भोपाल: मध्य प्रदेश की राजधानी में हुए यूनियन कार्बाइड हादसे की 34वीं बरसी के मौके पर गैस पीड़ितों की लड़ाई लड़ने वाले चार संगठनों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोला है. इन संगठनों का आरोप है कि प्रधानमंत्री मोदी का इस हादसे के लिए जिम्मेदार डाओ केमिकल कंपनी के साथ रिश्ते हैं.
राजधानी में रविवार को संवाददाताओं से बातचीत करते हुए इन संगठनों के नेताओं ने कहा कि मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से आपराधिक कंपनी का बचाव किया जा रहा है और पीड़ितों के प्रति लापरवाही बरती जा रही है. मोदी के संबंध वर्ष 2008 ही उजागर हो गए थे, जब वे गुजरात के मुख्यमंत्री हुआ करते थे. तब डाओ केमिकल ने गुजरात केमिकल्स एंड एल्कालिस के साथ संयुक्त कार्य करने की योजना बनाई थी.
इतना ही नहीं, जब मोदी प्रधानमंत्री की हैसियत से वर्ष 2015 में अमेरिका गए थे, तब उन्होंने डाओ केमिकल के सीईओ को विशेष भोज पर बुलाया था और तस्वीरें भी खिंचवाई थीं.
भोपाल में दो-तीन दिसंबर, 1984 की रात को रिसी जहरीली गैस ने हजारों लोगों की जान ले ली थी और अब भी बीमार लोगों की मौत का दौर जारी है.
भोपाल गैस पीड़ित मिहला स्टेशनरी कर्मचारी संघ की अध्यक्ष रशीदा बी ने कहा, ‘अब से दो महीने में डाओ केमिकल के तीन टुकड़े हो जाएंगे और जिससे यूनियन कार्बाइड गायब हो जाएगी और प्रधानमंत्री के कार्यालय से गायब होने से रोकने के लिए एक भी कदम नहीं उठाया गया है.’
भोपाल ग्रुप फॉर इंफार्मेशन एंड एक्शन की रचना ढींगरा ने कहा, 2010 में कांग्रेस की सरकार को यह अहसास हुआ कि भोपाल पीड़ित को मिला मुआवजा अपर्याप्त है तो उन्होंने 1.2 अरब डॉलर के अतिरिक्त मुआवजे की मांग करते हुए सर्वोच्च न्यायालय में सुधार याचिका पेश की थी. पर पिछले साल कांग्रेस और भाजपा की सरकार द्वारा याचिका की त्वरित सुनवाई के लिए एक भी अर्जी पेश नहीं की गई है और तब से सुधार याचिका बगैर कार्यवाही के लंबित है.
डाओ केमिकल के खिलाफ बच्चों के संगठन के प्रमुख नौशीन खां ने कहा, ‘यूनियन कार्बाइड कारखाने के बाहर जमीन के नीचे दबे हजारों टन जहरीले कचरे के कारण भूजल के प्रदूषित होने का क्रम जारी है.’
गैस पीड़ितों की समस्याओं पर सरकार की ओर से ध्यान न दिए जाने पर भोपाल गैस पीड़ित महिला-पुरुष संघर्ष मोर्चा के नबाव खां ने नाराजगी जताते हुए कहा कि सरकार का रवैया गैस पीड़ितों के प्रति अच्छा नहीं है.