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Friday, 22 November, 2024
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रफाल की धार कुंद करने के लिए अगस्ता वेस्टलैंड बनेगा भाजपा का हथियार

अगस्ता वेस्टलैंड घोटाले के आरोपी बिचौलिये क्रिस्चियन मिशेल के प्रत्यर्पण ने भाजपा को रफाल डील के आरोप का सामना करने के लिए एक हथियार दे दिया है.

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नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव 2019 से पहले अगस्ता वेस्टलैंड डील के आरोपी बिचौलिये क्रिस्चियन मिशेल के प्रत्यर्पण ने भाजपा को कांग्रेस के ऊपर हमला करने और रफाल डील के आरोप का सामना करने का एक और मौका दे दिया है.

54 वर्षीय मिशेल कथित बिचौलियों में से एक है, जिन्होंने इस सौदे की मध्यस्थता की थी और जांचकर्ताओं ने दावा किया कि इटली के फर्म फिनमेकेनिका की ब्रिटिश शाखा अगस्टा वेस्टलैंड के पक्ष में अनुबंध करने के लिए अधिकारियों और राजनेताओं को रिश्वत का भुगतान किया गया था.

मिशेल पर 12 वीवीआईपी हेलीकॉप्टर डील में एंग्ल-इटालियन हेलीकॉप्टर निर्माता कंपनी से घूस लेने का आरोप है. उसे एक निजी जेट से दिल्ली लाया गया और फिर सीबीआई ने हिरासत में ले लिया.

यह डील प्रधानमंत्री समेत सभी शीर्ष भारतीय नेताओं द्वारा उपयोग किये जाने वाले 12 हेलिकॉप्टरों की आपूर्ति से संबंधित थी. 2010 में डील पर हस्ताक्षर किए गए थे जब सोनिया गांधी की अगुआई वाली कांग्रेस सत्ता में थी.

यह प्रत्यर्पण मोदी सरकार द्वारा एक बड़ा कदम माना जा रहा है. रफाल मुद्दे का सामना करने के लिए अगस्ता वेस्टलैंड वीवीआईपी हेलिकॉप्टर डील को कांग्रेस के सामने उठाया जा रहा है.

भारतीय जनता पार्टी ने अपने प्रवक्ता जीवीएल नरसिम्हा राव के माध्यम से कांग्रेस पर हमला करना शुरू कर दिया है. जीवीएल नरसिम्हा राव का दावा है कि मिशेल को ‘गांधी-परिवार का वफादार होने के लिए जाना जाता है.’ मिशेल का प्रत्यर्पण और हिरासत कांग्रेस के गांधी-परिवार की परेशानी का कारण बन सकती है.

इसका चुनावी फायदा भुनाने के लिए प्रधानमंत्री ने इसे राजस्थान चुनाव प्रचार में उठाया और कांग्रेस पर तीखा हमला बोला.

कांग्रेस ने अपने नेताओं के खिलाफ लगे सभी आरोपों का खंडन किया है.

पर वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि जनता उनके बारे में क्या हो सोचती है, इस पर इसका असर हो सकता है और पार्टी को 2019 में नुकसान हो सकता है.

2016 में भी कांग्रेस को घेरने के लिए भाजपा ने विवादास्पद अगस्ता वेस्टलैंड का मामला सदन में उठाया था.

भाजपा एक बार फिर कांग्रेस की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी और अहमद पटेल पर हमलावर रुख अपना सकती है.

2016 की संसदीय बहस में, भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा था कि कथित बिचौलिये ने हाथ से लिखे नोट में जिनका नाम लिया था उनसे सीबीआई को पूछताछ करनी चाहिए और अगर ज़रूरत हो तो हिरासत में लेकर भी पूछताछ की जा सकती है.

इटालवी अदालत के दस्तावेज़ों का हवाला देते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि 30 मिलियन यूरो की घूस दी गई, इसमें 6 मिलियन यूरो भारतीय वायु सेना, 8.4 मिलियन यूरो नौकरशाहों और 125 करोड़ ‘एपी’ को दिए गए. भाजपा का आरोप है कि ‘एपी’ का मतलब अहमद पटेल है. भाजपा पटेल पर निशाना साधेगी जिन्होंने हाल के गुजरात चुनावों में अहम भूमिका अख्तियार की थी और अभी भी अहम भूमिका में हैं.

पर किसी भी कांग्रेस नेता का नाम चार्जशीट में अभी तक नहीं है.

एक वरिष्ट कांग्रेस नेता ने कहा, ‘इस प्रत्यर्पण की टाइमिंग ऐसी है कि इसका पार्टी को नुकसान होगा. सबकी नज़र इस पर टिकी हैं.’

पर कांग्रेस के एक धड़े का मानना है कि इसका कोई असर नहीं होगा क्योंकि जांच एजेंसियों की विश्वस्नीयता अपने न्यूनतम स्तर पर है. एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता का कहना था, ‘किसी को सीबीआई पर विश्वास नहीं हैं क्योंकि वो भाजपा सरकार के इशारों पर काम कर रही है. लोग इसपर विश्वास नहीं करेंगे.’

एक और नेता ने कहा कि वीवीआईपी हेलीकॉप्टर खरीद का फैसला अटल बिहारी वाजपेयी की एनडीए सरकार ने लिया था. ‘ये निर्णय एनडीए सरकार के कार्यकाल में लिया गया था और किस कंपनी को ठेका देना है और क्या मापदंड होंगे, सभी वाजपेयी के कार्यकाल में तय हुए थे. कांग्रेस को जब आरोपों का पता चला तो उन्होंने डील कैंसल कर दी थी. हमें पता है कि उनपर कांग्रेस नेताओं का नाम लेने का दबाव डाला जा रहा है. भाजपा को नीरव मोदी, मेहुल चोकसी और रफाल डील पर सवालों के जवाब देने चाहिए.’

एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता का मानना था कि ये कदम हालांकि रफाल पर कांग्रेस अध्यक्ष राहूल के डसॉल्ट एविएशन से रफाल सौदे पर हमले को कुंद करेगा.

कांग्रेस अध्यक्ष भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार पर रफाल सौदे को लेकर लगातार हमलावर रहे हैं और मोदी को उन्होंने एक भ्रष्ट आदमी बताया है. विपक्ष इस सौदे पर जेपीसी की मांग करता रहा है. राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की सभी चुनावी रैलियों में राहुल ने रफाल को मोदी पर निशाना साधने के लिए इस्तेमाल किया है.

कांग्रेस के लिए राह अब आसान नहीं होगी क्योंकि भाजपा ने बोफोर्स तोप सौदे पर कांग्रेस पर वर्षों से निशाना साधा है.

हालांकि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के खिलाफ कभी कोई आरोप सिद्ध नहीं हुए थे पर उसे कांग्रेस को भ्रष्ट दिखाने के औज़ार के रूप में इस्तेमाल किया गया था.

2004 में दिल्ली उच्च न्यायालय ने राजीव गांधी को मामले में निर्दोष पाया था पर साथ ही उसने बोफोर्स के खिलाफ जालसाज़ी के आरोप तय करने का आदेश दिया था.

ओत्तावियो क्वात्रोकी जिन्हें एक समय में गांधी परिवार का दोस्त माना जाता था, कथित रूप से बोफोर्स तोप सौदे में बिचौलिये थे जिसमें कंपनी ने भारतीय राजनेताओं और प्रतिरक्षा अधिकारियों को कथित रूप से बड़ी घूस दी थी.

2005 में दिल्ली उच्च न्यायालय ने सभी आरोपियों के खिलाफ सभी आरोप निरस्त कर दिए थे और 2011 में एक विशेष सीबीआई अदालत ने इतालवी व्यापारी क्वात्रोकी को ये कहकर डिसचार्ज कर दिया था कि उन्होंने उनके प्रत्यर्पण पर 250 करोड़ खर्च कर दिए थे और अब और नहीं कर सकते थे.

इंटरपोल की लिस्ट में उनका नाम सालों तक रहा और 2009 में सीबीआई ने इंटरपोल से रेड कार्नर नोटिस से उनका नाम हटाने को कहा, जो कि भारत के कहने पर ही डाला गया था.

भाजपा ने इस मामले को कांग्रेस पर निशाना साधने के लिए बरसों तक इस्तेमाल किया, हांलाकि उनको उनके प्रत्यर्पण में कोई सफलता नहीं मिली. अगस्ता वेस्टलैंड मामले में सरकार मिशेल का प्रत्यर्पण तो कर पाई है और वो इसका भरपूर राजनीतिक फायदा भी उठाएगी.

एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा कि ‘तेलंगाना और राजस्थान में मतदान के कुछ दिनों पहले उनका प्रत्यर्पण हुआ है, तो भाजपा इसको चुनावी मुद्दा तो बनाएगी ही.

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