नई दिल्ली: कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में अपने पहले भाषण में मल्लिकार्जुन खड़गे ने भावुक होकर ‘मिल मजदूर के बेटे’ को इस उच्च पद पर नियुक्त करने के लिए पार्टी को धन्यवाद दिया. नौ बार के विधायक और तीन बार के सांसद को 24 वर्षों में पार्टी का पहला गैर-गांधी अध्यक्ष नियुक्त किया गया है.
खड़गे ने पिछले हफ्ते, कांग्रेस सांसद शशि थरूर को भारी अंतर से हराया था और उन्हें कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया था.
मंगलवार को दिल्ली मुख्यालय में शपथ ग्रहण समारोह के दौरान खड़गे ने अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) में बड़ी संख्या में पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा- ‘यह पल मेरे लिए बहुत ही भावुक करने वाला है. एक मिल मजदूर के बेटे, एक साधारण कार्यकर्ता को कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में चुनने और उसे यह सम्मान देने के लिए मैं आप सभी का धन्यवाद करता हूं.’
उन्होंने कहा, ‘मैंने 1969 में एक ब्लॉक कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के रूप में जो यात्रा शुरू की थी, वह आज आपके सहयोग से यहां तक पहुंची’.
समारोह के दौरान खड़गे के साथ मंच पर सोनिया गांधी, पार्टी महासचिव सी. वेणुगोपाल, अजय माकन, पार्टी के केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण (सीईए) के सभी सदस्य, अध्यक्ष मधुसूदन मिस्त्री शामिल थे.
भारत जोड़ो यात्रा शुरू होने के बाद पहली बार दिल्ली लौटे राहुल गांधी भी मंच पर थे. हालांकि प्रियंका गांधी वाड्रा दर्शकों के बीच बैठी थीं.
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पार्टी अध्यक्ष के रूप में की गई पहले चरण की घोषणाओं में, खड़गे – पार्टी के 137 वर्षों के वजूद में तीसरे दलित प्रमुख – ने कहा कि उन्हें सलाह देने के लिए एक ‘सामाजिक न्याय समिति’ का गठन किया जाएगा साथ ही एससी/एसटी और ओबीसी के नेतृत्व के लिए भी एक योजना बनाई जाएगी.
नए प्रमुख ने सोनिया गांधी की भी प्रशंसा करते हुए कहा- ‘मुझे याद है जब 15 जनवरी, 1998 को, बेंगलुरू के नेशनल हाई स्कूल ग्राउंड में अपनी पहली जनसभा में आप ने कहा था कि आप कर्नाटक से राजनीतिक सबक ले रहे हैं. तब से आपने नि:स्वार्थ भाव से काम किया है और अपनी मेहनत से कांग्रेस पार्टी को संभाला है’.
खड़गे को अपनी जिम्मेदारी सौंपने वाली सोनिया ने कहा कि आज उन्हें ‘राहत’ मिली है.
सोनिया गांधी ने कहा- ‘मुझे आज राहत मिली है क्योंकि आपने मुझे जो प्यार और सम्मान दिया है, वह भी एक बड़ी जिम्मेदारी थी. आज, मैं इस जिम्मेदारी से मुक्त हुई, मैं अपने नए राष्ट्रपति मल्लिकार्जुन खड़गे जी को तहे दिल से बधाई देती हूं.’
उन्होंने कहा, ‘जिस तरह लोकतांत्रिक तरीके से कांग्रेस अध्यक्ष को चुना गया, मुझे उम्मीद है कि इसी तरह, आप सभी मिलकर कांग्रेस को एक ऐसी ताकत बनाने के लिए काम करेंगे जो हमारे देश की सभी समस्याओं को सफलतापूर्वक दूर कर सके.’
अपने भाषण के दौरान, खड़गे ने उदयपुर घोषणा के क्लाजों को पूरा करने का वादा किया, जिसे इस साल मई में पार्टी के नव संकल्प शिविर में पारित किया गया था.
उन्होंने घोषणा की कि शिवर के बाद जो पब्लिक इनसाइट कमेटी और इलेक्शन मैनेजमेंट कमेटी बननी थी, वह अब फिर से बनाई जाएगी. घोषणा के अनुसार, सार्वजनिक अंतर्दृष्टि समिति सर्वेक्षण करेगी, प्रमुख मुद्दों पर जनता के मूड का आकलन करेगी. चुनाव प्रबंधन समिति एक केंद्रीकृत निकाय होगी जो देशभर में कांग्रेस के चुनावों के लिए अभियान और टिकट वितरण का काम करेगी. इनके अलावा सभी राज्यों में राजनीतिक मामलों की समिति का भी गठन किया जाएगा.
बीजेपी पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि ‘बाबा साहेब (बी.आर.अंबेडकर) के संविधान को संघ के संविधान से बदलने का प्रयास किया जा रहा है.’
उन्होंने कहा ‘भारत के लोगों को बता दें कि कांग्रेस उनके संघर्षों और आकांक्षाओं में उनके साथ है. हम उनकी आवाज बनने जा रहे हैं और हम एक ऐसे भारत के लिए काम करेंगे, जिसकी कल्पना हमारे पूर्वजों ने की थी, जिन्होंने इस महान राष्ट्र के लिए अपना खून-पसीना दिया.’
एक नई शुरुआत
शपथ ग्रहण समारोह में सबसे पहले पहुंचने वाले नेताओं में थरूर भी शामिल थे. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, कांग्रेस नेता अंबिका सोनी, पी. चिदंबरम, माकन और मीरा कुमार समेत पार्टी के सभी शीर्ष नेता भी शामिल हुए.
मिस्त्री ने खड़गे का उनका चुनाव-विजेता प्रमाण पत्र सौंपा. वेणुगोपाल और माकन ने पार्टी की सेवा के लिए सोनिया गांधी को धन्यवाद दिया. खड़गे ने उन्हें स्मृति चिन्ह के रूप में उनके स्वर्गीय पति राजीव गांधी की एक तस्वीर भेंट की.
समारोह के बाद, कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) के सभी सदस्यों, एआईसीसी महासचिवों और प्रभारी ने नए अध्यक्ष को अपना इस्तीफा सौंप दिया क्योंकि अब खड़गे नई संगठनात्मक नियुक्तियां करेंगे.
इसके बाद खड़गे और सोनिया एक ही गाड़ी में एआईसीसी मुख्यालय से निकले.
एआईसीसी में सोनिया के कार्यालय में नेमप्लेट को खड़गे के नेमप्लेट के साथ बदल दिया गया है, यह पार्टी के सबसे लंबे समय तक रहे अध्यक्ष के कार्यकाल के अंत का प्रतीक था.
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