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Thursday, 21 November, 2024
होमदेशबाबरी मस्जिद गुलामी का प्रतीक, फास्ट ट्रैक कोर्ट में हो सुनवाई: कानून मंत्री

बाबरी मस्जिद गुलामी का प्रतीक, फास्ट ट्रैक कोर्ट में हो सुनवाई: कानून मंत्री

केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि 'बाबरी मस्जिद इबादत का नहीं, गुलामी का प्रतीक है.'

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लखनऊ: देश के कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद सोमवार को राजधानी लखनऊ पहुंचे. एमिटी विश्वविद्यालय में अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद के 15वें राष्ट्रीय अधिवेशन को संबोधित करते हुए उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपील करते हुए कहा कि राममंदिर निर्माण के लिए फास्ट ट्रैक गठन किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि बाबरी मस्जिद इबादत का नहीं, गुलामी का प्रतीक है. आम मुस्लिम भी चाहता है कि अयोध्या में भव्य राममंदिर का निर्माण हो. लेकिन कुछ राजनीतिक दल अपने स्वार्थ के चक्कर में इस पर रोड़ा अटकाने का काम कर रहे हैं.

कानून मंत्री ने कहा कि सबरीमाला का केस या फिर आतंकी की रिहाई के लिए आधी रात को सुप्रीम कोर्ट खुल सकता है, तो 70 साल से विचाराधीन चल रहे मामले पर इतनी शिथिलता क्यों.

रविशंकर ने कहा कि 27 दिसंबर को तीन तलाक के खिलाफ विधेयक संसद में आने वाला है. तीन तलाक कोई धर्म से जुड़ा मुद्दा नहीं, बल्कि नारी सम्मान और उसके स्वाभिमान से जुड़ा हुआ मुद्दा है. जब दुनिया के 22 देशों ने इसे असंवैधानिक मान लिया है, तो भारत में इस पर रोक क्यों ना लगे. उन्होंने कहा कि जब भारत की महिलाएं अंतरिक्ष पर जा रही हैं, सेना में उच्च पदों पर सुशोभित हो रही हैं, तो ऐसे में इस दकियानूसी प्रथा पर रोक लगनी चाहिए.

कानून मंत्री ने उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर के उस निर्णय का स्वागत किया, जिसमें उन्होंने फैसले की कॉपी हिंदी भाषा में दिए जाने की बात कही. साथ ही उन्होंने कहा कि सभी न्यायालयों के क्षेत्रीय भाषाओं में भी फैसले की कॉपी दी जानी चाहिए. कठिन शब्दों का प्रयोग ना करके हिंदी को सरल, सहज, सुलभ भाषा बनाया जाना चाहिए.

कार्यक्रम में प्रसाद ने कहा कि देश के उच्च न्यायालयों में पिछले दस वर्षो से सिविल, क्रिमनल व अन्य मामले विचाराधीन हैं. उनकी मॉनिटरिंग मुख्य न्यायाधीश द्वारा कराकर शीघ्र निस्तारण किया जाए.

केंद्रीय मंत्री ने अधिवक्ता परिषद से जुड़े लगभग 8 हजार अधिवक्ताओं से अपील की है कि खासकर गरीबों के वादों का निस्तारण भी शीघ्र व सुलभ व सस्ता किए जाने की अपील की है. उन्होंने कहा, ‘आम गरीब मुवक्किल आपको फीस नहीं दे पाएगा, लेकिन उसकी आंखों की आशा व किरण आपको बहुत आगे बढ़ाएगी.’

प्रसाद ने न्यायमूर्तियों की नियुक्ति के लिए ऑल इंडिया जूडिशियल सर्विसेस सिस्टम भी अन्य सिविल सर्विसेस की तरह भविष्य में लाने की बात कही. उन्होंने कहा, ‘मैं इसका अनुयायी हूं कि आगे आने वाले न्यायिक व्यवस्था में उच्च कोटि के न्यायमूर्तियों की ही नियुक्ति हो सके.’

प्रसाद ने कहा कि 1950 से लेकर 1993 उच्च न्यायालयों में न्यायमूर्तियों की नियुक्ति सरकार व विधि मंत्री के द्वारा की जाती थी, जबकि 1993 से कोलेजियम व्यवस्था लागू की गई.

उन्होंने सवाल किया, ‘आप लोग बताएं कि क्या एक ईमानदार न्यायमूर्ति की नियुक्ति एक प्रधानमंत्री नहीं कर सकता? जब से हमारी सरकार आई है, तब से हमने 1500 पुराने कानूनों को खत्म किया है.’

इस मौके पर सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति एम.आर. शाह ने वकीलों को सीख देते हुए कहा कि अधिवक्ताओं का न्याय निष्पादन प्राणाली में बहुत अहम रोल है. उन्होंने अधिवक्ताओं से कहा कि हड़ताल पर जाने से पहले सौ बार सोचना चाहिए, क्योंकि हर बात का हल संवाद से हो सकता है.

उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर ने कहा कि अभी तक फैसले सिर्फ अंग्रेजी में दिए जाते थे. जनवरी के प्रथम सप्ताह में हिंदी में भी दिए जाने का ऐलान किया है. इससे अपनी हिंदी भाषा को बढ़ावा मिलेगा. इस निर्णय से गरीबों और किसानों को फायदा होगा.

उच्च न्यायालय के न्यायाधीश ए.आर. मसूदी ने कहा कि ‘शिक्षा के अधिकार कानून का उतना भला नहीं, जितना कि वास्तु एवं सेवाकर कानून से हो रहा है.’ इस मौके पर उत्तर प्रदेश के विधि एवं न्याय मंत्री ब्रजेश पाठक ने सभी का स्वागत किया.

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