नई दिल्ली: केंद्र ने मंगलवार को भारतीय वायुसेना (आईएएफ) के तीन अधिकारियों को, जिनमें एक ग्रुप कैप्टन भी शामिल है, ग़लती से एक ब्राह्मोस सुपरसॉनिक क्रूज़ मिसाइल फायर करने के लिए, जो मार्च में पाकिस्तानी क्षेत्र में पहुंच गया था, सेवा से बर्ख़ास्त कर दिया.
कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी (सीओआई) के बाद घटना के लिए बुनियादी रूप से जिन तीन अधिकारियों को ज़िम्मेवार पाया गया, उनमें ब्राह्मोस यूनिट का एक कमांडिंग ऑफिसर भी शामिल है.
आईएएफ की ओर से जारी एक बयान में कहा गया, ‘9 मार्च 2022 को एक ब्राह्मोस मिसाइल ग़लती से फायर कर दिया गया था. केस के तथ्यों का पता लगाने और घटना की ज़िम्मेवारी तय करने के लिए जो कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी स्थापित की गई थी, उसमें पता चला कि तीनों अधिकारियों ने मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) का पालन नहीं किया, जिसके नतीजे में मिसाइल ग़लती से फायर हो गया’. बयान में आगे कहा गया कि अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से बर्ख़ास्त कर दिया गया है.
घटना की ओर पहली बार 10 मार्च को पाकिस्तानी सेना ने ध्यान खींचा, जिसने दावा किया कि ब्राह्मोस सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल हरियाणा के सिरसा इलाक़े से आया, और राजस्थान के महाजन फील्ड रेंज की ओर जा रहा था, जब वो अपने रास्ते से भटक कर कर पश्चिम की ओर मुड़ गया, और पाकिस्तान के हवाई क्षेत्र में दाख़िल हो गया.
उस समय पाकिस्तान के सैन्य प्रवक्ता मेजर जनरल बाबर इफ्तिख़ार ने भी कहा था, कि घटना से कोई नागरिक हताहत नहीं हुआ था, लेकिन उन्होंने दावा किया कि मिसाइल 40,000 फीट की ऊंचाई पर उड़ रहा था, और उसने पाकिस्तानी हवाई क्षेत्र में उड़ रहे कई विमानों की सुरक्षा के लिए ‘ख़तरा’ पैदा कर दिया था.
तकनीकी ख़राबी से हुई थी आकस्मिक फायरिंग
बाद में भारतीय रक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों ने मिसाइल के पथ के बारे में पाकिस्तानी दावों का जवाब दिया, और कहा कि वो ‘अभ्यास’ के लिए मिसाइल का एक निशस्त्र वर्जन था.
रक्षा मंत्रालय ने मार्च में कहा था, ‘नियमित रखरखाव के सिलसिले में एक तकनीकी ख़राबी आ जाने से मिसाइल ग़लती से फायर हो गया. भारत सरकार ने इसे गंभीरता से लिया है, और एक उच्च-स्तरीय कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी का आदेश दिया है’.
घटना ने उस समय कई रक्षा सूत्रों को चौंका दिया था, क्योंकि ब्राह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल के ताज़ा-तरीन वर्जन की रेंज 400 किलोमीटर होती है, और लंबी दूरी के हथियारों के पिछले वर्जन की तुलना में इनकी सुरक्षा प्रणालियां ज़्यादा उन्नत होती हैं.
सूत्रों ने मार्च में दिप्रिंट को बताया था, ‘मिसाइल के सिस्टम में लक्ष्यों की कई जियो-लोकेशंस फीड की हुई होती हैं, जिनमें से चयन करना होता है या नई लोकेशन जोड़नी होती है. फिर क्लियरेंस के कई चरण होते हैं, जिनमें उल्टी गिनती शुरू होने से पहले कुछ कोड्स दाख़िल किए जाते हैं, जिसके बाद मिसाइल ऑटो मोड में चला जाता है’.
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