नई दिल्ली: दिल्ली में एक कॉन्सर्ट जिसमें कर्नाटक संगीत के जाने-माने नाम टीएम कृष्णा भाग लेने वाले थे, रद्द कर दिया गया है. आयोजक एक सार्वजनिक क्षेत्र का प्रतिष्ठान है जिसे ट्वीट पर गालियों और बॉयकॉट की धमकी झेलनी पड़ी.
संगीत की शाम शनिवार को आयोजित होनी थी जिसे एयरपोर्ट अथोरिटी ऑफ इंडिया आयोजित कर रहा था जिसे बाद में स्थगित कर दिया गया. उससे पहले अमेरिका के एक मंदिर में उनका कॉन्सर्ट भी हिन्दुत्व ट्रोल्स के दबाव में रद्द कर दिया गया था. तब कहा गया था कि कृष्णा ईसाई धर्म का अपने संगीत से प्रचार करते है क्योंकि वे ईसाई गीत भी बजाते हैं.
उन पर तब भी तीखे हमले हुए थे जब उन्होंने गायक ओएस अरुण और नित्यश्री द्वारा कर्नाटक शैली में ईसाई गीत गाने पर हिंदुत्व एक्टिविस्ट के हमले में, उनका बचाव किया था.
जब इस पर विवाद गहराया था तो उन्होंने कहा था कि वे हर महीने जीसस और अल्लाह पर गीतों की धुनें बनाकर पेश करेंगे ताकि इस असहिष्णुता का मुकाबला किया जा सके. वहीं, इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में एयरपोर्ट अथॉरिटी के अध्यक्ष ने इस बात को खारिज किया कि कॉन्सर्ट ऑनलाइन विरोध के बाद स्थगित किया गया. उनका इंडियन एक्सप्रेस से कहना था, ‘हमारे कुछ मसले थे. कुछ ज़रूरी काम आ गए थे और हम उस दिन फ्री नहीं थे.’
‘आपको शर्म आनी चाहिए’
दिल्ली के आयोजकों को कार्यक्रम की घोषणा करते ही विरोध और आलोचना झेलनी पड़ी थी.
एक ने कहा ‘आपको शर्म आनी चाहिए कि आप उस आदमी का साथ दे रहें है जोकि उस विद्या जिसकी वो खाता है कि बेइज्ज़ती करने के लिए माना जाता है.’ एक ने कहा, ‘वो उन संगठनों की भी बुराई करता है जो उनके कार्यक्रम कराते हैं. एक तरह से वो अर्बन नक्सल की परिभाषा में खरे उतरते हैं. सोचो ज़रा!’
एक अन्य ने नरेन्द्र मोदी को टैग करके लिखा- ‘@NarendraModi आप कुछ दिन पहले अर्बन नक्सल की बात कर रहे थे और अब आप की सरकार के तहत एएआई उनको प्लेटफॉर्म दे रही है. इसका मतलब आप का अपनी सरकार के संगठनों पर कोई ज़ोर नहीं या आप को कोई फिक्र नहीं.’
‘हैरानी नहीं’
दिप्रिंट से बातचीत में टीएम कृष्णा ने कार्यक्रम के रद्द होने की पुष्टि की और कहा, ‘मुझे इससे कोई हैरानगी नहीं. हम एक ऐसे देश में रह रहे हैं जहां इस तरह का व्यवहार आम हो गया है और हमें इस पर बहुत चिंतित होना चाहिए.’
‘वे मेरे राजनीतिक विचारों से सहमत हो न हो, एक समाज के तौर पर हमें इस तरह की धमकाने की प्रवृति पर चिंतित होना चाहिए. निजी तौर पर मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता पर ये जैसे बार-बार हो रहा है वो चिंता की बात है. आज मेरे साथ हुआ कल ये किसी और के साथ होगा. ये (तमिल लेखक) पेरुमल मुरुगन के साथ हो ही चुका है. ये देश कहा जा रहा है, ये मेरे लिए चिंता का बात है.’
कृष्णा का कहना है कि ऐसी धमकी पहले भी आई है पर आयोजक डटे रहे. लेकिन इतने बड़े संगठन और इतने बड़े पैमाने पर हुए आयोजन का यूं रद्द किया जाना कलाकारों के मन में चिंता पैदा करता है.
उनका कहना है कि मंगलवार तक एएआई कह रहा था कि आयोजन होगा चाहे इसका विरोध हो. स्पिक मैके जो सह आयोजक है वह भी सुरक्षा बढ़ाने को तैयार थे.
When a scholar like myself is stopped from speaking, that is intolerance. When a great musician like TM Krishna is prevented from performing, it is not intolerance, but barbarism: my column in @IndianExpress :https://t.co/dJ6AwdD9Jg
— Ramachandra Guha (@Ram_Guha) November 15, 2018
इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने ट्वीट कर कहा है, ‘जब मुझे बोलने से रोका गया तो वो असहिष्णुता थी पर टीएम कृष्णा जैसे महान संगीतज्ञ को परफॉर्म करने से रोकना असहिष्णुता नहीं पर ये तो बर्बरतापूर्ण व्यवहार है.’