नई दिल्ली: राजस्थान में सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी के लिए नया राजनीतिक संकट खड़ा हो गया है. राज्य के मंत्री अशोक चंदना ने सोमवार को पुष्कर में एक कार्यक्रम में पूर्व उपमुख्यमंत्री के समर्थकों द्वारा कथित तौर पर जूते फेंकने के बाद एक ट्वीट में सचिन पायलट पर जमकर हमला बोला.
दरअसल चंदना, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया सहित भारतीय जनता पार्टी के कई नेता किरोड़ी सिंह बैंसला की अस्थियों के विसर्जन के अवसर पर कार्यक्रम में उपस्थित थे. बैंसला एक गुर्जर नेता थे, जिन्होंने संविधान की 9वीं अनुसूची में सबसे पिछड़ा वर्ग (MBCs) श्रेणी के तहत समुदाय के 5 प्रतिशत आरक्षण के लिए राजस्थान में आरक्षण आंदोलन का नेतृत्व किया था.
9वीं अनुसूची में 284 केंद्रीय और राज्य कानून शामिल हैं जिन्हें न्यायिक समीक्षा से छूट प्राप्त है. गुर्जर समुदाय की मांग है कि राजस्थान सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सबसे पिछड़े वर्ग के लिए 5 प्रतिशत आरक्षण 9वीं अनुसूची में शामिल किया जाए.
रिपोर्टों के अनुसार, जब चंदना और उनके साथी कैबिनेट मंत्री शकुंतला रावत बोलने के लिए मंच पर आए, तो कुछ लोगों ने उन पर जूते फेंके और ‘सचिन पायलट जिंदाबाद’ के नारे लगाए. हालांकि दोनों में से किसी को भी जूते नहीं लगे और उन्हें कोई चोट भी नहीं आई.
पायलट इस कार्यक्रम में मौजूद नहीं थे. वह और चंदना दोनों गुर्जर समुदाय से आते हैं.
बाद में चंदना ने एक आक्रामक ट्वीट करते हुए कहा ‘अगर सचिन पायलट मुझ पर जूता फेंककर मुख्यमंत्री बनते हैं तो उन्हें जल्द बनाया जाना चाहिए क्योंकि आज मेरा लड़ने का मन नहीं है. जिस दिन मैं लड़ने आऊंगा, तब एक ही बचेगा और मुझे यह नहीं चाहिए.’
चंदना के पास खेल और युवा मामलों सहित कई विभाग हैं. मई में वह उस समय चर्चा में आए थे, जब उन्होंने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से उन्हें अपने ‘अपमानजनक पदों’ से मुक्त करने और उन सभी पदों को प्रमुख सचिव कुलदीप रांका को सौंपने का अनुरोध किया था. दरअसल वह यह संकेत दे रहे थे कि वह सरकार के कामकाज में रांका की भागीदारी से परेशान हैं. हिंडोली विधायक ने व्यंग्यात्मक रूप से कहा था कि आईएएस अधिकारी तो ‘वैसे भी सभी विभागों के मंत्री हैं.’
उस समय गहलोत ने यह कहते हुए इसे खारिज कर दिया था कि चंदना बयान देते समय ‘तनाव’ में रहे होंगे. लेकिन इस बार उन्होंने गहलोत के विरोधी सचिन पायलट पर निशाना साधा है.
दिप्रिंट ने प्रतिक्रिया लेने के लिए फोन और व्हाट्सएप के जरिए पायलट और चंदना से संपर्क किया था लेकिन इस लेख के प्रकाशित होने तक उनकी तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली.
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पार्टी में प्रतिद्वंद्वी खेमा
राजस्थान में कांग्रेस गहलोत और पायलट के बीच लंबे समय से चली आ रही गुटबाजी खतरनाक मोड़ पर है, जो समय-समय पर पार्टी को शर्मिंदा करने का कारण बनती है. ऐसा जुलाई 2020 में कांग्रेस के शीर्ष अधिकारियों द्वारा गहलोत के खिलाफ विद्रोह के बाद, पायलट को उपमुख्यमंत्री और राजस्थान इकाई के अध्यक्ष पद से हटाने के बाद भी था.
पिछले साल नवंबर में पायलट के पांच वफादारों को राजस्थान कैबिनेट विस्तार में शामिल किया गया था. कैबिनेट विस्तार को दो प्रतिद्वंद्वी खेमों के बीच अंदरूनी कलह के कारण कई बार स्थगित करना पड़ा था.
पिछले महीने राजस्थान में नेशनल स्टूडेंट यूनियन ऑफ इंडिया के खराब प्रदर्शन को भी काफी हद तक गहलोत और पायलट के बीच की खींचतान के लिए जिम्मेदार ठहराया गया था.
फिलहाल गहलोत के कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने के लिए सीएम की सीट खाली करने की अटकलों ने भी राजस्थान इकाई में कोहराम मचा दिया है. गहलोत का पायलट के साथ इस बात को लेकर विवाद रहा है कि अगर वह यह पद छोड़ते हैं तो मुख्यमंत्री का पद कौन संभालेगा. दोनों नेता चाहते हैं कि उनके खेमे से कोई कुर्सी ले ले. बताया गया है कि पायलट सीएम की कुर्सी अपने पास रखने के लिए बातचीत कर रहे हैं.
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