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Tuesday, 5 November, 2024
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कोलकाता मेट्रो से पड़ी ‘दरारों’ के बाद पैनल ने बहु बाजार के ब्रिटिशकालीन 45 घरों को गिराने को कहा

ईस्ट-वेस्ट मेट्रो कार्य के चलते पुरानी इमारतों को गंभीर नुकसान पहुंचा है. कोलकाता नगर निगम ने जादवपुर विश्वविद्यालय के विशेषज्ञ पैनल को इसकी जांच का जिम्मा सौंपा था.

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कोलकाता: आने वाले समय में कोलकाता के ऐतिहासिक ज्वेलरी हब बहु बाजार में बड़े बदलाव हो सकते हैं. जादवपुर विश्वविद्यालय की एक विशेषज्ञ समिति ने सिफारिश की है कि लगभग दो सदियों पुराने उन 45 घरों को ध्वस्त कर दिया जाना चाहिए, जिनमें कोलकाता मेट्रो पर भूमिगत निर्माण कार्य के चलते दरारें आ गई हैं.

कोलकाता मेट्रो रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड (केएमआरसीएल) सुरक्षा कारणों से बोबाजार में 26 घरों- इनमें से 23 घर सितंबर 2019 में और इस साल मई में तीन अन्य- को पहले ही गिरा चुका है. सिफारिश के मुताबिक अगर 45 अन्य इमारतों को भी गिरा दिया जाता है, तो यह संख्या कुल 71 हो जाएगी.

इमारतों को हुए नुकसान का आकलन करने और समाधान की रूपरेखा तैयार करने के लिए कोलकाता नगर निगम (केएमसी) की तरफ से मई में सेवानिवृत्त और सेवारत सिविल इंजीनियरिंग प्रोफेसरों की एक एक्सपर्ट कमेटी का गठन किया था.

कमेटी की 80-पेज की रिपोर्ट को दिप्रिंट ने भी देखा है. इसे अक्टूबर के दूसरे सप्ताह में पेश किया गया था. रिपोर्ट में कहा गया है कि विस्थापित निवासियों की फिर से रहने की व्यवस्था करने और इन इमारतों के पुनर्निर्माण के तीन तरीके हैं.

एक तरीका यह है कि केएमसी और कोलकाता मेट्रो उन सभी घरों को तोड़कर, जो 185 साल या उससे भी पुराने हैं, वहां रेजिडेंशियल हाई राइज बिल्डिंग के साथ एक मॉडर्न ज्वैलरी सेंटर विकसित करे. या फिर वैकल्पिक रूप से इमारत के नियमों में ढील देकर टूटे हुए घरों को फिर से बनाया जा सकता है. रिपोर्ट में कहा गया है कि यह लागत प्रभावी नहीं होगा. तीसरा विकल्प यहां ऊंची-ऊंची बिल्डिंग और दो से तीन मंजिल वाले घरों को संयुक्त रूप से बनाया जाना भी हो सकता है.

जब से ईस्ट-वेस्ट मेट्रो कॉरिडोर का निर्माण शुरू हुआ है, तब से सुरक्षा से जुड़े मसले भीड़भाड़ वाले बहु बाजार को घेरे हुए हैं. यहां भारत की पहली अंडरवाटर मेट्रो सुरंग भी बन रही है.

सितंबर 2019 में दो इमारतें ढहने और कई अन्य में दरारें आने के बाद काम को कुछ समय के लिए रोक दिया, जिससे परियोजना में देरी हुई. मई 2022 में इसी तरह के मसले फिर से सामने आए और दुर्गा पिथुरी लेन में रहने वाले 150 से ज्यादा लोगों को सुरक्षा कारणों से बाहर निकालना पड़ा. महीनों तक काम ठप रहा. जब अक्टूबर में ग्राउटिंग का काम फिर से शुरू हुआ तो एक हफ्ते बाद फिर से दरारें पड़ने की सूचना मिलने लगीं.

दिप्रिंट ने टिप्पणियों के लिए केएमसी आयुक्त बिनोद कुमार से टेक्स्ट, व्हाट्सएप, फोन और ईमेल के जरिए संपर्क किया है. उनकी तरफ से प्रतिक्रिया मिलने के बाद इस लेख को अपडेट कर दिया जाएगा. उप महापौर अतिन घोष ने कहा कि मामला उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर है. इसलिए वह इस बारे में कुछ नहीं बता सकते हैं. उन्होंने रिपोर्ट के संबंध में केएमसी आयुक्त से बात करने के लिए कहा.

कोलकाता मेट्रो के निदेशक (प्रोजेक्ट) एन.सी. करमाली ने दिप्रिंट को बताया कि विशेषज्ञ पैनल की रिपोर्ट अभी तक केएमसी से प्राप्त नहीं हुई है. बहु बाजार के नीचे फिलहाल काम बंद कर दिया गया है.

बहु बाजार में रहने वाले लोग अभी भी अनिश्चितता में जी रहे हैं. और जिन लोगों को सुरक्षा कारणों के चलते इस महीने उनके घरों से निकाला गया था वे अभी भी होटलों में ठहरे हुए हैं.

करमाली ने कहा, ‘हम जल्द ही मदन दत्ता लेन के निवासियों के लिए मुआवजे की प्रक्रिया शुरू कर देंगे. ये सभी 14 अक्टूबर को विस्थापित किए गए थे.’


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क्या कहती है विशेषज्ञ समिति

जादवपुर यूनिवर्सिटी के रिटायर्ड प्रोफेसर और विशेषज्ञ पैनल के सदस्य हिमाद्री गुहा ने दिप्रिंट से बात करते हुए कहा कि इस साल मई में केएमसी ने दुर्गा पिथुरी लेन की घटनाओं को देखते हुए बहु बाजार में घरों और दुकानों का सर्वे करने के लिए टीम का गठन किया गया था.

उन्होंने कहा, ‘हम अपनी रिपोर्ट जमा करने वाले ही थे कि अक्टूबर के दूसरे सप्ताह में मदन दत्ता लेन से दूसरी घटना की सूचना मिल गई. हमें अपने सर्वेक्षण के दायरे का विस्तार करना पड़ा और केएमसी को तत्काल एक रिपोर्ट सौंपनी पड़ी.’

रिपोर्ट में कहा गया है कि 2019 के बाद से मेट्रो निर्माण कार्य के कारण बोबाजार की इमारतों में दरारें आने के पांच मामले सामने आए हैं. हालांकि सितंबर 2019 के बाद से कोई बड़ा टनलिंग कार्य नहीं हुआ है. वहां इमारतों में आने वाली दरारों के लिए टनल बोरर का एक्विफर (जलभृत) से टकराने के लिए जिम्मेदार ठहराया गया था. यह कथित तौर पर जमीन के नीचे धंसने या डूबने के कारण हुआ था, जिससे कुछ घर गिर गए और कुछ में दरारे पड़ गईं.

जेयू पैनल की रिपोर्ट में ब्रिटिश भूगोलवेत्ता जेम्स रेनेल के बंगाल के 1794 के नक्शे सहित अभिलेखीय सामग्रियों का संदर्भ दिया गया है, ताकि बोबाजार में इमारत को हो रहे नुकसान की सही स्थिति के बारे में पता लगाया जा सके.

गुहा ने समझाया, ‘कलकत्ता दुनिया के सबसे अच्छी तरह से प्रलेखित (डाक्यूमेंटिड) शहरों में से एक है. यह ब्रिटिश राजधानी थी, इसलिए नक्शों में इसके बारे में काफी कुछ डिटेल में मौजूद है. बोबाजार में एक नाला था, वह एक आर्द्रभूमि थी. ईस्ट इंडिया कंपनी अभिलेखागार के रिकार्ड के अनुसार 1709 में ब्रिटिश ने एक सड़क का निर्माण किया था. बोबाजार के नीचे एक जलभृत है, जिसका अर्थ है मिट्टी के नीचे की चट्टान जिसमें पानी है.

कोलकाता मेट्रो के करमाली ने दिप्रिंट को बताया कि ईस्ट-वेस्ट कॉरिडोर में काम चल रहा है, लेकिन बोबाजार के नीचे का क्रॉस-पैसेज का काम रोक दिया गया है. उन्होंने कहा, ‘हमारी विशेषज्ञ टीमें क्षेत्र का सर्वेक्षण और निरीक्षण कर रही हैं. स्टुप कंसल्टेंट्स हमारे बिल्डिंग एक्सपर्ट पार्टनर हैं और वे इलाके की इमारतों का भी अध्ययन कर रहे हैं.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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