नई दिल्ली: सोमवार को महिला अधिकार कार्यकर्ताओं ने स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘नारी शक्ति’ के भाषण पर महिलाओं संबंधी योजनाओं के लागू ना करने को लेकर सवाल उठाए हैं.
कार्यकर्ताओं ने जेंडर बजट को लेकर मोदी सरकार पर निशाना साधा है. उनका कहना है कि पिछले बजट में जेंडर बजट 2021-22 के संशोधित अनुमानों के जीडीपी के 0.71 प्रतिशत से घटकर 2022-2023 के बजटीय अनुमानों में 0.66 प्रतिशत कर दिया गया है.
उन्होंने सरकार पर महिलाओं की शिक्षा और सुरक्षा की नजरअंदाजी करने का आरोप लगाते हुए कहा कि उनसे जुड़ी योजनाओं को लागू करने की बेहद जरूरत है.
उधर, विपक्ष ने भी पीएम के ‘नारी शक्ति’ के भाषण पर निशाना साधा है. विपक्षी दलों ने सोमवार को कहा कि नरेंद्र मोदी अपने अंदर झांककर देखें और उन्हें महिलाओं के प्रति अपनी पार्टी के रवैये को भी देखना चाहिए.
गौरलतब है कि लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र को संबोधित करते हुए मोदी ने लोगों से ऐसा कुछ भी न करने का संकल्प लेने का आग्रह किया, जिससे महिलाओं की गरिमा को ठेस पहुंचे.
तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने मोदी पर कटाक्ष किया और एक चुनावी रैली के दौरान पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर उनके द्वारा की गई ‘दीदी ओ दीदी’ टिप्पणी की याद दिलाई.
ओ’ब्रायन ने ट्विटर पर बनर्जी का हवाला देते हुए प्रधानमंत्री का एक वीडियो साझा करते हुए लिखा, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज कहा कि हम महिलाओं के प्रति द्वेष समाप्त करने का संकल्प लें. पूरी तरह सहमत, श्रीमान. क्या हमें आपके साथ शुरुआत करनी चाहिए.’
“Let’s pledge to wipe out misogyny” said Prime Minister @narendramodi today #IndependenceDay2022
Completely agree, Sir.
Should we start with you, leading by example. pic.twitter.com/E4dP9l5TMr
— Derek O'Brien | ডেরেক ও'ব্রায়েন (@derekobrienmp) August 15, 2022
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के महासचिव डी राजा ने भी प्रधानमंत्री से महिलाओं के संबंध में अपनी पार्टी के पुरुषों के रवैये को देखने का आग्रह किया.
उन्होंने कहा, ‘यह सिर्फ महिलाओं के बारे में नहीं है. समाज में सभी मनुष्यों के साथ सम्मान के साथ व्यवहार किया जाना चाहिए. ऐसा इसलिए नहीं हो रहा है क्योंकि मानसिकता को एक ऐसी पार्टी द्वारा नियंत्रित किया जा रहा है जो मनुस्मृति, पितृसत्ता और जाति व्यवस्था में विश्वास करती है. इस सरकार के पास संसद के दोनों सदनों में बहुमत है, फिर भी उन्होंने महिला आरक्षण विधेयक पारित नहीं किया है.’
राजा ने कहा, ‘उनका भाषण महज बयानबाजी है और महिलाओं के प्रति या सामाजिक रूप से पिछड़े लोगों के प्रति कोई गंभीर प्रतिबद्धता नहीं है.’
शिवसेना नेता और राज्यसभा सदस्य प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि मोदी के शब्द जमीनी कार्रवाई से मेल नहीं खाते.
उन्होंने लिखा, ‘अगर हम महाराष्ट्र कैबिनेट को देखें तो कोई महिला नहीं है, यहां तक कि महिला और बाल विभाग भी पुरुष मंत्रियों द्वारा देखे जा रहे हैं.’
Is this the Nari Shakti model that was spoken about in the I-Day speech? – no woman minister in Maharashtra cabinet. https://t.co/J6HX0EBnYC
— Priyanka Chaturvedi🇮🇳 (@priyankac19) August 15, 2022
चतुर्वेदी ने कहा, ‘बीजेपी ने महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने की बात भी कही लेकिन पूर्ण बहुमत होने के बावजूद इसे लागू नहीं किया गया है.’
उन्होंने ‘सुल्ली और बुल्ली’ मामलों का भी जिक्र किया जिसमें सोशल मीडिया पर महिलाओं की कथित बोली लगाई गई थी.
यह भी पढ़ें: ‘वे हमारा परिवार हैं’-कच्छ के गांवों में लंपी स्किन रोग से गायों के मरने की वजह से फैल रहा है भ्रम और सदमे में लोग
पीएम मोदी ने क्या कुछ कहा
सोमवार को अपने स्वतंत्रता दिवस भाषण में पीएम मोदी ने लोगों से आग्रह किया कि वह ऐसा कुछ न करने का संकल्प लें जिससे महिलाओं की प्रतिष्ठा कम होती है. उन्होंने कहा कि बोलने में और आचरण में महिलाओं को अपमानित करने की विकृति आई है.
देश के 76वें स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि भारत की तरक्की के लिए महिलाओं का सम्मान एक अहम स्तंभ है और उन्होंने ‘नारी शक्ति’ का समर्थन करने की आवश्यकता पर जोर दिया.
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘हमारे आचरण में विकृति आ गई है और हम कभी-कभी महिलाओं का अपमान करते हैं. क्या हम अपने व्यवहार और मूल्यों में इससे छुटकारा पाने का संकल्प ले सकते हैं.’
उन्होंने कहा कि यह अहम है कि बोलने में और आचरण में ‘हम ऐसा कुछ न करें जो महिलाओं का सम्मान कम करता हो.’
अखंड भारत के महत्व का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि भारत के पास एकता की अवधारणा पर दुनिया को सिखाने के लिए काफी कुछ है और एकता की यह अवधारणा परिवार की संरचना से शुरू होती है.
उन्होंने कहा कि लैंगिक समानता अखंड भारत की कुंजी है. उन्होंने कहा कि परिवार संरचनाओं में बेटों और बेटियों को समान महत्व दिए बिना एकता का विचार खो जाएगा.
मोदी ने कहा कि महिला शक्ति समाज के सभी क्षेत्रों में मौजूद है और देश के विकास के लिए अहम है. उन्होंने कहा, ‘अगर हम कानून, शिक्षा, विज्ञान और पुलिस में ‘नारी शक्ति’ की ओर देखें तो हमारी बेटियां और माताएं भारत में अहम योगदान दे रही हैं.
उन्होंने कहा कि नागरिकों को रानी लक्ष्मीबाई, झलकारी बाई, रानी चिनम्मा और बेगम हजरत महल जैसी भारत की महिलाओं की ताकत पर गर्व है. उन्होंने कहा कि भारतीय महिलाएं त्याग और संघर्ष की प्रतीक हैं.
मोदी और महिला वोट
कई रिपोर्ट में दावा किया गया कि मोदी और उनकी पार्टी बीजेपी को 2019 के लोकसभा चुनावों में महिलाओं ने सबसे ज्यादा वोट देकर जिताया था. साथ ही, 2019 के बाद से ज्यादातर महिला वोट के साथ बीजेपी ने राज्यों में सत्ता हासिल की है.
लिंग के आधार पर आम चुनावों में मतदान पर 1962 के बाद से चुनाव आयोग (ईसी) के आंकड़ें यह दर्शाता हैं कि कांग्रेस ने देशभर में हमेशा महिला वोट का बड़ा हिस्सा हासिल किया है. हालांकि, 2019 में एक बड़ा बदलाव देखा गया जब मोदी सरकार दूसरी बार सत्ता में आई. चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक बीजेपी ने दूसरी पार्टियों के मुकाबले 36 फीसदी महिला वोट हासिल किए थे.
चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, 2019 के चुनाव में महिला वोटर्स (66.79 फीसदी) की भागीदारी पुरुषों (66.68 फीसदी) के बराबर थी.
कई विशेषज्ञों का मानना था यह ‘मूक महिला मतदाता’ के उदय को दिखाता है जो अपनी राजनीतिक पसंद पर जोर दे रही थी. 2015 के बिहार चुनाव में भी कुछ ऐसा ही ट्रेंड देखने को मिला था.
2019 के बाद से बीजेपी ने हर चुनाव में महिला वोट पर ध्यान केंद्रित करना शुरू किया है.
उदाहरण के तौर पर इस साल फरवरी-मार्च में हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में पुरुषों की तुलना में अधिक महिलाओं ने बीजेपी को वोट दिया है.
महिलाओं के बीच बीजेपी की बढ़ती लोकप्रियता को प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना, स्वच्छ भारत अभियान, जन धन योजना, प्रधान मंत्री आवास योजना और बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ जैसी आर्थिक योजनाओं के लिए भी जिम्मेदार ठहराया जा सकता है, जो महिलाओं को लक्षित करती हैं.
इशाद्रिता लाहिरी और भाषा के इनपुट से
यह भी पढ़ें:गुजरात में लंपी स्किन बीमारी से गायों की मौत, कच्छ में सामने आ रहे हैं समुदाय-संचालित पशु देखभाल शिविर