बिहार का नया मंत्रिमंडल उत्साह नहीं पैदा करता, जो दिशा और मंशा की भारी कमी को दिखाता है. यह गवर्नेंस नहीं, राजनीतिक है. एक ऐसे राज्य में जहां सबसे अधिक राजकोषीय घाटा है और पहली तिमाही में कर राजस्व और पूंजीगत व्यय में गिरावट देखी गई है, दो मिलियन नौकरियों का वादा करना बड़ी बात है. बिहार को अपने सुशासन बाबू की बहुत याद आ रही है.