नई दिल्लीः दिप्रिंट को मिली जानकारी के अनुसार मोदी सरकार की फ्लैगशिप हेल्थ इंश्योरेंस स्कीम आयुष्मान भारत योजना में दिल्ली के केवल 3 अस्पतालों ने नामांकन कराया हैं. प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ ) खराब सूची दर को देखकर चिंतित है.
स्वास्थ्य मंत्रालय का अभिन्न अंग नेशनल हेल्थ एजेंसी (एनएचए) आयुष्मान भारत योजना को लागू कर रही है. दिल्ली के 900 निजी अस्पतालों में से केवल नांगलोई की सिग्नस सोनिया अस्पताल, डॉ. सर्राफ्स चैरिटी आई हॉस्पिटल और सिग्नस एमएलएस सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल ही बोर्ड पर हैं.
प्रगति में बाधा का मुद्दा पहले जैसा बना हुआ है. अस्पतालों में यह बहस जारी है कि सर्जरी या प्रॉसिजर की लागत की अदायगी दर वास्तविक लागत से 11-15 फीसदी कम है.
2019 आम चुनाव को कुछ ही महीने बचे हैं. मोदी सरकार दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजना के नाम से पहल करने के लिए अधिक अस्पतालों को सूचीबद्ध करने के लिए सरकार प्रयासरत है.
एनएचए के सीनियर अधिकारी ने अस्पतालों से बातचीत को लेकर कहा, ‘आयुष्मान भारत की टीम पर पीएमओ की तरफ से निजी अस्पतालों को नामांकित करने का बहुत दबाव है. यह लगभग सभी बैठकों में चर्चा का विषय रहा. यह एक प्रशंसनीय और महान योजना के लिए झटका हो सकता है.’
सरकार ने कुछ प्रगति की, हाल ही में दिल्ली-एनसीआर में डॉ. नरेश त्रेहन के सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल मेदांता से करार किया, लेकिन अस्पताल अब भी आधिकारिक तौर पर बोर्ड पर नहीं है. संभव है कि यह कुछ चुनिंदा प्रक्रियाओं को लेकर करार किया हो, जो ज्यादातर हृदय स्वास्थ्य से संबंधित है.
वहीं डॉ. त्रेहन ने प्रिंट से फोन पर बताया कि ‘हम अभी भी योजना के साथ अपने जुड़ाव के डिटेल पर काम कर रहे हैं. हम जितने क्षेत्र कवर कर सकते हैं उसके लिए प्रयास कर रहे हैं.’
आयुष्मान भारत के सीईओ इंदू भूषण ने कहा कि कई अस्पताल योजना के लिए रुचि दिखा रहे हैं.
उन्होंने कहा कि, ‘सामान्य रूप में अस्पताल चाहते हैं कि संशोधित दर बढ़ाई जाए. यह कोई आश्चर्य वाली बात नहीं है. हालांकि, कई अस्पताल इन दरों पर काम करने को तैयार हैं.’
भूषण ने पीएमओ की तरफ से किसी भी तरह के दबाव को खारिज किया.
उन्होंने आगे कहा कि ‘इन तीन अस्पतालों के अलावा और अस्पताल जैसे लाइफलाइन हॉस्पिटल, कीर्ति नगर में, द्वारका का कालरा हॉस्पिटल और सेंटर फॉर साइट, सफदरजंग एनक्लेव सूचीबद्ध होने की प्रक्रिया में है.
भूषण ने कहा, चार और अस्पतालों ने भी सकारात्मक जवाब दिया है.
दिल्ली क्यों महत्वपूर्ण
देश की राजधानी होने के नाते दिल्ली में दूसरे राज्यों से 40 फीसदी मरीज आते हैं. देश में 2500 स्पेशियलिटी और 8000 छोटे अस्पतालों का प्रतिनिधित्व करने वाली एसोसिएशन ऑफ हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स, इंडिया (एएचपीआई) के अनुसार दिल्ली में इस योजना से 10,000 राज्य सरकार के अस्पताल के बेड, केंद्र सरकार के अस्पतालों के 5,000 बेड और निजी क्षेत्र से 35,000 बेड मिलने की उम्मीद है.
हालांकि, आम आदमी पार्टी की सरकार ने स्वास्थ्य बीमा कार्यक्रम का हिस्सा बनने से इंकार कर दिया है. जिसके बाद एनएचए ने उसे नवंबर में निजी अस्पतालों को योजना के साथ सशक्त बनाने के लिए आमंत्रित किया.
दिल्ली के अस्पताल अपनी गर्मजोश प्रतिक्रिया के लिए प्रक्रियाओं की पेश की गई दरों की ओर इशारा करते रहते हैं. एचपीआई के डायरेक्टर जनरल गिरधर जे ज्ञानी ने कहा कि ‘योजना में तय की गई दरें पूरी तरह से तर्कहीन हैं. बिना किसी वैज्ञानिक अध्ययन के उन्हें तय कर लिया गया. सरकार को तत्काल उन दरों की समीक्षा करनी चाहिए, जिसके बिना सामान्य अस्पताल और तृतीय स्तर की देखभाल वाले, खास तरह के जो अस्पताल हैं जुड़ने में समर्थ नहीं होंगे.’
उन्होंने कहा कि इस योजना को राष्ट्रीय राजधानी में स्वीकृति मिल सकती है. अगर दिल्ली सरकार इसका हिस्सा बनने के लिए सहमत हो जाती.
गिरधर ने कहा, ‘ऐसे राज्य जो अपनी योजनाएं चला रहे थे, जिन्हें अब आयुष्मान भारत में मिला दिया जाएगा. (तेलंगाना के अलावा) उन्हें अपनी (स्टेट स्कीम) दरों को बनाए रखने की अनुमति है. यह दरें आयुष्मान भारत की दरों से ज्यादा हैं. ठीक इसी तरह की प्रक्रिया के लिए महाराष्ट्र सरकार 30,000 रुपये चुकाती है, तेलंगाना 33,380 रुपये, जबकि कर्नाटक के अस्पतालों को 25000 रुपए मिलते हैं.
दिल्ली के अस्पतालों ने एनएचए को उन दरों को चुनने की सलाह दी है जो अधिकतम हैं और उन्हें पूरे देश में एक समान बनाये जाने की मांग की है.
इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.