन महीनों में मैं कई प्रोजेक्ट का हिस्सा रहा हूं, जिसमें (भाजपा) गौरव यात्रा का प्रबंधन, केंद्रीय मंत्रियों के साथ काम करना और विरमगाम में जमीनी स्तर पर काम करना शामिल है. राजनीति में कर्म ही पूजा है.’
पटेल ने कहा कि वह भाजपा में खुद को मिली जिम्मेदारियों से संतुष्ट हैं क्योंकि पार्टी जमीनी स्तर पर अपनी कल्याणकारी योजनाओं पर अमल सुनिश्चित करने में माहिर है.
‘2022 में फिर से खुद को साबित करूंगा’
2015 में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की स्थिति और आरक्षण को लेकर पाटीदार आंदोलन का चेहरा बने पटेल को उस पार्टी में शामिल होने पर खासी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था जिसका कभी पुरजोर विरोध करते थे. लेकिन हार्दिक पटेल का मानना है कि उन्होंने खुद को साबित किया है और गुजरात के लोगों के बीच उनकी अपील में कोई कमी नहीं आई है.
पाटीदार पारंपरिक तौर पर एक कृषि प्रधान समुदाय है, जिसकी आबादी गुजरात में लगभग 13 प्रतिशत है. लेकिन व्यापार और राजनीति में उसे अपेक्षित प्रतिनिधित्व नहीं मिला है.
आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (ईडब्ल्यूएस) के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था के पीछे खुद भी थोड़ा श्रेय लेते हुए, हार्दिक पटेल ने कहा कि पाटीदार आंदोलन ने वंचित परिवारों को देशभर के शैक्षणिक संस्थानों और कार्यस्थलों में जगह दिलाने में मदद की है. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को इस आरक्षण की वैधता को बरकरार रखा, जिससे पाटीदार और अन्य समुदायों को लाभ होने की उम्मीद है.
हार्दिक पटेल ने कहा, ‘मैंने 2017 में खुद को साबित किया था और इस साल फिर साबित करूंगा. मेरे समर्थन में बोलने के लिए कोई राजनीतिक गॉडफादर नहीं है, लेकिन मैंने राज्य के लोगों के लिए अपना पसीना बहाया है. मेरे काम के प्रति उनका भरोसा ही है जिसने मुझे खुद को साबित करने में मदद की.’
निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवाणी के इस दावे कि हार्दिक दबाव में आकर भाजपा में शामिल हुए थे, को उन्होंने सिरे से नकार दिया और कहा कि राजनीति में इस तरह के आरोप लगाना आम बात है. उन्हें सच्चाई पर कुछ तो ध्यान देना चाहिए.
मेवाणी वडगाम से निर्दलीय विधायक हैं और गुजरात कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष हैं.
पटेल ने कहा, ‘हार्दिक को समझौते करने वाला नहीं माना जाना चाहिए. मैं 2017 में पाटीदार आंदोलन के दौरान नहीं झुका था, मैं 2022 में भी नहीं झुकूंगा.’
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मोरबी हादसे और बिलकिस बानो मामले पर क्या बोले
हार्दिक पटेल ने पीएम मोदी के गुजरात के मोरबी पहुंचने के दौरान ‘दो बार पोशाक बदलने’ को लेकर आम आदमी पार्टी (आप) की तरफ से की गई आलोचना पर भी जवाब दिया है. गौरतलब है कि मोरबी में एक सस्पेंशन ब्रिज ढह जाने के कारण 135 लोगों की जान चली गई थी.
उन्होंने कहा, ‘ये आरोप लगाने वाले लोग तो न खाना खाते हैं या न कपड़े बदलते हैं? क्या वे चार दिनों तक एक ही कपड़े पहने रहते हैं? इस तरह की मानवीय त्रासदी को चुनावी चर्चा का विषय बनाना उनकी असंवेदनशीलता को दिखाता है.’
पटेल ने कहा कि गुजरात में फिर से सत्ता में आने पर भाजपा सरकार मोरबी हादसे के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगी और यह सुनिश्चित करेगी कि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों.
2002 के बिलकिस बानो मामले में दोषी 11 लोगों की रिहाई के मुद्दे पर, पटेल ने कहा कि उनके (बिलकीस) के साथ जो कुछ भी हुआ वो ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ था और इस मामले में निर्णय की अंतिम समीक्षा करना तो सुप्रीम कोर्ट पर निर्भर है. गुजरात सरकार ने पिछले माह सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दायर एक हलफनामे में खुलासा किया था कि 11 दोषियों की जल्द रिहाई के उसके फैसले को गृह मंत्रालय (एमएचए) से मंजूरी मिली थी.
उन्होंने कहा, ‘इस घटना को केवल इसलिए अहमियत दी जा रही है क्योंकि पीड़ित एक खास अल्पसंख्यक वर्ग की हैं. ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि कांग्रेस हिंदुओं और मुसलमानों के बीच दरार और बढ़ाने के लिए ऐसा कर रही है.’ उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस गुजरात में अपने ‘25-30 प्रतिशत’ वोट शेयर को बनाए रखने के लिए ‘सांप्रदायिक राजनीति’ कर रही है.
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