scorecardresearch
Tuesday, 5 November, 2024
होमराजनीतिमहाराष्ट्र कांग्रेस ने नेताओं, पार्टी कार्यकर्ताओं से कहा- ‘जय बलिराजा कहकर एक-दूसरे का अभिवादन करें’

महाराष्ट्र कांग्रेस ने नेताओं, पार्टी कार्यकर्ताओं से कहा- ‘जय बलिराजा कहकर एक-दूसरे का अभिवादन करें’

कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने ट्वीट कर कहा कि किसान दुनिया का गौरव हैं और पार्टी के सभी कार्यकर्ताओं और नेताओं को आगे बढ़ते हुए एक-दूसरे का अभिवादन नए नारे के साथ करना चाहिए.

Text Size:

मुंबई: महाराष्ट्र के सांस्कृतिक मामलों के मंत्री सुधीर मुनगंटीवार द्वारा सरकारी अधिकारियों को कार्यालयों में फोन पर बात करते समय ‘नमस्ते’ के बजाये ‘वंदे मातरम्’ बोलने का कहे जाने के दो दिन बाद मंगलवार को राज्य कांग्रेस ने सभी पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं से कहा कि एक-दूसरे का अभिवादन करने के लिए ‘जय बलिराजा’ (किसान की जय) संबोधन का इस्तेमाल करें.

कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा कि किसान दुनिया का गौरव हैं और इसलिए सभी पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं को आगे बढ़कर ‘जय बलिराजा’ कहते हुए एक-दूसरे का अभिवादन करना चाहिए.

उन्होंने लिखा, ‘राष्ट्रगान-वंदे मातरम् हमारा गौरव है, लेकिन बलिराजा दुनिया का गौरव है, इसलिए अब राज्य कांग्रेस के नेताओं और कार्यकर्ताओं को एक-दूसरे से मिलते समय और लोगों से बातचीत करते हुए ‘जय बलिराजा’ बोलना चाहिए.

मुनगंटीवार ने रविवार को कहा था कि देश आजादी का अमृत महोत्सव (75वीं वर्षगांठ) मना रहा है और राज्य के सभी सरकारी अधिकारियों को अगले साल 26 जनवरी तक कार्यालयों में कोई फोन कॉल स्वीकार करते समय ‘हैलो’ के बजाय ‘वंदे मातरम’ कहना होगा.

उन्होंने कहा था कि औपचारिक सरकारी आदेश 18 अगस्त तक आ जाएगा. सांस्कृतिक मामलों के मंत्री ने यह भी कहा कि विदेशी शब्द ‘हैलो’ को छोड़ना आवश्यक है, जबकि ‘वंदे मातरम्’ केवल एक शब्द नहीं, बल्कि हर भारतीय की भावनाओं से जुड़ा है.

निर्देश को लेकर आलोचनाओं का सामना कर रहे मुनगंटीवार ने मंगलवार को स्पष्ट किया कि सरकारी अधिकारियों के लिए वंदे मातरम् बोलना ‘अनिवार्य नहीं’ है. उन्होंने कहा, ‘वंदे मातरम्’ जैसा कुछ भी इस्तेमाल किया जा सकता है, और सवाल उठाया कि क्या विपक्ष को राष्ट्रवादी शब्दों के इस्तेमाल में कोई समस्या है.

‘जो चाहो कहो’

कांग्रेस और एनसीपी दोनों ने मुनगंटीवार के शुरुआती बयान की आलोचना की थी.

एनसीपी नेता जितेंद्र आव्हाण ने इस निर्देश का कड़ा विरोध किया. मीडिया के लिए जारी एक वीडियो में आव्हाण ने कहा, ‘हैलो, नमस्कार या किसी अन्य रूप में अभिवादन करना किसी व्यक्ति का अधिकार है. आखिर ये बाध्यता क्यों है? हमें बस ये और बता दें कि अगर हम वंदे मातरम् नहीं कहते हैं, तो जेल की सजा कितनी है.’

वहीं, विपक्ष के नेता अजीत पवार ने मंगलवार को विधानसभा सत्र से पहले मीडिया से बात करते हुए कहा कि ‘वंदे मातरम्’ कहने में कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन यह अनिवार्य क्यों होना चाहिए. इसके बजाय सरकार को रोजगार, मुद्रास्फीति और अन्य मुद्दों पर बात करनी चाहिए.

कांग्रेस के नए सुझाव पर पवार ने कहा, ‘आप जो चाहें कहें, बस एक-दूसरे को मारें या गाली न दें.’

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें: सरकारी आंकड़े बताते हैं कि कोविड के दौरान भारत का ‘वेतनभोगी वर्ग’ सिकुड़ा, मुस्लिमों पर सबसे ज्यादा असर


 

share & View comments