नई दिल्ली: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) दिल्ली के एमटेक छात्रों के उनकी फीस दोगुनी कर दिए जाने का विरोध शुरू करने के दो दिन के बाद संस्थान ने आंशिक रूप से वृद्धि को वापस ले लिया है.
लेकिन, शुक्रवार को कई छात्रों ने दिप्रिंट से कहा कि वो इस आंशिक वापसी से संतुष्ट नहीं थे, क्योंकि वो पहले ही बढ़ी हुई फीस जमा करा चुके हैं और इसके लिए अभी तक किसी रिफंड की घोषणा नहीं की गई है.
अधिकारियों के एक पिछले बयान के अनुसार, संस्थान के बोर्ड ने शैक्षणिक वर्ष 2022-23 के लिए एमटेक कार्यक्रम की फीस 24,650 रुपए से बढ़ाकर 53,100 रुपए और पूर्ण-कालिक पीएचडी छात्रों के लिए 20,150 रुपए से बढ़ाकर 30,850 रुपए कर दी थी.
शुक्रवार दोपहर छात्रों को भेजे गए एक ईमेल में, जिसे दिप्रिंट ने देखा है, आईआईटी दिल्ली ने फीस में किए गए इन इज़ाफों को आंशिक रूप से वापस लेने का फैसले का ऐलान किया. एमटेक छात्रों को अब क़रीब 40,000 रुपए, और पीएचडी छात्रों को लगभग 26,000 रुपए सालाना बतौर फीस अदा करने होंगे.
ईमेल में कहा गया, ‘बीओजी (शासक मंडल) अध्यक्ष ने उस कमेटी की सिफारिशों को अपनी मंज़ूरी दे दी है, जिसे निदेशक ने फीस वृद्धि के मुद्दे को देखने के लिए गठित किया था और जिनके अनुसार ये फैसला किया गया है कि नए छात्रों के लिए 2021-22 के दूसरे सेमेस्टर से प्रभावी फीस में की गई वृद्धि को संशोधित किया जाएगा’.
प्रीमियर संस्थान के 200 से अधिक एमटेक छात्रों ने बुधवार से परिसर के भीतर एक प्रदर्शन शुरू किया था, जिसमें रिफंड की मांग की गई थी. प्रदर्शन में हिस्सा लेने वालों ने कहा कि फीस में वृद्धि न केवल उनकी करिअर याजनाओं को प्रभावित करेगी, बल्कि इससे दूसरे सार्वजनिक इंजीनियरिंग संस्थानों में भी फीस वृद्धि का सिलसिला शुरू हो जाएगा.
उनकी मांगों के जवाब में आईआईटी दिल्ली ने एक कमेटी गठित कर दी, जिसका काम इस मामले की जांच करके इस बारे में बोर्ड को अपनी रिपोर्ट पेश करना था.
पिछले महीने ही, आईआईटी बॉम्बे को भी छात्रों के विरोध को देखते हुए फीस में की गई वृद्धि को वापस लेना पड़ा था.
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आंशिक वापसी से छात्र नाख़ुश
आईआईटी दिल्ली में एमटेक और पीएचडी कर रहे छात्रों का कहना है कि आंशिक वापसी के बावजूद बढ़ी हुई फीस उनके ऊपर लगातार एक भारी वित्तीय बोझ बनी हुई है.
एमटेक के एक पहले वर्ष के छात्र ने दिप्रिंट से कहा कि वापस लिए जाने के बाद भी फीस वृद्धि उनके लिए एक ‘भारी वित्तीय बोझ’ साबित हो रही है, जो उसके करिअर उद्देश्यों को ‘स्थायी रूप से बदल’ सकती है.
उसने कहा, ‘अपनी मास्टर्स डिग्री के बाद मैं पीएचडी करने की इच्छा रखता हूं, ताकि आईआईटी में एक प्रोफेसर बन सकूं. मैं प्लेसमेंट्स के लिए नहीं बैठना चाहता, बल्कि आगे पढ़ाई करना चाहता हूं’.
24-वर्षीय युवक – जो अपने परिवार से आईआईटी में पहुंचने वाला अकेला छात्र है- ने आगे कहा कि उसका परिवार इतनी अधिक फीस वहन नहीं कर सकता, और वो नहीं चाहता कि अपने परिवार को इतनी ‘महंगी फीस’ का भुगतान करने के लिए कहकर उन पर बोझ डाले.
शुक्रवार को आंशिक वापसी होने से पहले उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र निवासी इस छात्र ने दिप्रिंट से कहा था, ‘हॉस्टल तथा रहन-सहन का ख़र्च ही एक लाख रुपए सालाना हो जाता है. मैं उम्मीद कर रहा हूं कि संस्थान फीस वृद्धि को वापस लेने पर विचार करेगा’.
दूसरे छात्रों को भी लगता है कि हालांकि उनके लिए शिक्षा ऋण लेना मुश्किल नहीं है, लेकिन ये विकल्प लंबे समय तक चलने वाला नहीं है, ख़ासकर उनके लिए जो आगे पीएचडी करना चाहते हैं.
फीस वृद्धि से प्रभावित एक पीएचडी छात्रा ने कहा कि हालांकि फीस बढ़ा दी गई है, लेकिन उसकी वज़ीफा राशि अभी भी 30,000 रुपए के क़रीब ही है. उसने कहा, ‘फीस वृद्धि वापसी ने हमारे बोझ को मुश्किल से ही कम किया है. हम इससे ख़ुश नहीं हैं’.
ये कहते हुए कि उसने अब उस समय तक विरोध प्रदर्शन में शामिल होने का फैसला किया है, जब तक फीस वृद्धि को पूरी तरह वापस नहीं ले लिया जाता, उसने आगे कहा, ‘हम अपनी रिसर्च उस वज़ीफे की सहायता से जारी रखते हैं, जो संस्थान हमें उपलब्ध कराता है. एक ओर जहां फीस बढ़ा दी गई थी, वहीं वज़ीफे की राशि में कोई बदलाव नहीं किया गया. हम अपनी किताबें ख़रीदकर रिसर्च को कैसे जारी रख सकेंगे?’
इसके अलावा, फीस में इज़ाफे से ये चिंताएं भी पैदा हो गई हैं कि इसके बाद दूसरे प्रीमियम और निजी कॉलेजों में भी इसी तरह से फीस बढ़ाई जा सकती है.
दूसरे वर्ष के एक एमटेक छात्र ने नाम छिपाने की शर्त पर कहा, ‘आईआईटी बॉम्बे के बाद आईआईटी दिल्ली ने अपनी फीस बढ़ा दी. इन प्रवृत्तियों को देखते हुए, राज्य के विश्वविद्यालय और दूसरे सार्वजनिक इंजीनियरिंग कॉलेज भी अपनी फीस बढ़ानी शुरू कर सकते थे. लेकिन ग़ौरतलब है कि इन संस्थानों के छात्रों को उस तरह के पैकेजेज़ नहीं मिलते, जैसे आईआईटीज़ को मिलते हैं’.
‘ज़रा सोचिए कि मास्टर्स डिग्री के लिए 20 लाख रुपए का लोन लें, और उसके बाद 3-5 लाख रुपए का पैकेज मिले. ऐसे छात्र लोन की अदाएगी किस तरह करेंगे?’
IIT-D छात्रों के लिए समर्थन
फीस वृद्धि को वापस लेने के संस्थान के निर्णय से पहले, देशभर के छात्र संगठनों ने आईआईटी दिल्ली में चल रहे प्रदर्शन के प्रति समर्थन का इज़हार किया था.
बृहस्पतिवार को आईआईटी बॉम्बे के छात्रों की ओर से जारी एक बयान में कहा गया, ‘पिछले कुछ सालों में बहुत से आईआईटीज़ और विश्वविद्यालयों में फीस में अच्छा-ख़ासा इज़ाफा होता आ रहा है. इससे पता चलता है कि बहुत सी जगहों पर सस्ती सार्वजनिक शिक्षा पर हमला हो रहा है. अगर इन महत्वपूर्ण सार्वजनिक संस्थानों में शिक्षा महंगी होती रही, तो आबादी का एक बड़ा हिस्सा गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से वंचित हो जाएगा… हम फीस वृद्धि के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे आईआईटी दिल्ली के छात्रों के प्रति अपने समर्थन को फिर से दोहराते हैं’.
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ (जेएनयूएसयू) के पूर्व अध्यक्ष आइशी घोष ने भी विरोध के समर्थन में एक बयान जारी किया.
घोष ने कहा था, ‘आईआईटी दिल्ली में हुई फीस वृद्धि का सबसे अधिक असर नए दाख़िला लेने वालों पर पड़ेगा. अगर इस समय छात्रों की मांग पर ग़ौर नहीं किया गया, तो कम आय और हाशिए पर रहने वाले समूहों से ताल्लुक़ रखने वाले बहुत से छात्रों को मजबूरन अपने संबंधित कार्यक्रमों से पीछे हटना पड़ेगा, जो संस्थान के लिए एक शर्म की बात होगी’.
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