लखनऊ: अपनी दुबई यात्रा से ठीक पहले गल्फ न्यूज़ को दिए गए इंटरव्यू में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा था कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को कम आंकना गलत है. उनके मुताबिक ऐसी कई दिलचस्प चीज़ें हैं जो कांग्रेस उत्तर प्रदेश में कर सकती है और यह लोगों के लिए चौंकाने वाला होगा. राहुल ने ये बयान देकर यूपी में संगठन में जोश भरने की कोशिश तो की है लेकिन प्रदेश में कांग्रेस की राह बिलकुल आसान नहीं दिख रही. एक तरफ सपा-बसपा कांग्रेस को महागठबंधन में शामिल करने के मूड में नहीं तो वहीं दूसरी ओर सभी सीटों पर अकेले लड़ने के लिए कांग्रेस के पास मज़बूत संगठन नहीं दिख रहा. जिस तरह से दूसरे दलों में प्रदेश संगठन स्तर पर तैयारियां चल रही है उसके मुकाबले कांग्रेस का संगठन यूपी में इतना एक्टिव नहीं नज़र आ रहा. प्रदेश कांग्रेस कार्यालय जाकर हमने इसकी पड़ताल की.
प्रदेश अध्यक्ष व प्रभारी को लेकर तमाम कयास
लखनऊ के मॉल एवेन्यू इलाके में स्थित प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में पिछले कुछ दिनों प्रदेश अध्यक्ष राजबब्बर के आने की चर्चा थी लेकिन गुरुवार को उनका आना कैंसिल हो गया. वह कब आएंगे इसकी भी किसी को जानकारी नहीं. वहीं प्रदेश प्रभारी गुलाम नबी आजाद के प्रदेश में अगले कार्यक्रम को लेकर भी कोई जानकारी नहीं मिली. बता दें कि पिछले कई महीनों से यूपी कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी व प्रदेश अध्यक्ष बदले जाने की भी चर्चा चल रही है लेकिन लोकसभा चुनाव से लगभग चार महीने पहले तक भी कुछ तय नहीं हो पाया है. पार्टी के वरिष्ठ नेता वीरेंद्र मदान का कहना है कि फिलहाल चुनाव तक कुछ बदलाव नहीं होगा. पूरी उम्मीद है कि प्रदेश अध्यक्ष के पद पर राजबब्बर ही रहेंगे और वह जल्द ही यूपी आएंगे. वहीं संगठन के दूसरे नेता चुनाव की तैयारी में जुटे हुए हैं.
वरिष्ठ नेताओं का रोल नहीं क्लीयर
यूपी कांग्रेस में राज्यसभा सांसद संजय सिंह, पीएल पुनिया, पूर्व सांसद प्रमोद तिवारी, निर्मल खत्री, बसपा से आए वरिष्ठ नेता नसीमुद्दीन समेत तमाम दिग्गज नेता हैं लेकिन 2019 के चुनाव में यूपी में इनकी क्या भूमिका होगी ये अभी साफ नहीं हुआ है. ये नेता भी अभी इस पर कुछ बोलने को तैयार नहीं हैं शायद उन्हें भी नहीं पता कि पार्टी की ओर से उन्हें क्या रोल मिलेगा.
कई ज़िलों में को-ऑर्डिनेशन का कन्फ्यूज़न
कांग्रेस में प्रदेश व ज़िला स्तर पर को-ऑर्डिनेशन में काफी कन्फ्यूज़न दिखता है. आगरा, आज़मगढ़ समेत 14 ज़िलों में ज़िला अध्यक्ष, नगर अध्यक्ष के अलावा कार्यवाहक अध्यक्ष भी हैं. सूत्रों की मानें तो ज़िला कमेटी के सदस्यों में भी इस बात का कन्फ्यूज़न है कि किसका आदेश मानें और किसका न मानें. वहीं माना जा रहा था कि प्रदेश अध्यक्ष राजबब्बर को नई पीसीसी की टीम मिलेगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ. उन्हें फ्री-हैंड नहीं दिया गया. उन्होंने अपने स्तर पर कुछ बदलाव ज़रूर किए लेकिन फिर भी यूपी कांग्रेस के हालात नहीं बदल पाए हैं.
प्रदेश संगठन का दावा
कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता रफ़त फातिमा का कहना है कि पार्टी ने 2019 की तैयारी अपने स्तर से शुरू कर दी है. किसान, गरीब व मज़दूरों को ध्यान में रखते हुए प्रदेश स्तर पर तमाम यात्राएं चल रही हैं.
वहीं कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता पंकज तिवारी का दावा है कि इस बार 2009 लोकसभा चुनाव के प्रदर्शन को दोहराएगी. 2009 में यूपी में कांग्रेस ने 21 सीटें जीती थी.
ग्राउंड ज़ीरो पर हाल
जिस तरह से भाजपा, सपा व बसपा यूपी में कांग्रेस को जितना कमज़ोर आंक रहे हैं उतनी भी नहीं है. हाल ही में तीन राज्यों में मिली जीत ने यूपी में भी कांग्रेस के नेताओं का आत्मविश्वास बढ़ाया है. यही कारण है कि कई नेता अपने-अपने क्षेत्रों में काफी एक्टिव हो गए हैं. धौरारा में जितिन प्रसाद, पडरौना में आरपीएन सिंह, सहारनपुर में इमरान मसूद, उन्नाव में अन्नू टंडन, बाराबंकी में पीएल पुनिया (अपने पुत्र के साथ) इन दिनों काफी जनसंपर्क कर रहे हैं. अमेठी -रायबरेली के अलावा लगभग एक दर्जन से ऐसी सीटें हैं जहां कांग्रेस नेता तेज़ी से तैयारी में जुटे हैं लेकिन प्रदेश स्तर पर अभी चुनाव के मद्देनजर तैयारियां धीमी हैं. ऐसे में कांग्रेस 2009 लोकसभा चुनाव जैसा प्रदर्शन इस बार कर पाएगी ये कहना जल्दबाज़ी होगी.