मुंबई: मुंबई के शिवाजी पार्क में रविवार को आधी रात के आस-पास गुलमोहर का एक पेड़ गिर पड़ा.
जी नार्थ प्रशासनिक वार्ड, जिसके अधिकार क्षेत्र में शिवाजी पार्क आता है, को नियंत्रण कक्ष से तत्काल सूचना मिली. मुंबई नगर निकाय का उद्यान विभाग तुरत-फुरत से हरकत में आ गया, और सोमवार दोपहर 3.30 बजे तक, इस उखड़े हुए पेड़ को उसकी मूल जगह से कुछ ही फीट दूर दूसरे स्थान पर प्रत्यारोपित कर दिया गया. लेकिन एक सवाल यह भी है कि आखिर एक पेड़ पर इतना सारा ध्यान क्यों दिया जाएगा?
बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) – जिसे इस साल मार्च में एक प्रशासक द्वारा पदभार संभालने से पहले 25 साल तक शिवसेना ने ही चलाया था -के लिए यह पेड़ किसी अन्य आम पेड़ के जैसा नहीं है. यह एक वीआईपी पेड़ था, जिसे दशकों पहले शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे ने स्वयं अपने हाथों से रोपा था.
दिप्रिंट के साथ बात करते हुए, शिवसेना की पूर्व पार्षद विशाखा राउत ने कहा, ‘बालासाहेब और मां साहब (ठाकरे की पत्नी मीना ठाकरे) ने स्वयं यह पेड़ लगाया था. इसी कारण से हमारे लिए इसका बहुत अधिक भावनात्मक मूल्य है. प्रशासन भी इस बात से सहमत था कि इस पेड़ को बचाना और संरक्षित रखना काफी महत्वपूर्ण है, और इसलिए इसने तेजी से काम किया.’
उन्होंने कहा, ‘हमने वह सब कुछ किया है जो हम कर सकते थे. अब, हम उम्मीद कर रहे हैं कि यह बच जाएगा.’ साथ ही, उन्होंने बताया कि वह और शिवसेना के अन्य नेता, जैसे कि मुंबई की पूर्व मेयर किशोरी पेडनेकर, सोमवार सुबह जायजा लेने के लिए मौके पर पहुंचे थे.
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गुलमोहर का VIP पेड़
कई सालों से इस पेड़ के सामने एक पट्टिका लगी है जिसमें यह घोषणा की गई है कि ‘गुलमोहर का यह पेड़ माननीय शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे ने अपने हाथों से लगाया था.’
साल 2012 में इस पेड़ को बालासाहेब की मृत्यु के बाद शिवाजी पार्क में शिवसेना संस्थापक की याद में बने एक छोटे से स्मारक के परिसर में शामिल कर लिया गया था.
गुरुवार को, शिवसेना के बागी खेमे से सम्बद्ध राज्य कैबिनेट के कुछ नए मंत्रियों ने ठाकरे स्मारक का दौरा किया और इस प्रत्यारोपित पेड़ का भी जायजा लिया.
वार्ड कार्यालय के एक अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि उन्होंने जी नॉर्थ वार्ड के अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने के लिए हर संभव कदम उठाने का निर्देश दिया कि पेड़ जिन्दा रहे.
उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना के प्रति अब भी वफादार बनी हुई राउत ने इस पेड़ में मंत्रियों के द्वारा ली जा रही रूचि की आलोचना करते हुए इसे ‘वराती मागुन घोड़ा’ (एक घोड़ा जो पूरी बारात के बीत जाने के बाद आया हो) कहा.
राउत ने कहा, ‘हम तुरंत मौके पर पहुंचे और पेड़ की देखभाल की. उस समय उनमें से किसी ने भी इसके बारे में नहीं सोचा.’
नागरिक निकाय के उद्यान विभाग के एक अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि यह पेड़ गुलमोहर की एक विदेशी एवं अनूठी किस्म का पौधा है.
उन्होंने कहा, ‘गुलमोहर एक समय में बहुत लोकप्रिय था क्योंकि गर्मियों के दौरान इसमें सुर्ख लाल फूल खिलते थे. बहुत से लोग इसे लगाते थे. हालांकि, हमारे अनुभव के अनुसार प्रत्यारोपित गुलमोहर के पेड़ों की जीवित रहने की दर सबसे खराब रही है.’
उनका कहना था, ‘अत्यधिक बिगड़े मौसम के कारण शहर में जो पेड़ क्षतिग्रस्त होते हैं, वे भी आमतौर पर गुलमोहर के पेड़ ही होते हैं. यह पेड़ बहुत अधिक शहरी तनाव नहीं झेल सकता. फिर भी, हमने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास किया है और हर दिन इस पेड़ की निगरानी कर रहे हैं.‘
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BMC ने कैसे किया इस पेड़ का प्रत्यारोपण?
उद्यान विभाग के अधिकारी ने कहा कि इस पेड़ के प्रत्यारोपण के पूरे अभियान (ऑपरेशन) के लिए 12-15 लोगों की एक टीम की आवश्यकता थी, जिनमें से अधिकांश बागवानी विशेषज्ञ और विभाग के अधिकारी ही थे. साथ ही, बीएमसी के विद्युत और रखरखाव विभाग के कुछ लोग भी थे, क्योंकि मौके पर बिजली के तार व पानी के पाइप भी लगे थे.
उन्होंने बताया, ‘हमने पहले पेड़ के भार को कम करने के लिए शाखाओं की छंटनी की और फिर पेड़ के संक्रमित होने की संभावना को कम करने के लिए क्षतिग्रस्त जड़ों को काट कर अलग कर दिया. अच्छी जड़ों पर हमने थोड़ा सा रूट हेल्थ बूस्टर (जड़ों की आयु बढ़ाने वाला घोल) लगाया. फिर हमने उस पेड़ की पहले वाली जगह से करीब चार या पांच फुट की दूरी पर एक नई, उपयुक्त जगह का चुनाव किया.‘
इसके बाद बीएमसी ने नई जगह पर करीब पांच फीट गहरा गड्ढा खोदा और उसमें उखड़े पेड़ को फिर से लगा दिया गया. कटी हुई शाखाओं में वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए नगर निकाय ने उन पर पोषक तत्वों का पेस्ट भी लगाया. अधिकारी ने कहा, ‘अभी चूंकि लगातार बारिश हो रही है, इसलिए पेड़ के बचने की संभावना प्रबल है.’
उन्होंने कहा, ‘हमारे कर्मचारी नियमित रूप से प्रत्यारोपण स्थल का दौरा कर रहे हैं और पेड़ की निगरानी कर रहे हैं.’
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