नई दिल्ली: सोमवार को ब्रिटेन पर सबसे लंबे समय तक राज करने वाली महारानी एलिजाबेथ द्वितीय का अंतिम संस्कार लंदन में किया गया. महारानी एलिजाबेथ को एक निजी शाही रस्म के बाद किंग जार्ज VI मैमोरियल चैपल में उनके दिवंगत पति प्रिंस फिलिप के बराबर में दफनाया गया.
राजकीय रथ में महारानी एलिजाबेथ का ताबूत अल्बर्ट रोड से विंडसर कैसल के लॉन्ग वॉक से सेंट जॉर्ज चैपल ले जाया गया था.
किंग चार्ल्स और अन्य वरिष्ठ ब्रिटिश राजघरानों ने वेस्टमिंस्टर एब्बे में महारानी एलिजाबेथ के ताबूत का अनुसरण किया.
Her Majesty The Queen’s coffin makes its final journey down the Long Walk to Windsor Castle for the Committal Service at St George's Chapel. pic.twitter.com/vqczfMENlM
— The Royal Family (@RoyalFamily) September 19, 2022
महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के ताबूत को राजकीय अंतिम संस्कार के लिए जैसे ही वेस्टमिंस्टर एबे के भीतर ले जाया गया, बिग बेन थम गई और हवा में प्रार्थनाओं के स्वर गूंजने लगे. ब्रिटेन के शाही परिवार के सदस्यों के साथ ही दुनियाभर के विभिन्न देशों से राष्ट्राध्यक्ष और राष्ट्र प्रमुख दिवंगत महारानी को श्रद्धांजलि देने के लिए यहां पहुंचे हुए हैं और साथ ही लाखों लोग टेलीविजन पर महारानी की अंतिम यात्रा के साक्षी बने.
अंतिम संस्कार में शामिल लोगों में दुनियाभर के करीब 2000 मेहमान जुटे जिनमें भारत की ओर से राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू और विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने भाग लिया.
महाराजा चार्ल्स तृतीय की अगुवाई में ताबूत यात्रा 11वीं सदी के ऐतिहासिक एबे पहुंची तो दिवंगत महारानी के नाम पर बने एलिजाबेथ टॉवर में लगी बिग बेन में हर एक एक मिनट बाद 96 घंटा बजाया जा रहा था जो महारानी एलिजाबेथ द्वितीय की जीवन काल को श्रद्धांजलि का प्रतीक था.
प्रार्थना सभा के आयोजन में शामिल वेस्टमिंस्टर के डीन वेरी रेवरेंड डॉ डेविड होयले ने कहा, ‘जहां महारानी एलिजाबेथ द्वितीय की शादी हुई थी और उन्हें ताज पहनाया गया था, वहां देश और दुनिया से बड़ी संख्या में लोग दिवंगत महारानी को श्रद्धांजलि देने जुटे हैं.’
स्थानीय समयानुसार पूर्वाह्न 11 बजते ही शुरू हुई महारानी की इस अंतिम यात्रा में उनके बेटे और महाराजा चार्ल्स पीछे चल रहे थे. महाराजा के साथ उनके बेटे प्रिंस विलियम , प्रिंस हैरी, भाई-बहन प्रिंसेस एनी, प्रिंस एंड्रयू और प्रिंस एडवर्ड थे.
इससे पहले ताबूत को पिछले बुधवार से वेस्टमिंस्टर हॉल में अंतिम दर्शनों के लिए रखा गया था. इस अंतिम यात्रा में साथ चलने वाले राजपरिवार के सबसे कम उम्र के सदस्यों में 9 वर्षीय प्रिंस जॉर्ज और सात साल की प्रिंसेस शेरलोट थीं. दोनों अपने माता-पिता प्रिंस और प्रिंसेस ऑफ वेल्स के बीच में चल रहे थे.
देशभर में दो मिनट के मौन के साथ महारानी की प्रार्थना सभा समाप्त हुई और अंतिम संस्कार के पहले भाग के रूप में राष्ट्रगान ‘गॉड सेव द किंग’ की धुन बजाई गई.
सत्तर साल तक राजगद्दी पर आसीन रहीं महारानी एलिजाबेथ द्वितीय का आठ सितंबर को बाल्मोरल कैसल स्थित उनके आवास में निधन हो गया था. वह 96 वर्ष की थीं.
बड़ी संख्या में लोग लंदन में सर्द रात की परवाह किए बगैर संसद के वेस्टमिंस्टर हॉल में ‘लाइंग इन स्टेट’ (अंतिम दर्शन के लिए रखे) में रखे महारानी के ताबूत के अंतिम दर्शन करने के लिए पहुंचे. शोक व्यक्त करने वाले लोग सोमवार सुबह साढ़े छह बजे के कुछ ही देर बाद वेस्टमिंस्टर हाल से चले गए.
महारानी के ताबूत के दर्शन करने वाले आखिरी व्यक्ति ने कहा कि यह ‘मेरे जीवन का सबसे अहम क्षण’ रहेगा.
अंतिम संस्कार से पहले शाही परिवार ने महारानी एलिजाबेथ द्वितीय का सोमवार को अंतिम चित्र जारी किया, जिसमें वह हल्के नीले रंग की पोशाक पहने अपने चिर परिचित अंदाज में मुस्कुराती नजर आ रही हैं.
सोमवार को सार्वजनिक अवकाश की घोषणा की गई है और देश भर में टीवी पर तथा उद्यानों एवं सार्वजनिक स्थलों पर बड़े स्क्रीन के माध्यम से अंतिम संस्कार का सीधा प्रसारण किया जा रहा है.
भाषा के इनपुट के साथ
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