नई दिल्ली: अनुसूचित जाति के खिलाफ 2021 में हिंदी क्षेत्र में सबसे ज्यादा अत्याचार के मामले दर्ज किए गए हैं. उत्तर प्रदेश में ऐसे मामलों की संख्या सबसे ज्यादा है वहीं राजस्थान और मध्य प्रदेश दूसरे और तीसरे स्थान पर है.
इन तीन राज्यों में अनुसूचित जातियों के खिलाफ होने वाले अपराध/अत्याचारों के कुल मामलों के 55 फीसदी यहीं दर्ज हुए हैं. केंद्र सरकार द्वारा जारी किए गए एनसीआरबी के हालिया आंकड़ों में ये बात निकलकर आई है.
भारत में 2021 में 50,900 मामले दर्ज हुए हैं जो कि 2020 के मुकाबले में 1.2 प्रतिशत ज्यादा है.
अनुसूचित जनजाति के खिलाफ अपराध को देखें तो मामलों में 6.4 फीसदी तेजी आई है जो कि संख्या के मामले में 8,802 है.
अनुसूचित जातियों के खिलाफ अपराध/अत्याचारों के मामलों में शहरों में काफी तेजी आई है. वहीं अनुसूचित जातियों के खिलाफ अपराध के मामलों में 18.6 प्रतिशत तेजी आई है वहीं अनुसूचित जनजाति के मामले में 2021 में 19.5 प्रतिशत तेजी आई है.
केंद्रशासित प्रदेशों में एससी समुदाय के खिलाफ अपराध में 75 प्रतिशत तेजी आई है. वहीं एसटी के खिलाफ 2021 में ये मामले 300 फीसदी बढ़े हैं.
19 मेट्रोपॉलिटन शहरों में जयपुर एक बार फिर से अनुसूचित जातियों के खिलाफ अपराध में सबसे पहले नंबर पर है. अनुसूचित जनजातियों के खिलाफ जयपुर की स्थिति और भी बुरी है. एसटी के खिलाफ इन शहरों में ऐसे मामले 58 फीसदी हैं.
असम को छोड़कर पूर्वोत्तर राज्यों में, एसटी के खिलाफ सिर्फ एक मामला दर्ज हुआ है वहीं एससी के खिलाफ तीन मामले हैं.
अनुसूचित जाति के खिलाफ अपराध के मामले में मध्य प्रदेश और राजस्थान सबसे ऊपर है. इसके बाद ओडिशा का स्थान है.
2019 और 2020 में एक भी मामले जम्मू-कश्मीर में दर्ज नहीं किए गए थे लेकिन 2021 में एसटी के खिलाफ एक मामला दर्ज हुआ है.
एनसीआरबी रिपोर्ट के अनुसार, ‘अनुसूचित जातियों के खिलाफ 2021 में 30.4 प्रतिशत अपराध के मामले दर्ज हुए हैं. अनुसूचित जनजातियों के खिलाफ भी इसी तरह का ट्रेंड है.’
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