पटना: नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली जनता दल (यूनाइटेड) ने पिछले हफ्ते जबसे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ नाता तोड़कर सहयोगी दलों कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के समर्थन से बिहार में फिर अपनी सरकार बनाई है, तबसे ही लगभग हर रोज ही महागठबंधन की सरकार किसी न किसी विवाद में घिरती रही है.
नए कैबिनेट की घोषणा के बाद से सीएम नीतीश कुमार के पूर्व सहयोगी जहां कई नए मंत्रियों के दागी रिकॉर्ड को लेकर उन्हें घेर रहे हैं, वहीं राजद प्रमुख लालू यादव के परिवार के कुछ सदस्यों के व्यवहार के कारण भी सरकार को आलोचना का सामना करना पड़ रहा है.
लालू यादव के बड़े बेटे और बिहार के नए वन एवं पर्यावरण मंत्री तेज प्रताप ने बुधवार को वन विभाग के अधिकारियों के साथ एक बैठक की थी जिसमें उनके साथ उनकी बहन मीसा भारती के पति शैलेश कुमार भी मौजूद रहे. शैलेष कुमार एक आईटी इंजीनियर हैं, जिन्होंने भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) अहमदाबाद से एमबीए की डिग्री भी हासिल की है.
अगले दिन, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीसीबी) के अधिकारियों के साथ एक बैठक में दोनों को फिर साथ देखा गया.
बिहार भाजपा के पूर्व मंत्री जनक राम ने दिप्रिंट को बताया, ‘नीतीश जी सरकारी कामकाज में मंत्रियों के रिश्तेदारों के दखल पर नाराज हो जाया करते थे लेकिन अब मूकदर्शक बनकर रह गए हैं.’
उन्होंने कहा, ‘राजद में तो जीजा-साले की जोड़ी की परंपरा है.’ साथ ही याद दिलाया कि एक समय बिहार की तत्कालीन मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के भाई साधु यादव और सुभाष यादव सरकार से इतर अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करते थे.’
जनक राम ने कहा, ‘अब शायद जीजा-साले राज का एक नया सेट सामने है.’
यद्यपि तेज प्रताप और सरकार की ओर से किसी ने भी इस विवाद पर जवाब नहीं दिया है, शैलेश कुमार ने मीडिया के एक वर्ग से बात करते हुए अपनी मौजूदगी पर सफाई दी.
उन्होंने कहा, ‘पहले दिन नैतिक समर्थन के लिए समर्थक और रिश्तेदार मौजूद हैं. मैं भी वहां था और यह कोई औपचारिक मुलाकात भी नहीं थी. तेज प्रताप ने मुझे अपने साथ चलने को कहा, जो मैंने किया. मैंने बैठक में भाग नहीं लिया.’
विवादों से बचने के लिए लालू के छोटे बेटे और बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने शनिवार को राजद के मंत्रियों के लिए क्या करें और क्या न करें की एक सूची जारी की है.
दिशानिर्देशों की इस सूची में अपने विभाग के माध्यम से निजी उपयोग के लिए नए वाहन नहीं खरीदना, कार्यकर्ताओं और लोगों को पैर छूने से रोकना, विनम्र होना, कामकाज में पारदर्शिता बरतना और सीएम को समय-समय पर अपने विभागों के घटनाक्रम के बारे में अवगत कराते रहना आदि शामिल है.
जदयू सूत्रों के मुताबिक, डिप्टी सीएम ने ये दिशानिर्देश ऐसे समय पर जारी किए हैं जबकि हालिया घटनाओं को लेकर नीतीश कुमार ने उनके साथ बातचीत की थी.
इस बीच, भ्रष्टाचार या अन्य आपराधिक आरोपों में घिरे लोगों को मंत्रालय में शामिल करने को लेकर भी जदयू-राजद-कांग्रेस सरकार पर हमले हो रहे हैं. इनमें कृषि मंत्री सुधाकर सिंह, शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर और खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री लेशी सिंह शामिल हैं.
ऐसे मंत्रियों के शामिल होने से भाजपा आश्चर्यचकित है कि क्या सीएम नीतीश कुमार ने ऐसे नेताओं के खिलाफ अपना रुख पहले की तुलना में नरम कर लिया है.
भाजपा सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा, ‘सुशासन की परिभाषा बदल गई लगती है. जब नीतीश जी हमारे साथ थे तो भाजपा और जदयू दोनों दलों के एक-एक मंत्री को इस्तीफा देना पड़ा क्योंकि उनके खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज थे. अब यह बात कोई मायने नहीं रखती.’ वह भाजपा के रामधर सिंह और जदयू के रामानंद सिंह का हवाला दे रहे थे.
यद्यपि नीतीश कुमार ने अब तक इस मामले पर चुप्पी साध रखी है, वहीं जदयू के सूत्रों ने कहा कि पार्टी में चिंता बढ़ी है. जदयू के एक विधान परिषद सदस्य ने नाम न छापने की शर्त पर सवाल उठाया, ‘अन्याय बर्दाश्त नहीं करने वाले व्यक्ति के तौर पर नीतीश कुमार की छवि धूमिल पड़ रही है. वह कब तक चुप रह सकते हैं?’
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‘गबन’, ‘बुलेट लव’ और भी बहुत कुछ
बिहार के नए कृषि मंत्री सुधाकर सिंह राजद प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के पुत्र हैं. विडंबना यह है कि नवंबर 2014 में राज्य की तत्कालीन नीतीश कुमार सरकार ने सुधाकर सिंह के खिलाफ 5.31 करोड़ रुपये के गबन का आरोप लगाते हुए मामला दर्ज किया था.
आरोप था कि बिहार के कैमूर जिले में दो चावल मिल चलाने वाले सुधाकर को भारतीय खाद्य निगम से मिलों के लिए धान की सप्लाई मिली थी लेकिन चावल वापस करने के बजाये, उन्होंने इसका अधिकांश हिस्सा बेच दिया.
विवाद के बारे में पूछे जाने पर, सुधाकर ने दिप्रिंट को बताया, ‘चावल की चोरी मैंने नहीं बल्कि कथित तौर पर अधिकारियों ने की थी. मामला अभी भी पटना हाई कोर्ट के समक्ष लंबित है.’
इस बीच, राज्य के नए शिक्षा मंत्री और राजद नेता चंद्रशेखर एक ऐसे मामले को लेकर विवादों में हैं, जिसमें उन्हें दिल्ली हाई कोर्ट ने बरी भी कर दिया है.
फरवरी 2019 में दिल्ली के इंदिरा गांधी एयरपोर्ट पर तैनात सुरक्षाकर्मियों ने तत्कालीन विधायक के बैग से 10 जिंदा कारतूस बरामद किए थे. यद्यपि उन्होंने बताया कि गोलियां गलती से बैग के अंदर आ गई थीं, उनके खिलाफ आर्म्स एक्ट और भारतीय दंड संहिता की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था.
हालांकि बाद में मंत्री की सफाई और माफी को स्वीकार कर लिया गया और दिल्ली हाई कोर्ट ने उन्हें छोड़ दिया.
फिर भी, शिक्षा मंत्री के तौर पर उनकी नियुक्ति के बाद विपक्ष को यह कहकर उन्हें घेरने का मौका मिल गया कि उन्हें किताबों से ज्यादा बुलेट से प्यार है.
हालांकि, यह सिर्फ विपक्ष नहीं है, जो नीतीश कुमार के लिए परेशानी का सबब बना है. मंत्रियों को लेकर बिहार के सीएम की पसंद पर उनकी पार्टी के लोग भी सवाल उठा रहे हैं.
विडंबना यह है कि नीतीश कुमार सरकार में खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री लेशी सिंह पर विपक्ष ने नहीं, बल्कि जदयू की साथी नेता बीमा भारती ने भी निशाना साधा है.
भारती ने बुधवार को मीडिया के सामने आरोप लगाया, ‘लेशी सिंह एक आपराधिक गिरोह चलाती हैं जो पूर्णिया में जबरन वसूली का रैकेट चलाता है और अपना विरोध करने वाले को मार डालता है.’
नीतीश कुमार ने जहां लेशी सिंह का बचाव किया है, वहीं नई मंत्री के कथित आपराधिक लिंक को लेकर अन्य वर्गों में भी सवाल उठाए जा रहे हैं.
पूर्व आईपीएस अमिताभ दास का दावा है, ‘लेशी सिंह के पति बूटन सिंह पूर्णिया में एक गैंगस्टर थे, जिनकी कोर्ट में पेशी के दौरान गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. बाद में लेशी सिंह ने गैंग को संभाल लिया. मैंने राज्यपाल को पत्र लिखकर मंत्री की आपराधिक गतिविधियों की जांच करने को कहा है.’
संयोग से बीमा भारती के पति अवधेश मंडल भी पूर्णिया के एक खूंखार अपराधी हैं. पार्टी सूत्रों के मुताबिक, दोनों नेताओं के बीच पिछले पांच सालों से प्रतिद्वंद्विता जारी है और यह जदयू के लिए एक और सिरदर्द बन सकता है.
इस बीच, नीतीश कुमार राजद के कार्तिक सिंह को लेकर भी घिरी है. उन्हें जिस दिन यानी 16 अगस्त को कानून मंत्री बनाया गया, उसी दिन अपहरण के एक मामले— जिसमें वह आरोपी हैं— उनकी एक कोर्ट में पेशी थी, इसे लेकर भी विपक्ष ने निशाना साधा है.
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