कन्नौज: यूपी के कन्नौज जिले के मडैया पश्चिम गांव में अपने घर के बाहर एक टूटी-फूटी खाट पर बैठे जहांगीर (वह किसी भी उपनाम का इस्तेमाल नहीं करते) रो रहे हैं. अपने एक ही सही सलामत हाथ से अपने आंसू पोंछते रहते हैं. (वह अपना दूसरा हाथ एक दुर्घटना में खो चुके हैं). उनका कहना है कि उनके 15 वर्षीय बेटे दिलशान उर्फ राजा की पिटाई के दौरान लगी आंतरिक चोटों की वजह से सोमवार को मौत हो गई है. वे बताते हैं कि उन्हें पुलिस या उस ऑटोप्सी (शव परिक्षण) रिपोर्ट पर कतई ‘भरोसा’ नहीं है, जिसके अनुसार दिलशान की मौत बीमारी के कारण हुई है.
जहांगीर और उनकी पत्नी शबाना बेगम के अनुसार, शनिवार को दिलशान कक्षा 9 में प्रवेश पाने की उम्मीद से आरएस इंटरमीडियरी कॉलेज नामक एक निजी स्कूल गया था. यह अभी स्पष्ट नहीं है कि इसके आगे क्या हुआ, लेकिन दिलशान और दो अन्य लड़कों पर एक घड़ी की चोरी करने का आरोप लगाया गया था और कथित तौर पर उन्हें दो शिक्षकों, प्रभाकर कुमार और विवेक यादव और इस स्कूल के प्रिंसिपल, शिव कुमार, द्वारा बुरी तरह से पीटा गया था.
बदहवास सी शबाना बताती हैं, ‘उसे और दो अन्य लड़कों को शिक्षकों ने पकड़ लिया था उन्होंने एक घड़ी के साथ कुछ शरारत की थी. फिर प्राचार्य शिव कुमार समेत इन शिक्षकों ने उसके साथ मारपीट की. हालांकि उन्होंने बाकी दोनों को जाने दिया, पर वे मेरे बेटे को अंदर ले गए और उसे पीटते रहे.’
परिवार का आरोप है कि जब दिलशान वापस लौटा तो वह काफी दर्द में था और शनिवार रात तक उसकी हालत गंभीर हो गई थी. फिर उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन सोमवार रात उसकी मौत हो गई.
हालांकि मंगलवार को किए गए शव परीक्षण के निष्कर्षों की ओर इशारा करते हुए पुलिस यह दावा कर रही है कि दिलशान की मौत एक ऐसी बीमारी से हुई जिसका इलाज नहीं किया गया था. इस मामले में अभी तक कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई है.
कन्नौज के पुलिस अधीक्षक (एसपी) अनुपम सिंह ने दिप्रिंट को बताया, ‘शारीरिक यातना के आरोप झूठे पाए गए हैं. (दिलशान के) शरीर पर कोई चोट के निशान नहीं मिले हैं. मौत का कारण फेफड़ों की पुरानी बीमारी है. सबूत के आधार पर ही कार्रवाई होगी.’
दिप्रिंट ने भी ऑटोप्सी रिपोर्ट की एक प्रति देखी है, जहां मृत्यु का कारण कार्डियोरेस्पिरेटरी फेल्योर (हृदय तथा श्वास संबंधी प्रणाली का काम न करना) और क्रॉनिक लंग डिसऑर्डर (फेफड़ों की पुरानी बीमारी) के रूप में दिया गया है.
दिलशान के परिवार ने इन निष्कर्षों पर सवाल उठाये हैं और उन्होंने एक और ऑटोप्सी की मांग की है. जहांगीर ने दिप्रिंट को बताया कि उनका बेटा बीमार नहीं था और ‘नियमित रूप से बिना किसी तकलीफ के खेतों में काम करता था.’
वे सवाल करते हैं ‘अगर हम यह बात मान भी लें कि वह बीमार था, तो वह उसी दिन क्यों गिर पड़ता जब उसे पीटा गया और फिर वह दो दिन बाद मर गया?’
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि पुलिस मामले की ठीक से जांच नहीं कर रही है और परिवारवालों को ‘धमकी’ दे रही है.
जहांगीर ने आरोप लगाया, ‘कुछ अधिकारी बुधवार को आए थे और उन्होंने इस मामले को और आगे बढ़ाने पर हमारे खिलाफ मामला दर्ज करने की धमकी दी. उनमें से एक ने हमें आतंकवादी भी कहा. ‘
जहांगीर ने जिन अधिकारियों का नाम लिया उन्होंने उसके आरोप का खंडन करते हुए कहा कि वे केवल परिवार को मदद देने के लिए वहां गए थे.
इस बारे में पूछे जाने पर, छिबरामऊ पुलिस स्टेशन में तैनात वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने कहा कि उन्होंने परिवार द्वारा आरोपी बनाये गए किसी भी शिक्षक से पूछताछ नहीं की है.
गुरुवार को जिस समय दिप्रिंट ने इस गांव का दौरा किया, उस समय वहां दिलशान की मृत्यु से पहले और बाद की घटनाओं के बारे में अलग-अलग संस्करण बयां किये जा रहे थे.
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स्कूल में क्या हुआ?
दिलशान के परिवार का दावा है कि यह किशोर अपने सरकारी स्कूल से निजी स्कूल में शिफ्ट होना चाहता था, और इसी मकसद से शनिवार सुबह करीब 9 बजे नामांकन के लिए अपने घर से लगभग 2.5 किमी दूर स्थित आरएस इंटरमीडियरी कॉलेज गया था.
जहांगीर ने बताया, ‘लगभग 11.30 बजे, हमें एक शिक्षक महेश पाल का फोन आया, जिसमें हमें बिना कोई कारण बताए हमारे बेटे को वहां से लेने के लिए आने को कहा गया. घर पहुंचने के बाद दिलशान अपनी मां के सामने यह कहकर रोने लगा कि तीन शिक्षकों ने एक घडी के लिए उसे एक कमरे में बंद कर के पीटा था. दर्द के कारण वह बेचैन होने लगा था, जिसके बाद उसकी मां उसे दो स्थानीय डॉक्टरों के पास ले गई, जिन्होंने उसे केवल सेलाइन चढ़ा के घर वापस भेज दिया.’
शबाना बेगम का कहना है कि दिलशान ने उससे कहा था कि शिक्षकों ने ‘उसे लाठी से मारा था और पेट में भी लात मारी थी. अंततः उसे कानपुर के एक अस्पताल में ले जाया गया, लेकिन कुछ ही समय बाद उसकी मौत हो गई.
शबाना पूछती हैं, ‘उन्होंने मेरे बेटे को क्यों मारा? वे पहले उसे पीटने और फिर हमें बुलाने के बजाय पहले ही हमें बुला सकते थे.’
गुरुवार को जब दिप्रिंट ने इस स्कूल का दौरा किया, तो प्रिंसिपल और दोनों शिक्षक वहां मौजूद नहीं थे. हालांकि, शिक्षक महेश पाल ने कहा कि तीन लड़कों – दिलशान, दीपू पाल और करण शर्मा – को ‘शरारत’ करते हुए पाया गया था और उन्हें ‘चेतावनी’ दी गयी थी.
पाल ने बताया, ‘प्रिंसिपल ने मुझे उसके माता-पिता को फोन करने के लिए कहा और मैंने दिलशान के परिवार को फोन किया क्योंकि हम एक ही गांव से हैं.’ उन्होंने यह भी कहा कि दोनों शिक्षक और प्राचार्य सोमवार से स्कूल नहीं आए हैं .
दिप्रिंट ने प्रिंसिपल शिव कुमार को फोन किया और मोबाइल से संदेश भी भेजे, लेकिन उनका फोन स्विच ऑफ (बंद) आ रहा था.
दिप्रिंट ने उन लड़कों, दीपू और करण, से भी बात की, जो कथित तौर पर उस दिन दिलशान के साथ थे. दोनों ने स्वीकार किया कि उन तीनों को एक घड़ी के साथ पकड़ा गया था, लेकिन उनके द्वारा दिए गए विवरण कुछ हद तक अलग थे.
करण ने कहा कि शिक्षकों ने उसे इसलिए जाने दिया क्योंकि उसने ‘कुछ गलत नहीं किया था’ और बाद में उन्होंने दीपू को भी बाहर जाने दिया, लेकिन उन्होंने दिलशान को वहीं रोक लिया था. करण ने दावा किया, ‘उसे पीटा गया, और बाद में स्कूल परिसर से बाहर जाने के लिए कहा गया. फिर मैंने उसे उसके घर पर बीमार देखा.’
दूसरी ओर, दीपू ने कहा कि शिक्षकों ने उन्हें ‘केवल थप्पड़’ मारा था और उसे तथा दिलशान को पीठ पर ‘दो बार’ लाठियों से मारा था. उसने कहा, ‘हम एकदम ठीक थे… दिलशान बीमार नहीं लग रहा था.’
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‘परिवार ने बदली अपनी कहानी, राजनीतिक दुश्मनी हो सकती है वजह’
दिलशान के परिवार के सदस्यों के अनुसार, वे सोमवार रात छिबरामऊ पुलिस स्टेशन में अपनी शिकायत दर्ज कराने गए थे, लेकिन उन्हें एक अधिकारी के पास पहुंचने के लिए घंटों इंतजार करना पड़ा. इसके बाद उन्हें अगले दिन फिर से आने के लिए कहा गया.
दिलशान के चाचा शमशाद ने बताया, ‘मंगलवार सुबह हम फिर लगभग 8 बजे पुलिस स्टेशन गए. हमने एक घंटे से अधिक समय तक इंतजार किया जिसके बाद अधिकारियों ने हमें शव परीक्षण के लिए लिखित में अर्जी देने को कहा.’
इस बारे में पूछे जाने पर उस पुलिस स्टेशन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि शव का पोस्टमार्टम इसलिए किया गया क्योंकि परिवार ने इसके लिए अनुरोध किया था. उन्होंने दिप्रिंट को मंगलवार सुबह 10 बजे डायरी में की गई एक जेनरल एंट्री दिखाई, जिसमें लिखा था कि शमशाद ने इस शव परीक्षण के लिए कहा था.
अधिकारी ने आगे यह भी दावा किया कि पहले-पहल इस परिवार ने कथित पिटाई या शिक्षकों के बारे में कुछ नहीं कहा था.
अधिकारी ने कहा, ‘25 जुलाई की रात को, उन्होंने स्कूल वाली घटना का कोई जिक्र नहीं किया. बाद में, उन्होंने अपना बयान बदल दिया और 26 तारीख को पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद आरोप लगाना शुरू कर दिया.‘
उन्होंने यह भी संकेत दिया कि स्कूल के प्रिंसिपल के साथ एक स्थानीय नेता की ‘व्यक्तिगत दुश्मनी’ इस शिकायत की वजह में शामिल हो सकती थी, हालांकि दिप्रिंट इसकी पुष्टि करने में सक्षम नहीं हो सका.
अधिकारी ने कहा, ‘साल 2007 में इस स्थानीय नेता के भाई की इस स्कूल के प्रिंसिपल के एक रिश्तेदार ने हत्या कर दी थी. अब उसने बदला लेने के लिए इस परिवार को गुमराह किया है. वह राजनीति करने, और निजी दुश्मनी निकलने में लगा हुआ है.‘
दिलशान का परिवार कथित तौर पर इसी नेता की जमीन पर काम करता है. दिप्रिंट ने मोबाइल संदेश और फोन कॉल के माध्यम से इस नेता से संपर्क करने का प्रयास किया, लेकिन हमें उनसे कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली.
यह पूछे जाने पर कि क्या यह मामला अब बंद हो गया है या फिर शिक्षकों से भी पूछताछ की जाएगी, एसपी अनुपम सिंह ने कहा, ‘हम परिवार के आरोपों की जांच करवा रहे हैं.’
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