मुम्बई: शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने कहा है कि बागी विधायकों को पार्टी के भीतर बनाए रखने की अपनी आख़िरी कोशिश में, वो एनसीपी तथा कांग्रेस के साथ महा विकास अघाड़ी (एमवीए) गठबंधन को छोड़ने, और बीजेपी के साथ हाथ मिलाने तक को तैयार हो गए थे.
पार्टी मुखपत्र सामना के लिए सेना सांसद संजय राउत को दिए इंटरव्यू के दूसरे हिस्से में- जिसे बुधवार सुबह ऑनलाइन प्रसारित किया गया- पूर्व महाराष्ट्र मुख्यमंत्री ने कहा कि तीन बिंदुओं पर स्पष्टता मिलने के बाद ही वो बीजेपी के साथ जा सकते थे, जिनमें शिवसैनिकों के खिलाफ केंद्रीय एजेंसियों का ‘दुरुपयोग’ शामिल था.
उद्धव ठाकरे ने सामना के कार्यकारी संपादक राउत से कहा, ‘आख़िरी लमहों में मैंने अविश्वसनीय विद्रोही से कहा, कि ‘अगर तुम मुख्यमंत्री बनना चाहते हो, तो हम इस बारे में बात कर सकते हैं. मैं कांग्रेस-एनसीपी से इसके लिए बात करूंगा. अगर तुम बीजेपी से हाथ मिलाना चाहते हो, तो मुझे 2-3 बिंदुओं पर स्पष्टता चाहिए’. ऐसा लगता है कि वो बागी विधायक और अब महाराष्ट्र सीएम एकनाथ शिंदे की ओर इशारा कर रहे थे.
उन्होंने आगे कहा, ‘वो सफाई मिलने के बाद, मैं हाथ जोड़कर कांग्रेस और एनसीपी के पास जाता, कि मेरे लोग आपके साथ नहीं बने रहना चाहते. लेकिन उनके (बाग़ियों) के पास कारण बताने की हिम्मत नहीं थी. बल्कि उनके पास कोई कारण ही नहीं थे. हर दिन नए कारण सामने आ रहे थे’.
सेना प्रमुख अपने 62वें जन्मदिवस के मौके पर सामना से बातचीत कर रहे थे. ये पहली बार है जब अपनी ही पार्टी में हुई एक बग़ावत के चलते कुर्सी गंवाने के बाद, जिसके नतीजे में पिछले महीने एमवीए सरकार गिर गई, वो विस्तार से इस मुद्दे पर बात कर रहे थे.
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‘BJP संग जाने को तैयार था लेकिन…’
ये स्वीकार करते हुए कि यदि पार्टी के बाग़ियों ने उनसे बात की होती, तो वो बीजेपी से हाथ मिलाने को तैयार थे, उद्धव ने कहा कि उन्होंने तीन अहम मुद्दों पर सफाई मांगी थी. ‘मुझसे लगातार ये कहा गया कि कुछ विधायकों की ओर से दबाव है, कि वो बीजेपी के साथ जाना चाहते हैं. मैंने कहा कि ठीक है उन विधायकों को मेरे सामने लाओ, और मुझे दो तीन मुद्दों पर सफाई दो’.
पहला मुद्दा था प्रवर्त्तन निदेशालय जैसी केंद्रीय एजेंसियों के हाथों शिवसैनिकों का ‘उत्पीड़न’, जिनमें अनिल परब और राउत जैसे लोग भी शामिल हैं, जिन्होंने ‘दंगों के दौरान हिंदुत्व को बचाने’ का काम किया था. उद्धव ने कहा, ‘मैं जानना चाहता हूं कि ये उत्पीड़न आख़िर कब तक चलेगा? ये एक अनावश्यक प्रताड़ना है, जिसका कोई मतलब नहीं है’.
दूसरा मुद्दा वो था जिसमें बीजेपी इस बात को नकार रही थी कि 2019 के चुनावों के दौरान क्या तय हुआ था (ढाई-ढाई वर्षों के लिए सीएम कुर्सी का बटवारा). उद्धव ने पूछा, ‘उन मुद्दों के बारे में बीजेपी क्या करेगी, और बीजेपी शिवसेना के साथ सम्मानपूर्वक पेश आएगी कि नहीं?’
तीसरा, उन्होंने कहा कि पिछले ढाई वर्षों से ठाकरे परिवार बीजेपी के हाथों अपमान झेलता आ रहा है. उन्होंने कहा कि उन्हें लगातार अपशब्दों और निजी हमलों का शिकार होना पड़ा है: ‘जब बालासाहेब के परिवार और मातोश्री पर निजी हमले हो रहे थे, तो आपने क्या किया? आपने पहले आवाज़ क्यों नहीं उठाई? सिर्फ इसलिए कि आप ज़ोर दे रहे हैं, मैं उसे भूल जाऊं और शिवसेना को बीजेपी के हवाले कर दूं?’
उद्धव ने ज़ोर देकर कहा कि अगर सीएम पद के बंटवारे के फॉर्मूले का सम्मान कर लिया जाता, जो कथित रूप से 2019 में तय किया गया था, तो अब तक बीजेपी का अपना सीएम हो जाता: ‘अगर पहले आधे हिस्से में शिवसेना का सीएम हो जाता, तो मैंने सेना सीएम के साथ मिलकर इस्तीफे का दिन और तारीख़ लिखकर दे दी होती. सब कुछ सम्मानपूर्वक हो जाता’.
सेना प्रमुख ने ये भी कहा कि उनसे लगातार कहा जा रहा था कि कैसे कांग्रेस सबसे पहले (एमवीए) छोड़ने वाली पार्टी होगी, और कैसे एनसीपी चीफ शरद पवार पर कभी भरोसा नहीं किया जा सकता, जबकि दरअसल उन्हें उनके अपने लोगों ने ही धोखा दिया. और उन्होंने दावा किया कि ऐसा इसलिए है कि बीजेपी शिवसैनिकों का इस्तेमाल सेना को ख़त्म करने के लिए करना चाहती है.
उद्धव ने कहा, ‘मेरे अपने लोगों ने मुझे धोखा दिया. इसलिए अगर मैं फ्लोर टेस्ट कराता, तो मेरे खिलाफ एक वोट भी मेरे लिए शर्मनाक होता’.
केंद्र में मुम्बई
मुम्बई शिवसेना की राजनीति के केंद्र में है. इंटरव्यू के दौरान उद्धव ने एक बार फिर शिंदे और उनके डिप्टी देवेंद्र फडणवीस से अपील की: ‘अपने अहंकार के लिए मुम्बई को तबाह मत कीजिए. वरना हमें कहना पड़ेगा कि चूंकि वो मुम्बई से नहीं हैं, इसलिए उन्हें शहर से कोई प्यार नहीं है’.
उन्होंने ये भी आरोप लगाया कि बीजेपी मुम्बई पर शिवसेना की पकड़ ख़त्म करना चाहती है. ‘ये उनका सपना है. जिस तरह रावण की जान उसकी नाभि में थी, उसी तरह उनकी जान मुम्बई में अटक गई है. कुछ अजीब सी बात है कि दिल्ली पर कब्ज़ा हो जाने के बाद, वो अभी भी मुम्बई पर राज करना चाहते हैं’.
उन्होंने याद किया कि किस तरह सेना संस्थापक बाल ठाकरे ने, बीजेपी के साथ गठबंधन करते हुए कहा था कि बीजेपी को देशपर राज करना चाहिए, और महाराष्ट्र का ख़याल वो रख लेंगे.
उद्धव ने पूछा, ‘आप हमें दिल्ली में विस्तार नहीं करने दे रहे हैं, हम करना भी नहीं चाहते, लेकिन आप हमें महाराष्ट्र में भी बढ़ने और फैलने नहीं दे रहे हैं. तो फिर ऐसे गठबंधन का मतलब क्या है’.
पूर्व सीएम ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि मराठी और ग़ैर-मराठी वोट बैंक्स को बांटने की बीजेपी की कोशिशों के बावजूद, आगामी नगर निकाय चुनावों में उन्हें जीत हासिल होगी, चूंकि उन्हें यक़ीन है कि तमाम मुम्बई वासी एकजुट हैं.
उद्धव ने ये भी कहा कि अगस्त के बाद वो पूरे प्रदेश का दौरा करने के लिए तैयार हैं. उन्होंने आगे कहा कि एक सदस्यता अभियान चल रहा है, और उसके पूरा हो जाने के बाद, वो क्षेत्रीय तथा जोनल नेताओं के साथ मिलकर महाराष्ट्र का दौरा करेंगे.
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