नई दिल्ली : पिछले हफ्ते स्पेशल कोर्ट द्वारा आए फैसले के बाद शराब व्यापारी विजय माल्या पहले ‘भगोड़ा आर्थिक अपराधी’ घोषित हो गए हैं. दिप्रिंट ने कोर्ट द्वारा लिए गए निर्णय के विभिन्न पहलूओं को देखा.
‘भगोड़ा आर्थिक अपराधी’ कानून क्या है ?
‘भगोड़ा आर्थिक अपराधी’ कानून पिछले साल सरकार के प्रयासों द्वारा लाया गया था. इसका मकसद था आर्थिक अपराध किए उन लोगों को पकड़ना जो बिना अभियोजन का सामना किए देश छोड़ कर भाग गए हैं.
कानून में दिए प्रावधानों को लागू करने के लिए बाध्य संस्था प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) पहले से ही 14 हजार करोड़ रुपये के गबन के आरोपी व्यापारी नीरव मोदी और मेहुल चौकसी के अलावा स्टर्लिंग बायोटेक ग्रुप के संदेसरा भाइयों को आर्थिक भगोड़ा घोषित कराने को लेकर पंजाब नैशनल बैंक का दरवाजा खटखटा चुकी है.
इस विधेयक का मुख्य मकसद विदेशों में और भारत में बसे ऐसे लोगों की संपत्ति जब्त करके इन्हें भारत आकर कोर्ट ट्रायल का सामना करने के लिए मजबूर करना है.
इस कानून से लोन डिफाल्टर, बैंक फ्रॉड, बेनामी संपत्ति की दांव-पेंच और भ्रष्टाचार जैसे कई सफेदपोश अपराधी घेरे में आएंगे. यह विधेयक उन सभी भगोड़ों को शामिल करता है, जिनकी आर्थिक संपत्ति 100 करोड़ से ज्यादा है.
माल्या विवाद
स्पेशल कोर्ट द्वारा ‘भगोड़ा आर्थिक अपराधी’ घोषित होने के बाद विजय माल्या की सारी संपत्ति जब्त कर केंद्र सरकार के हवाले कर दी जाएगी. इस प्रावधान के मुताबिक आरोपी की हर संपत्ति को जब्त की जाएगी. इसमें बेनामी संपत्ति भी शामिल है.
यह विधेयक स्पेशल कोर्ट के आदेश जारी होने के 90 दिनों बाद केंद्र सरकार को संपत्ति जब्त करने का अधिकार देता है. माल्या ने भारत में कोई कानूनी कार्यवाही करने या कोई केस डिफेंड करने का अधिकार खो दिया है.
क्या माल्या अब कहीं अपील कर सकते हैं.?
माल्या स्पेशल कोर्ट के फैसले के खिलाफ एक महीने के भीतर हाईकोर्ट में अपील कर सकते हैं.