नई दिल्ली: वित्तमंत्री अरुण जेटली ने गुरुवार को कहा कि सरकार वित्त वर्ष की शेष अवधि में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में 83,000 करोड़ रुपये की रकम डालकर नई जान फूंकेगी. इस प्रकार पूरे वित्त वर्ष में बैंकों के पुनर्पूंजीकरण की कुल रकम 1.06 लाख करोड़ रुपये होगी.
जेटली ने कहा, ‘आज हमने संसद से 41,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त पुनर्पूंजीकरण बांड जारी करने की अनुमति मांगी. वर्ष 2018-19 के लिए पुनर्पूंजीकरण योजना में 65,000 करोड़ रुपये की रकम प्रदान की गई है और 42,000 करोड़ रुपये अभी शेष है.’
लोकसभा में अनुपूरक अनुदान मांग पेश करने के बाद जेटली ने कहा, ‘इस प्रकार, 41,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त रकम के साथ हमारे पास वित्त वर्ष की शेष अवधि के लिए अब 83,000 करोड़ रुपये की रकम होगी और इससे इस साल कुल पुनर्पूंजीकरण की रकम 1.06 लाख करोड़ रुपये होगी.’
वर्ष 2018-19 के लिए सकल अतिरिक्त खर्च के रूप में 85,948.86 करोड़ रुपये की दूसरी अनुपूरक अनुदान मांग में बैंकों के लिए 41,000 करोड़ रुपये का पैकेज शामिल है. इसमें किसी प्रकार की अतिरिक्त नकदी खर्च की आवश्यकता नहीं होगी क्योंकि बांड के जरिए पूंजी डालने की योजना बनाई गई है.
जेटली ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में 83,000 करोड़ रुपये की पूंजी के वितरण की प्रक्रिया वित्तीय सेवा विभाग (डीएफएस) द्वारा बैंकों के प्रदर्शन के आधार पर तय होगी. इस साल करीब 23,000 करोड़ रुपये पहले ही डाले जा चुके हैं.
बैंकों को विनियामक पूंजी मानकों को पूरा करने में मदद के लिए चार मदों के तहत पूंजी प्रदान की जाएगी, जिससे बेहतर प्रदर्शन करने वाले बैंकों को आरबीआई के त्वरित सुधार कार्य के दायरे से बाहर निकलने में मदद मिलेगी.
वित्तीय सेवा सचिव राजीव कुमार ने कहा कि पूंजी डालने से पीसीए के तहत आने वाले कुल 11 बैंकों में से कम से कम चार बैंकों को अपने विनियामक पूंजी मानकों को पूरा करने में मदद मिलेगी. कुल मिलाकर बैंकों के मजबूत होने से कर्ज देने में प्रोत्साहन मिलेगा और उससे देश की आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा.
उन्होंने कहा, ‘हमने चार-पांच बैंकों (पीसीए के तहत आने वाले) को प्रदर्शन और दूसरी व तीसरी तिमाही के नतीजों के आधार पर पूंजी प्रदान करने का प्रावधान किया है. लेकिन संभावना है कि हम तीन से पांच बैंकों को मानकों को पूरा करने में सक्षम बनाएंगे.’
मौजूदा विनियामक मानकों के अनसार, पीसीए के तहत आने वाले बैंकों के पास जोखिम वाली परिसंपत्ति के अनुपात में नौ फीसदी पूंजी होगी. साथ ही, 1.875 फीसदी कैपिटल कंजरवेशन बफर और छह फीसदी निवल एनपीए की सीमा होने से उनको पीसीए के दायरे से बाहर निकलने और कर्ज देना शुरू करने में सहूलियत होगी.’
कुमार ने कहा कि गैर-पीसीए बैंक जो सीमा के करीब हैं और उनके पीसीए की श्रेणी में आने का खतरा है. इनमें पंजाब नेशनल बैंक भी शामिल है. इन बैंकों को अपना आधार मजबूत करने के लिए पूंजी प्रदान की जाएगी.
भारतीय स्टेट बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, इंडियन बैंक और विजया बैंक ने विनियामक मानक का पालन किया है. इसलिए उन्हें पूंजी की आवश्यकता नहीं है.