पटना: 1990 के दशक में जब लालू प्रसाद यादव बिहार के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर आसीन थे, पटना में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) की एक रैली के दौरान कुछ उत्साही समर्थकों ने उस समय किशोर रहे उनके पुत्रों— तेज प्रताप और तेजस्वी को ‘युवाओं के युवराज’ बताते हुए एक होर्डिंग लगा दी थी. यह कदम लालू को रास नहीं आया और उन्होंने कहा, ‘मेरे बेटे राजनीति में नहीं हैं और मैं ऐसे होर्डिंग लगाने वालों को दंडित करूंगा.’
करीब तीन दशक बाद राजद अध्यक्ष लालू यादव के छोटे बेटे तेजस्वी यादव बिहार के डिप्टी सीएम हैं, जबकि बड़े तेज प्रताप यादव पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री हैं. उनकी सबसे बड़ी बेटी मीसा भारती राज्य सभा सांसद हैं और पत्नी तथा पूर्व सीएम राबड़ी देवी बिहार विधान परिषद की सदस्य हैं.
दरअसल, लालू को अपने करियर की शुरुआत में ही राजनीति में परिवार के समर्थन की अहमियत समझ आ गई थी.
2014 के अंत में जब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जीतन राम मांझी— जिन्हें कुछ माह पहले ही मुख्यमंत्री बनाने में उनकी अहम भूमिका रही थी— के साथ अपनी तल्खी के संकेत दिखाने शुरू किए थे, तब लालू ने उनके चेहरे पर नजर डालते हुए टिप्पणी की थी, ‘आप लोग अपनी पत्नी को मुख्यमंत्री बनाने के लिए मेरी आलोचना करते थे.’
राजद प्रमुख ने यह बात 1997 में चारा घोटाला मामले में अपने खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी होने के बाद इस्तीफा देने के लिए मजबूर होने के दौरान राबड़ी देवी को बतौर मुख्यमंत्री शपथ दिलाने के संदर्भ में कही थी.
पिछले हफ्ते राजद प्रमुख के सबसे बड़े दामाद और मीसा भारती के पति शैलेश कुमार, जो आईटी इंजीनियर हैं और भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) अहमदाबाद से एमबीए की डिग्री भी रखते हैं— आधिकारिक बैठकों में तेज प्रताप यादव के साथ मौजूद रहने को लेकर भाजपा के निशाने पर आ गए थे.
बिहार में भाजपा के पूर्व मंत्री जनक राम ने किसी समय राबड़ी देवी के भाइयों साधु और सुभाष यादव के पास ‘अतिरिक्त-संवैधानिक’ शक्तियां होने का हवाला देते हुए कहा था कि राजद में ‘जीजा-साला’ शासन की परंपरा है.
लालू यादव का परिवार पिछले तीन दशकों से अधिक समय से बिहार की राजनीति को सक्रिय तौर पर प्रभावित करने वाला रहा है और वैवाहिक रिश्तों के जरिये यूपी और हरियाणा में राजनीतिक रूप से प्रभावशाली यादव परिवारों से भी जुड़ा है.
बिहार की राजनीति के मुखिया लालू और उनकी पत्नी राबड़ी देवी की सात बेटियां और दो बेटे हैं. इस कुनबे की राजनीतिक उपस्थिति पर एक नजर.
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मीसा भारती: लालू और राबड़ी की सबसे बड़ी बेटी का नाम 1971 में इमरजेंसी के दौरान लागू किए गए आंतरिक सुरक्षा रखरखाव अधिनियम (मीसा) के नाम पर रखा गया है, जिसके तहत राजद नेता को जेल हुई थी.
मीसा ने पटना मेडिकल कॉलेज और अस्पताल से एमबीबीएस किया था. उनके राजनीतिक करियर की शुरुआत 2014 में हुई, जब पाटलिपुत्र से लोकसभा चुनाव लड़ा, हालांकि, उन्हें हार का सामना करना पड़ा. वह फिर उसी सीट से 2019 का संसदीय चुनाव भी हारीं. मीसा अभी राज्य सभा सदस्य के रूप में अपना दूसरा कार्यकाल पूरा कर रही हैं.
1999 में उनकी शादी शैलेश कुमार के साथ हुई, जिनका अब अपना खुद का व्यवसाय है. यह दंपति मनी लॉन्ड्रिंग के एक केस में आरोपी है.
रोहिणी आचार्य: राजद सूत्रों के मुताबिक, लालू की दूसरी बेटी के नाम के साथ जुड़ा आचार्य, दरअसल उस डॉक्टर के नाम पर है जिसने उसके जन्म में मदद की थी. रोहिणी ने भी एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी की है और सॉफ्टवेयर इंजीनियर राव समरेश सिंह से उनकी शादी हुई. ये कपल अब सिंगापुर में बस गया है.
अब तक रोहिणी की राजनीतिक गतिविधियां उनके सोशल मीडिया पोस्ट तक ही सीमित रही हैं. वह अक्सर अपने परिवार के सदस्यों के समर्थन में और भाजपा के खिलाफ ट्वीट करती रहती हैं.
चंदा यादव: लालू की तीसरी बेटी लॉ ग्रेजुएट है, जिसकी शादी पायलट विक्रम सिंह से हुई है. चंदा ने अब तक खुद को लो-प्रोफाइल बनाए रखा है और ज्यादातर पारिवारिक कामकाज के दौरान ही नजर आती हैं.
रागिनी यादव: बिहार के पूर्व सीएम की चौथी बेटी इंजीनियरिंग ड्रॉप-आउट है और उसकी शादी समाजवादी पार्टी के पूर्व विधायक राहुल यादव से हुई है. उनका समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव के साथ दूर का रिश्ता है.
2022 के उत्तर प्रदेश चुनाव से पहले राहुल की तरफ से पेश हलफनामे के मुताबिक, वह 100 करोड़ रुपये की संपत्ति के साथ एक व्यवसायी हैं.
हेमा यादव: लालू और राबड़ी की पांचवीं बेटी हेमा ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है, जिनकी शादी दिल्ली के बिजनेसमैन विनीत यादव से हुई है. विनीत भी राजनीति में दखल के लिए जाने जाते हैं और समाजवादी पार्टी से जुड़े हैं. पिछले महीने ‘नौकरी के लिए जमीन’ घोटाले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की तरफ से जारी जांच में हेमा का नाम भी उछला था. आरोप है कि उन्होंने एक रेलवे कर्मचारी से 61 लाख रुपये की जमीन ली है.
अनुष्का उर्फ धन्नू: बिहार के पूर्व सीएम की छठी बेटी ने इंटीरियर डिजाइनिंग का कोर्स किया है और उसकी शादी हरियाणा कांग्रेस के पूर्व मंत्री अजय सिंह यादव के बेटे चिरंजीव से हुई है. अपने पिता की तरह चिरंजीव भी राजनीति से जुड़े हैं. अब तक अनुष्का की राजनीतिक गतिविधियां परिवार के सदस्यों के प्रचार तक ही सीमित रही हैं.
तेजप्रताप यादव: लालू के दोनों बेटों में से बड़े तेज प्रताप ने अक्सर ही अपने परिवार को शर्मिंदा कराया है. बिहार के मंत्री कॉलेज ड्रॉप आउट हैं. जदयू के सूत्रों के मुताबिक, बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने उन्हें पायलट ट्रेनिंग कोर्स में भर्ती कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी लेकिन उन्होंने वह भी पूरा नहीं किया. उनके चुनावी हलफनामों में केवल यही उल्लेख है कि उन्होंने हायर सेकेंडरी की पढ़ाई पूरी की है.
वह 2015 में पहली बार विधायक बने और 2017 में बिहार के स्वास्थ्य मंत्री बनाए गए.
तेज प्रताप ने मई 2018 में बिहार के दिवंगत सीएम दरोगा प्रसाद राय की पोती ऐश्वर्या राय से शादी की. लेकिन कुछ ही महीनों के अंदर तलाक की नौबत आ गई, जिससे उनके परिवारिक रिश्ते तनावपूर्ण हो गए. 2019 के आम चुनावों से पहले उन्होंने राजद का टिकट मिलने के बावजूद लोगों से अपील की कि वे उनके ससुर चंद्रिका राय को वोट न दें.
अपने सहयोगियों को टिकट नहीं मिलने से नाराज होकर उन्होंने उस चुनाव से पहले अपने छोटे भाई तेजस्वी पर भी सार्वजनिक रूप से कटाक्ष किया.
हालांकि, तेज प्रताप समय के साथ नरम होते दिख रहे हैं. महागठबंधन सरकार में उन्हें पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री बनाया गया है.
तेजस्वी यादव: यादव भाई-बहनों में आठवें नंबर पर आने वाले तेजस्वी पिछले कुछ सालों में लालू के राजनीतिक उत्तराधिकारी के तौर पर उभरे हैं.
बिहार के मौजूदा डिप्टी सीएम का पहला प्यार क्रिकेट था. तेजस्वी इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) की दिल्ली डेयरडेविल टीम के सदस्य थे, लेकिन वे 12वें खिलाड़ी ही बने रहे.
जब उनका क्रिकेट करियर परवान नहीं चढ़ पाया तो 2009 में लालू उन्हें राजनीति में ले आए. तेजस्वी ने 2015 में चुनाव मैदान में उतरने से पहले सार्वजनिक सभाओं में अपने पिता के साथ मौजूद रहकर उनसे सियासत सीखने में एक लंबा समय बिताया. वह तत्कालीन महागठबंधन के हिस्से के तौर पर नीतीश कुमार सरकार में डिप्टी सीएम बने.
यही नहीं, 2018 में चारा घोटाले में जब लालू को जेल में डाल दिया गया था कि पार्टी की जिम्मेदारी उन्हें ही संभालनी पड़ी.
शुरुआती प्रदर्शन काफी खराब रहा था. राजद ने 2019 के लोकसभा चुनाव में उनके नेतृत्व में एक भी सीट नहीं जीती. निराश तेजस्वी पटना से दिल्ली आ गए और उन्होंने बिहार विधानसभा की कार्यवाही में हिस्सा लेने में भी रुचि नहीं दिखाई जहां वे नेता विपक्ष थे.
लेकिन 2020 का बिहार चुनाव आते-आते वह खुद को बदलने में कामयाब रहे, उन्होंने 111 सीटें हासिल करके जेडीयू-भाजपा गठबंधन को पीछे छोड़ दिया लेकिन कांग्रेस के खराब प्रदर्शन के कारण उन्हें सरकार बनाने में सफलता नहीं मिल पाई.
जदयू के साथ मौजूदा गठबंधन में, उनके पास 79 विधायक हैं और वाम और कांग्रेस विधायकों का ठोस समर्थन हासिल है. राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि वह बिहार के अगले मुख्यमंत्री बन सकते हैं और अगर 2024 में ऐसा संभव हुआ तो वह सबसे कम उम्र— 35 वर्ष— में यह पद संभालने वाले मुख्यमंत्री होंगे.
पिछले साल, उन्होंने लंबे समय तक अपनी दोस्त रही रशेल गोडिन्हो से शादी की. वह अब राजश्री यादव के नाम से जानी जाती हैं.
जहां राजनीतिक हलकों में कुछ लोगों ने यादव जाति से बाहर शादी को लेकर उनके करियर पर प्रतिकूल असर की आशंका जताई, वहीं राजद नेताओं ने ऐसी किसी बात का जोरदारी से खंडन किया.
राज लक्ष्मी यादव: यादव भाई-बहनों में सबसे छोटी राज लक्ष्मी का जन्म 1990 में लालू के बिहार के सीएम बनने के बाद हुआ था. 1990 के दशक में लालू की एक तस्वीर काफी सुर्खियों में रही थी जिसमें वह राज लक्ष्मी को गोद में लिए हुए मेडिकल चेक-अप के लिए अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे.
उनकी शादी 2015 में दिल्ली में एक हाई-प्रोफाइल समारोह में मुलायम सिंह यादव के पोते तेज प्रताप सिंह यादव से हुई थी, जिसमें पीएम नरेंद्र मोदी भी शामिल हुए थे.
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