नई दिल्ली: दिप्रिंट को मिली जानकारी के अनुसार 50 दिनों तक बनाई गई योजना, कई सारी बैठकों, विभिन्न स्थानों के मानचित्रण और प्रस्तुतियों ने एक साथ मिलकर भारत के उस पहले ‘समन्वयित छापे’ को अंजाम दिया, जिसके तहत कई जांच एजेंसियों के 1500 से अधिक कर्मियों ने गुरुवार सुबह 3 बजे 15 राज्यों में 93 स्थानों पर एक साथ छापेमारी की.
इस्लामिक संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) और इससे संबद्ध संगठनों के नेताओं के घरों और कार्यालयों पर राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए), प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और स्थानीय पुलिस बलों द्वारा मिलकर आयोजित की गई छापेमारी के परिणामस्वरूप 106 लोगों की गिरफ्तारी हुई है.
गिरफ्तार किए गए लोगों में पीएफआई के सह-संस्थापक पी. कोया जो प्रतिबंधित स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) के पूर्व सदस्य भी हैं, पीएफआई के अध्यक्ष ओ.एम.ए. सलेम और सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) के अध्यक्ष ई. अबूबकर, सहित पीएफआई के कई अन्य सदस्य शामिल हैं.
एसडीपीआई को पीएफआई की राजनीतिक शाखा माना जाता है.
एनआईए के सूत्रों ने बताया कि इस छापेमारी के बाद की गई 106 गिरफ्तारियों में से 45 लोगों को एनआईए ने पिछले एक साल में एजेंसी द्वारा दर्ज किए गए पांच मामलों- एक हैदराबाद में, तीन दिल्ली में और एक कोच्चि में- के तहत गिरफ्तार किया, जबकि अन्य लोगों को ईडी और स्थानीय पुलिस बल ने हिरासत में ले लिया है.
सूत्रों ने आगे बताया कि एनआईए द्वारा की गई 45 गिरफ्तारियों में से 19 आरोपियों को केरल से, 11 को तमिलनाडु से, सात को कर्नाटक से, चार को आंध्र प्रदेश से, दो को राजस्थान से और यूपी और तेलंगाना से एक-एक को गिरफ्तार किया गया है.
एनआईए के सूत्रों के अनुसार, यह एजेंसी पीएफआई के सदस्यों से जुड़े 19 मामलों की जांच कर रही है और उनके पास विशिष्ट ‘ख़ुफिया जानकारी और सबूत’ हैं कि पीएफआई के नेता और इसके कैडर के सदस्य आतंकवाद और आतंकवादी गतिविधियों के वित्तपोषण (धनराशि मुहैया कराने), सशस्त्र प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए प्रशिक्षण शिविर आयोजित करने और लोगों को प्रतिबंधित संगठनों में शामिल होने के लिए कट्टरपंथी बनाने जैसी गतिविधियों में शामिल रहे हैं.’
सूत्रों ने आरोप लगाया कि पीएफआई के सदस्य मुस्लिम युवाओं को कट्टरपंथी बना रहे हैं और आईएसआईएस जैसे प्रतिबंधित संगठनों में शामिल होने के लिए उनकी भर्ती कर रहे हैं.
पिछले हफ्ते तेलंगाना में भी एक छापेमारी की गई थी, जिसके बाद एनआईए ने दावा किया था कि पीएफआई ‘धर्म के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने के उद्देश्य से हिंसक और आतंकवादी कृत्य को अंजाम देने’ के मकसद से प्रशिक्षण देने हेतु शिविर आयोजित कर रहा था.
इस गुरुवार को तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली, असम, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गोवा, पश्चिम बंगाल, बिहार और मणिपुर में छापेमारी की गई और कुछ तीखी धार वाले हथियारों सहित कई ‘आपत्तिजनक सबूत’ और दस्तावेज जब्त किए गए. हालांकि, एनआईए सूत्रों ने बताया कि गिरफ्तार किए गए लोगों के पास से कोई फायर आर्म्स बरामद नहीं हुए हैं.
दिप्रिंट ने फोन कॉल के द्वारा ईडी के प्रवक्ता से संपर्क करने की कोशिश भी की लेकिन हमारे कॉल्स का कोई जवाब नहीं दिया गया.
इस बीच ईडी के कुछ सूत्रों ने बताया कि उनकी एजेंसी पीएफआई सदस्यों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों की जांच कर रही है और इस संगठन को प्राप्त धन के स्रोतों की भी छान-बीन की जा रही है.
हालांकि, ईडी द्वारा इस छापेमारी के दौरान की गई गिरफ्तारियों की संख्या अभी तक स्पष्ट नहीं है, मगर एजेंसी के सूत्रों के अनुसार चार लोग- पीएफआई के लिए खाड़ी देशों से धन इकट्ठा करने का आरोपी शफीक रहीमा, पीएफआई की दिल्ली शाखा के अध्यक्ष परवेज अहमद, दिल्ली में संगठन के महासचिव इलियास अहमद और कार्यालय सचिव अब्दुल मुकीत, फिलहाल ईडी की हिरासत में हैं.
इस गिरफ्तारियों की निंदा करते हुए पीएफआई के प्रवक्ता ने दिप्रिंट को बताया कि एनआईए के सारे दावे ‘निराधार’ हैं और उन्होंने इस एजेंसी पर ‘आतंक का माहौल पैदा करने’ का आरोप भी लगाया.
इस संगठन द्वारा जारी किए गये एक मीडिया बयान में कहा गया, ‘हम एनआईए और ईडी द्वारा मारे गये देशव्यापी छापे और लोगों की नाइंसाफी वाली गिरफ्तारी और भारत भर में हमारे (पीएफआई के) राष्ट्रीय और राज्य स्तर के नेताओं के उत्पीड़न और संगठन के सदस्यों और समर्थकों के खिलाफ ‘विच-हंट’ (निशाना बनाकर की गई कार्यवाही) की निंदा करते हैं.’
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‘टेरर फंडिंग, सोशल मीडिया पर दुश्मनी की भावना को बढ़ावा देना’
मगर, एनआईए के सूत्रों के अनुसार, ये गिरफ्तारियां इस तरह के ‘साक्ष्य और खुफिया जानकारी’ के आधार पर की गई है कि यह संगठन ‘आतंकवाद, आतंकी गतिविधियों और सोशल मीडिया के माध्यम से वैमनस्य को बढ़ावा देने’ में शामिल है.
एनआईए के एक सूत्र ने कहा, ‘जिन लोगों को गिरफ्तार किया गया है, वे आम जनता के मन में आतंक फैलाने के इरादे से हथियारों का उपयोग करके आतंकवादी कृत्यों को अंजाम देने की तैयारी में भी शामिल हैं. इन आरोपियों द्वारा न केवल आतंकवादी हमलों को अंजाम देने का प्रशिक्षण दिया जाता था, बल्कि वे सोशल मीडिया और अन्य प्लेटफार्मों के माध्यम से समाज में वैमनस्य को भी बढ़ावा दे रहे थे.’
छापेमारी के बाद जारी एक बयान में, एनआईए ने आरोप लगाया कि पीएफआई कई ‘हिंसक कृत्यों’ में शामिल रहा है, जिसमें ‘एक कॉलेज के प्रोफेसर का हाथ काटना, अन्य धर्मों में विश्वास करने वाले संगठनों से जुड़े लोगों की निर्मम हत्याएं करना, प्रमुख लोगों और स्थानों को निशाना बनाने के लिए विस्फोटकों को इकट्ठा करना, प्रतिबंधित संगठन इस्लामिक स्टेट को समर्थन करना और सार्वजनिक संपत्ति को नष्ट करना शामिल है और इन सब का ‘नागरिकों के मन में आतंक पैदा होने जैसा प्रभाव पड़ा है’.
दिप्रिंट से बात करते हुए एक पीएफआई सदस्य ने उनकी पहचान जाहिर न किए जाने की शर्त पर कहा, ‘एनआईए और ईडी द्वारा हम पर की गई कार्रवाई असहमति की आवाज को खत्म करने के लिए किया एक स्पष्ट विच हंट है. यह उन सभी के साथ होने जा रहा है जो इस अलोकतांत्रिक शासन का विरोध करते हैं.’
पीएफआई का उदय उस नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट (एनडीएफ) से हुआ है जिसका गठन 1993 में बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद हुआ था.
हालांकि पीएफआई का गढ़ केरल में है, जहां से इसने देश के अन्य हिस्सों में अपना विस्तार किया है. एनआईए सूत्रों के अनुसार 23 राज्यों में इसकी उपस्थिति है. पीएफआई खुद को ‘न्यो सोशल मूवमेंट’ बताता है जिसका उद्देश्य भारत के हाशिए पर पड़े लोगों को मजबूत बनाना है.
पीएफआई पर आरोप लग चुके हैं कि वो स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) का ही हिस्सा हैं. सिमी पर कई आंतकी हमलों में शामिल होने के आरोप हैं जिसमें 2002 और 2003 में मुंबई में हुए सिलसिलेवार हमले भी शामिल हैं.
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