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Friday, 22 November, 2024
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कैमरा, वॉयस रिकॉर्डर, ‘नारियल पानी’ और ‘विटामिन’ – तेलंगाना में कैसे फंसे बीजेपी ‘एजेंट’

टीआरएस विधायक रोहित रेड्डी को पुलिस को कार्रवाई करने के लिए संकेत देने के तौर पर नारियल पानी मांगने को कहा गया था. रिमांड दस्तावेज के मुताबिक, आरोपी की व्हाट्सएप चैट में टीआरएस और कांग्रेस के 50 विधायकों की सूची का जिक्र है.

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हैदराबाद: एक कमरे में पूरी तैयारी के साथ रखे गए जासूसी कैमरे, कुर्ते की जेब में छिपे वॉयस रिकॉर्डर और एक गुप्त कोड तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के विधायकों के कथित खरीद-फरोख्त के प्रयास का भंडाफोड़ करने की साइबराबाद पुलिस की जटिल योजना का हिस्सा थे.

बुधवार की रात भाजपा के तीन कथित एजेंटों को टीआरएस विधायक पायलट रोहित रेड्डी के एक फार्म हाउस से गिरफ्तार किया गया था. इनके बारे में कहा जा रहा है कि ये तीनों पार्टी के तीन अन्य विधायकों के साथ मिलकर रेड्डी को पार्टी के खिलाफ बगावत करने के लिए लुभाने की कोशिश कर रहे थे. गिरफ्तार लोगों में फरीदाबाद का एक पुजारी, आंध्र प्रदेश के मंदिर शहर तिरुपति का एक संत और हैदराबाद का एक व्यापारी शामिल है.

दिप्रिंट को मिली रिमांड रिपोर्ट में पुलिस ने आरोपी को रंगेहाथ पकड़ने की योजना का ब्योरा दिया है. रेड्डी के फार्म हाउस के हॉल में चारों ओर इलेक्ट्रॉनिक स्पाई गैजेट्स लगाए गए थे, जहां विधायकों और आरोपियों के बीच एक बैठक होनी थी.

इस मामले में शिकायतकर्ता रेड्डी को बैठक खत्म होने के बाद ‘नारियल पानी ले आयो’ सीक्रेट कोड का इस्तेमाल करना था, जो पुलिस को कार्रवाई करने के लिए कहने का संकेत था. रेड्डी ने अपनी घरेलू सहायिका से नारियल पानी मांगा और इसी के साथ पुलिस ने अपनी पोजीशन ले ली.

रिपोर्ट के मुताबिक बुधवार शाम 4.10 बजे शुरू हुई बैठक करीब साढ़े तीन घंटे तक चली. इसके खत्म होने के ठीक बाद रेड्डी ने पुलिस को उस हॉल में आने के लिए ‘पहले से तय’ संकेत दिया.

रेड्डी के सफेद कुर्ते की दोनों जेबों में पुलिस ने वॉयस रिकॉर्डर छिपा दिए थे. रिपोर्ट में लिखा है कि रिकॉर्डिड आवाज को फिर से चलाया गया और आरोपियों से पूछताछ की गई. लेकिन उन्होंने बात नहीं की.

साइबराबाद पुलिस ने गुरुवार को कहा कि आरोपी ने रेड्डी को 100 करोड़ रुपये नकद और अन्य तीन विधायकों को भाजपा में शामिल होने के लिए 50 करोड़ रुपये देने की पेशकश की थी.

हालांकि पुलिस ने कोई नकदी जब्त नहीं की, इसलिए अदालत ने तीनों की हिरासत की याचिका खारिज कर दी. इसके बाद पुलिस ने तेलंगाना उच्च न्यायालय का रुख किया, जिसने शनिवार को आरोपी को 24 घंटे के भीतर आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया.

व्हाट्सएप चैट में विधायकों की सूची का जिक्र

रिपोर्ट में तीनों के व्हाट्सएप चैट का भी जिक्र है. चैट में आरोपी टीआरएस और पार्टी कांग्रेस पार्टी के 50 विधायकों की एक निश्चित सूची पर चर्चा करते हुए नजर आ रहे थे.

‘संतोष बीजेपी’ के साथ व्हाट्सएप चैट में आरोपियों में से एक ने कथित तौर पर कहा कि लगभग 24 मौजूदा विधायक तुरंत भाजपा में शामिल होने के लिए तैयार हैं. ऐसे 40 और सदस्यों को पार्टी में शामिल करने की योजना है. उसी चैट में एक अन्य मैसेज में कथित तौर पर रेड्डी सहित चार विधायकों का यह कहते हुए जिक्र किया गया था कि वे टीआरएस को तुरंत छोड़ने के लिए तैयार हैं, लेकिन उन्हें कुछ ‘विटामिन’ की जरूरत होगी.

चैट में लिखा था, ‘पायलट रोहित रेड्डी (नेता), गुववाला बलराज, हर्षवर्धन रेड्डी, रेगा कांथा राव – सभी टीआरएस के मौजूदा विधायक हैं. तत्काल शिफ्टिंग के लिए तैयार हैं. जितनी जल्दी हो सके अपॉइंटमेंट चाहिए. इससे पहले उन्हें 3 लोगों के लिए कुछ विटामिन हेल्प की जरूरत होगी.’

टीआरएस पर निशाना साधते हुए और उन ‘एजेंटों’ में से किसी के साथ भी पार्टी का जुड़ाव होने से इनकार करते हुए भाजपा ने आरोप लगाया है कि ये पूरा सीन तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव के बेगमपेट में स्थित ऑफिस-कम-रेजिडेंस प्रगति भवन में रची गई साजिश का हिस्सा है.

भाजपा नेताओं ने यह भी मांग की कि पुलिस इस बात के पुख्ता सबूत पेश करे कि ‘एजेंट’ उनकी पार्टी के थे. निष्पक्ष जांच के लिए मामले को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को स्थानांतरित करने की मांग को लेकर पार्टी पहले ही उच्च न्यायालय का रुख कर चुकी है.

केंद्रीय पर्यटन मंत्री किशन रेड्डी ने गुरुवार को कहा ‘यह सब ड्रामा है. विधायक पार्टी छोड़ने के इच्छुक नहीं थे तो एजेंटों से मिलने के लिए क्यों राजी हुए? उन्होंने उन एजेंटों को अपने घर पर क्यों आने दिया?’

सोशल मीडिया पर एक आरोपी की एक पुरानी तस्वीर वायरल होने के बाद पर्यटन मंत्री को विवादों में घसीटा गया है.

इस बीच तेलंगाना के मंत्री और टीआरएस के कार्यकारी अध्यक्ष के.टी. रामा राव ने गुरुवार को एक फरमान जारी कर पार्टी नेताओं को निर्देश दिया कि मामले की जांच के दौरान कोई बयान न दिया जाए. शनिवार को मंत्री ने दोहराया कि उन्होंने ये आदेश इसलिए दिया ताकि यह धारणा न बने कि सत्तारूढ़ दल मामले की जांच को प्रभावित करने की कोशिश कर रहा है.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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